आपके बड़े ट्रांजेक्शन पर सरकार की पैनी नजर! इनकम टैक्स का नोटिस आने से पहले कर लें ये काम

देश में आयकर विभाग की नई रणनीति से अब बड़े लेन-देन करने वालों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सरकार की इस सख्त निगरानी से बचना नामुमकिन होगा. जानिए किन नए नियमों के तहत आपकी आर्थिक गतिविधियों पर सीधी नजर रखी जा रही है.

आपके पैसे पर है इनकम टैक्स विभाग की पैनी नजर Image Credit: Grox

High Value Transaction IT Rules: भारत में आयकर विभाग अब विभिन्न डेटा विश्लेषण तकनीकों का इस्तेमाल कर उन व्यक्तियों की पहचान कर रहा है जिन्होंने आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल नहीं किया है या अपनी इनकम को कम दिखाया है.सरकार ऐसे लोगों कि पहचान कर उनपर सख्त कार्रवाई करेगी. इस प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए आईटी डिपार्टमेंट विभिन्न सरकारी एजेंसियों से सहयोग ले रहा है, जिससे उन लोगों की पहचान हो सके जो बड़े पैमाने पर खर्च कर रहे हैं लेकिन ITR दाखिल नहीं कर रहे हैं या अपनी वास्तविक आय को छुपा रहे हैं.

सरकार कैसे रखती है आपके हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन पर नजर?

  1. अनिवार्य ITR फाइलिंग के नए नियम

पहले, केवल उन्हीं लोगों को ITR दाखिल करना जरूरी था जिनकी आय 2,50,000 रुपये से अधिक थी. लेकिन, 1 अप्रैल 2019 से सरकार ने कुछ हाई वैल्यू वाले लेन-देन करने वालों के लिए ITR दाखिल करना अनिवार्य कर दिया है, चाहे उनकी आय 2,50,000 से कम ही क्यों न हो. इन लेन-देनों में कई तरह के ट्रांजैक्शन शामिल होते हैं.

उदाहरण के तौर पर, अगर किसी व्यक्ति ने एक या अधिक चालू खातों में 1 करोड़ रुपये से अधिक की जमा राशि डाली है तो यह हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन के तहत है. इसके अलावा, अगर किसी व्यक्ति ने विदेश यात्रा पर 2 लाख से ज्यादा खर्च किया है या अगर किसी व्यक्ति का सलाना बिजली बिल 1 लाख रुपये से अधिक है तो ये ट्रांजैक्शन हाई वैल्यू है और आप इनकम टैक्स विभाग के निगरानी के तहत आ सकते हैं. हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन को और बेहतर समझने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें.

क्या है हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन और इसके लिए इनकम टैक्स के नियम

  1. नकद निकासी पर टीडीएस (TDS) का नियम

सरकार ने हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन के नकद लेन-देन पर नजर रखने के लिए बैंकों को यह निर्देश दिया है कि वे निम्नलिखित स्थिति में टीडीएस काटें:

  1. अपग्रेडेड फॉर्म 26AS

आयकर विभाग ने फॉर्म 26AS को अपग्रेड किया है ताकि उसमें ‘स्पेसिफाइड फाइनेंशियल ट्रांजेक्शंस’ (SFT) को शामिल किया जा सके. इसके अलावा, ‘वार्षिक जानकारी विवरण’ (AIS) भी पेश किया गया है जहां टैक्सपेयर्स अपने सभी वित्तीय लेन-देन देख सकते हैं. इसके तहत प्रमुख संस्थान जैसे रजिस्ट्री कार्यालय, बैंक, डाकघर और स्टॉक एक्सचेंज कुछ निर्धारित सीमा से अधिक के लेन-देन की रिपोर्ट सीधे आयकर विभाग को देते हैं.इस पहल का उद्देश्य टैक्स चोरी को रोकना और करदाताओं को ईमानदारी से अपने कर दायित्वों का पालन करने के लिए प्रेरित करना है.

फॉर्म 26AS में अगर SFT दिखे तो क्या करें

करदाताओं के लिए यह जरूरी है कि वे अपने फॉर्म 26AS में रिपोर्ट किए गए SFT ट्रांजैक्शन की जांच करें. इसके बाद, टैक्सपेयर्स यह सुनिश्चित करें कि अपना आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते वक्त उन्होंने फॉर्म में शामिल हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन का जिक्र किया है. और ध्यान दें कि इन पर लगने वाले टैक्स की गणना सटीक की गई है.

अगर इन लेन-देनों की रिपोर्टिंग में कोई त्रुटि या मिसमैच होता है, तो यह इनकम टैक्स के नोटिस को आपके घर का रास्ता दिखा सकता है.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का E-campaign

आयकर विभाग ने करदाताओं की सुविधा के लिए एक ई-अभियान शुरू किया है. इस अभियान का उद्देश्य उन करदाताओं को सूचित करना है जो:

अगर आपको इस अभियान के तहत कोई ईमेल या SMS मिलता है तो निम्नलिखित स्थितियों में आपको क्या रिस्पॉन्स देना चाहिए:

  1. अगर आपने ITR दाखिल नहीं किया है: यदि आपका ITR सही तरीके से दाखिल किया गया है, फिर भी आपको नोटिस मिलता है, तो यह जरूरी है कि आप सरकार को फिडबैक दें.
  2. अगर आपके ITR में कोई विसंगति या त्रुटि है: जरूरी नहीं कि विसंगतियां जानबूझकर की गई हों. AIS में डेटा दर्ज करने में गलती भी हो सकती है. ऐसी स्थिति में, करदाता को AIS पोर्टल पर जाकर ‘फीडबैक प्रदान करें’ विकल्प का इस्तेमाल करना चाहिए.

ई-कैंपेन नोटिस का ऑनलाइन जवाब कैसे दें?

अगर आपको हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शंस या ITR न भरने को लेकर ईमेल या SMS मिला है तो नीचे दिए गए स्टेप्स का पालन करके आप आयकर विभाग को जवाब भेज सकते हैं:

स्टेप 1: अपने आयकर ई-फाइलिंग अकाउंट में लॉगिन करें.

स्टेप 2: होम पेज पर जाएं और ‘Pending Actions’ > Compliance Portal > ‘e-Campaign (AY 2021-22 Onwards)’ विकल्प चुनें.

स्टेप 3: संबंधित ई-अभियान को चुनें.

स्टेप 4: जानकारी की कैटेगरी चुनें, जिसके लिए आपको नोटिस मिला है.

स्टेप 5: संबंधित लेन-देन का चयन करें.

जिसके लिए फीडबैक अपेक्षित है, उसे ‘Expected’ के रूप में चिह्नित किया जाएगा.

स्टेप 6: अपनी प्रतिक्रिया सबमिट करें. निम्नलिखित विकल्पों में से एक चुनें:

आयकर विभाग के इस पहल का उद्देश्य टैक्स चोरी को रोकना और करदाताओं को ईमानदारी से अपने कर दायित्वों का पालन करने के लिए प्रेरित करना है. अगर आप टैक्स भरते हैं तो AIS और ITR नियमों को ध्यान में रखते हुए समय पर अपनी कर देनदारी का पालन करें, ताकि किसी भी तरह की असुविधा से बचा जा सके.