ITR रिफंड से MSME और पेनल्टी तक, नए इनकम टैक्स बिल के 10 बड़े बदलाव; 11 अगस्त को पेश होगा ड्राफ्ट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में नए आयकर विधेयक, 2025 को वापस लेने का प्रस्ताव रखा, जिसे भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली संसदीय चयन समिति की कई अहम सिफारिशों के बाद संशोधित किया जाएगा. संशोधित विधेयक 11 अगस्त को संसद में पेश किया जाएगा. जानें चयन समिती ने किन बदलावों की बात की है.
Revised Income Tax Bill 2025: संसद में शुक्रवार, 8 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नया आयकर विधेयक, 2025 वापस लेने की घोषणा की. यह फैसला उस समय लिया गया जब भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय संसदीय चयन समिति (सिलेक्ट कमेटी) ने विधेयक यानी बिल में कई बडे़ संशोधनों की सिफारिश की. सरकार अब इन सुझावों को शामिल कर विधेयक का संशोधित संस्करण 11 अगस्त को संसद में पेश करेगी. यह बिल, जिसे पहले पेश किया गया था, टैक्स सिस्टम को आसान और आधुनिक बनाने का दावा करता था, लेकिन कई प्रावधानों पर विशेषज्ञों, इंडस्ट्री जगत और टैक्सपेयर्स ने आपत्ति जताई थी. इन्हीं प्रतिक्रियाओं के बाद चयन समिति ने गहन समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट तैयार की.
चयन समिति की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
रिपोर्ट 21 जुलाई को लोकसभा में पेश की गई थी. इसमें कुल 566 सुझाव/सिफारिशें दी गई है, जिनमें 285 का फोकस टैक्स सिस्टम को आसान और स्पष्ट बनाना है. रिपोर्ट 4,584 पन्नों की है और इसमें ड्राफ्टिंग में सुधार, परिभाषाओं को सटीक बनाने, कानूनी मुश्किलों को खत्म करने और नए कानून को मौजूदा कर ढांचे से तालमेल बिठाने पर जोर दिया गया है.
1. समय सीमा के बाद भी आयकर रिफंड का प्रावधान
मौजूदा ड्राफ्ट में यह प्रावधान था कि अगर कोई टैक्सपेयर तय समय सीमा के बाद आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करता है, तो उसे रिफंड का हक नहीं मिलेगा. समिति ने इस प्रावधान को हटाने की सिफारिश की है, ताकि देर से फाइलिंग पर भी रिफंड मिल सके.
2. 80M डिडक्शन में बदलाव
कंपनियों के लिए सेक्शन 80M डिडक्शन को संशोधित करने का सुझाव दिया गया है, ताकि वे कंपनियां जो सेक्शन 115BAA के तहत विशेष टैक्स दर का लाभ ले रही हैं, इंटर-कॉर्पोरेट डिविडेंड पर भी इस कटौती का फायदा उठा सकें.
3. NIL TDS सर्टिफिकेट की सुविधा
समिति ने यह सिफारिश की है कि टैक्सपेयर्स NIL TDS (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने का विकल्प पा सकें, जिससे टैक्स कटौती से बचा जा सके अगर वास्तव में टैक्स देनदारी नहीं है.
4. MSME परिभाषा में बदलाव
माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज की परिभाषा को MSME अधिनियम के अनुरूप बनाने की सिफारिश की गई है, ताकि विभिन्न कानूनों में एकरूपता बनी रहे.
5. एडवांस रूलिंग फीस में स्पष्टता
एडवांस रूलिंग फीस, पेनल्टी के प्रावधान, और टैक्स निर्धारण में ट्रांसपेरेंसी को लेकर बिल में स्पष्ट और निश्चित भाषा इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है.
6. प्रोविडेंट फंड पर TDS के प्रावधान
PF (Provident Fund) से जुड़े TDS नियमों में ट्रांसपेरेंसी और स्पष्टता लाने के लिए प्रावधानों को संशोधित करने की सिफारिश की गई है.
7. पेनल्टी से जुड़े बदलाव
पेनल्टी लगाने की शक्तियों और प्रक्रियाओं को स्पष्ट और न्यायसंगत बनाने की दिशा में संशोधन सुझाए गए हैं, ताकि मनमाने जुर्माने से बचा जा सके.
8. ड्राफ्टिंग और परिभाषाओं में सुधार
विधेयक की भाषा को सरल, सीधे और बिना तकनीकी उलझनों वाली बनाने की सिफारिश की गई है, जिससे टैक्सपेयर्स और पेशेवर आसानी से समझ सकें.
9. अस्पष्ट प्रावधानों को हटाना
कई धाराओं में अस्पष्ट या दोहरे अर्थ वाले शब्द हटाकर स्पष्टता लाने का सुझाव दिया गया है, ताकि कर विवादों की संभावना कम हो.
10. टैक्स की दरों में कोई बदलाव नहीं
समिति ने साफ किया है कि नए बिल में टैक्स की दरों में बदलाव की कोई सिफारिश नहीं की गई है. विशेष रूप से, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स पर कोई नया प्रस्ताव नहीं है, जबकि मीडिया में कुछ रिपोर्टों में इस तरह के बदलाव की चर्चा थी.
राजनीतिक और आर्थिक महत्व
नया आयकर विधेयक, 2025, लंबे समय से चर्चा में है क्योंकि यह देश के डायरेक्ट टैक्स कानून में व्यापक बदलाव लाने वाला है. बिल के वापस होने और संशोधित रूप में आने से संकेत मिलता है कि सरकार कर कानून को न केवल आधुनिक, बल्कि टैक्सपेयर्स के लिए अधिक सहज और ट्रांसपेरेंट बनाना चाहती है. संसद में इस विधेयक को लेकर विपक्ष का विरोध जारी है, लेकिन सरकार का कहना है कि यह कदम सभी हितधारकों की राय शामिल करने के लिए जरूरी है.
ये भी पढ़ें- आयकर विभाग ने ITR-5 का एक्सेल फॉर्म ऑनलाइन किया उपलब्ध, फर्म से लेकर ट्रस्ट तक कर सकेंगे ई-फाइलिंग