ITR में किया है फर्जी क्लेम, सरकार भेज रही SMS और Email, ना सुधारने पर हो सकती है जेल

Income Tax Department ने एक ऐसे एजेंट नेटवर्क का खुलासा किया है, जो कमीशन पर फर्जी डिडक्शन दिखाकर टैक्सपेयर्स की रिटर्न फाइल करते थे. ज्यादातर फर्जी क्लेम रजिस्टर्ड अनरेकग्नाइज्ड पॉलिटिकल पार्टियों (RUPP) और चैरिटेबल संस्थाओं को डोनेशन से जुड़े थे, जिससे अवैध रिफंड मिलता था.

fake itr claim agents network Image Credit: Canva/ Money9

देश में हजारों लोगों का इनकम टैक्स रिटर्न अटका हुआ है. इसके पीछे की एक वजह गलत तरीके से रिटर्न क्लेम करना है. अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एजेंटों के एक नेटवर्क का खुलासा किया है. ये एजेंट टैक्सपेयर्स की इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते थे और फर्जी डिडक्शन या छूट दिखाकर टैक्स कम करवाते थे. इससे लोगों को गलत तरीके से कम टैक्स देना पड़ता था और अवैध रिफंड भी मिल जाता था. जांच में पता चला कि कुछ दलालों ने पूरे देश में इस तरह का नेटवर्क बनाया था. ये कमीशन लेकर रिटर्न फाइल करते थे और इनकम टैक्स एक्ट के तहत डिडक्शन को बढ़ा-चढ़ाकर या झूठा दिखाते थे. ज्यादातर फर्जी क्लेम रजिस्टर्ड अनरेकग्नाइज्ड पॉलिटिकल पार्टियों (RUPP) और कुछ चैरिटेबल संस्थाओं को दिए गए डोनेशन से जुड़े थे.

इस कार्रवाई का क्या मतलब है?

हाल की सीबीडीटी एडवाइजरी से साफ है कि सरकार गलत तरीके से किए गए टैक्स प्लानिंग रोकना चाहती है और फर्जी क्लेम पर सख्ती करना चाहती है. इसके लिए एडवांस्ड डेटा एनालिटिक्स, थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन और कड़ी सजा का प्रावधान किया जा रहा है. इससे फर्जी रिटर्न के रूप में सरकार को होने वाले घाटे में कमी आएगी.

फर्जी क्लेम कैसे ट्रैक होता है?

ET की एक रिपोर्ट के अनुसार, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट एडवांस्ड डेटा एनालिटिक्स और एआई आधारित रिस्क प्रोफाइलिंग टूल्स का इस्तेमाल करता है. इससे एक खास किस्म का डिडक्शन पैटर्न जो सामान्य नहीं लगता हो और दलालों से जुड़े क्लेम पता चलते हैं. इन क्लेम की क्रॉस चेकिंग थर्ड पार्टी डेटा से होती है, जैसे बैंक रिकॉर्ड, ट्रस्ट फाइलिंग, एआईएस या फॉर्म 26एएस की जानकारी, फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन और पैन से जुड़े डेटाबेस. जहां गड़बड़ी मिलती है, वहां सर्च और सर्वे जैसे कदम उठाए जाते हैं. इनकम टैक्स एक्ट की धारा 132 और 133A के तहत ये कार्रवाई होती है.

फर्जी क्लेम पर सजा होती है?

धारा 80G या 80GGC के तहत फर्जी डिडक्शन क्लेम रद्द कर दिए जाते हैं. इससे अतिरिक्त टैक्स की मांग होती है. साथ में ब्याज और धारा 270A के तहत गलत रिपोर्टिंग पर टैक्स की रकम का 200 फीसदी तक जुर्माना लग सकता है. अगर सर्च में सबूत मिले कि गलत तरीके से रिटर्न क्लेम किया गया है तो धारा 69A के तहत इसे अनएक्सप्लेन्ड मनी माना जाता है. इस पर 78 फीसदी तक टैक्स लगता है और धारा 271AAC के तहत 10 फीसदी अतिरिक्त जुर्माना भी लगता है. गंभीर मामलों में जहां जानबूझकर टैक्स चोरी हुई हो, जांच शुरू की जा सकती है और क्रिमिनल केस चला कर जेल भी हो सकती है.

एक्सपर्ट का कहना है कि ट्रस्ट या पॉलिटिकल पार्टियां को धारा 12AB और 80G के तहत रजिस्ट्रेशन जारी करने या रिन्यू करने में देरी या इनकार हो सकता है. इससे डोनर्स का भरोसा कम होता है और फंडिंग प्रभावित होती है. बैंक और एनबीएफसी आरबीआई के नियमों के तहत डोनर्स को लोन देने से मना कर सकते हैं या रोक लगा सकते हैं.

सुधार का मिला एक मौका

Nudge Campaign के तहत 12 दिसंबर 2025 से चुने गए टैक्सपेयर्स को उनके रजिस्टर्ड मोबाइल और ईमेल पर एसएमएस और ईमेल भेजे जा रहे हैं. इसमें कहा जा रहा है कि अपनी रिटर्न चेक करें और अगर कोई गलत क्लेम किया है तो सुधार लें.