भारत-ओमान फ्री ट्रेड एग्रीमेंट फाइनल स्टेज में, कस्टम ड्यूटी घटने से व्यापार को मिलेगी मजबूती
भारत और ओमान के बीच मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement) की अंतिम बातचीत पूरी हो चुकी है, जल्द ही इस पर हस्ताक्षर होंगे. इससे कस्टम ड्यूटी में कमी आएगी और दोनों देशों के बीच व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा मिलेगा.

India Oman Free Trade Agreement: भारत और ओमान के बीच लंबे समय से चल रही फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (Free Trade Agreement) यानी मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत अब अंतिम चरण में है. पीटीआई ने एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया कि इस समझौते की घोषणा और साइनिंग जल्द ही एक साथ होगी. अधिकारी के मुताबिक, समझौते के टेक्स्ट का इस समय ओमान में अरबी भाषा में अनुवाद किया जा रहा है. अनुवाद पूरा होने के बाद भारत और ओमान दोनों की कैबिनेट इस समझौते को औपचारिक मंजूरी देंगी. अधिकारी ने साफ किया कि इस प्रक्रिया में 2-3 महीने का समय नहीं लगेगा, बल्कि यह काफी जल्दी हो जाएगा.
नवंबर 2023 में शुरू हुई थी बातचीत
इस समझौते को आधिकारिक तौर पर Comprehensive Economic Partnership Agreement (CEPA) कहा जाता है. दोनों देशों के बीच इस पर औपचारिक बातचीत नवंबर 2023 में शुरू हुई थी. इस तरह के समझौते का मकसद व्यापार को आसान बनाना और निवेश को बढ़ावा देना होता है. इसके तहत पार्टनर देश अपने बीच ट्रेड होने वाले अधिकतर सामान पर कस्टम ड्यूटी घटा या पूरी तरह खत्म कर देते हैं. सिर्फ सामान के व्यापार तक ही यह समझौता सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें सेवाओं के व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश के लिए नियम आसान करने का भी प्रावधान होगा. इससे दोनों देशों के बिजनेस और उद्योग जगत को नए मौके मिलेंगे.
भारत-ओमान व्यापार संबंध
ओमान, खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के देशों में भारत का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात बाजार है. भारत का UAE के साथ पहले से ऐसा समझौता लागू है, जो मई 2022 में प्रभावी हुआ था. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और ओमान का कुल द्विपक्षीय व्यापार 10 अरब डॉलर से ज्यादा रहा. इसमें भारत का निर्यात 4.06 अरब डॉलर और आयात 6.55 अरब डॉलर का था.
भारत के लिए ओमान से अहम आयात
भारत, ओमान से मुख्य रूप से पेट्रोलियम प्रोडक्ट और यूरिया आयात करता है. ये दोनों उत्पाद ही ओमान से होने वाले कुल आयात का 70 फीसदी से ज्यादा हिस्सा रखते हैं. इसके अलावा, प्रोपलीन और एथलीन पॉलिमर, पेट कोक, जिप्सम, केमिकल्स, और लोहा-इस्पात भी बड़े पैमाने पर आयात किए जाते हैं. अगर यह समझौता साइन हो जाता है, तो दोनों देशों के कारोबारियों और निवेशकों को कस्टम ड्यूटी में कमी का सीधा लाभ मिलेगा. इससे व्यापारिक लागत घटेगी, कारोबार की गति बढ़ेगी और नए निवेश के रास्ते खुलेंगे.
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