बैंक कस्टमर के लिए बड़ी खबर, जल्द बदलेगा फीस चार्ज का तरीका; RBI हटाएगा ओवरलैप फीस, लोन चार्ज भी होंगे क्लीयर

RBI ने बैंकों के साथ एक समान सर्विस फीस डिस्क्लोजर फॉर्मेट बनाने और ओवरलैपिंग फीस हटाने पर चर्चा शुरू कर दी है. इसका उद्देश्य ग्राहक सर्विसओं को पारदर्शी और सरल बनाना है. RBI चाहता है कि सभी बैंक लोन प्रोसेसिंग फीस सहित सभी फीस का स्पष्ट ब्रेकअप दें. सरकारी बैंकों ने पहले ही न्यूनतम बैलेंस पेनाल्टी हटाई है.

RBI ने बैंकों के साथ एक समान सर्विस फीस चर्चा शुरू कर दी है. Image Credit: @Canva/Money9live

RBI Service Charges: RBI बैंक ग्राहकों से जुड़ी सर्विस फीस सिस्टम को ट्रांसपेरेंट और आसान बनाने की दिशा में काम कर रहा है. इसी कड़ी में RBI ने सभी बैंकों के साथ एक यूनिफॉर्म फीस डिस्क्लोजर फॉर्मेट और ओवरलैपिंग फीस को खत्म करने पर चर्चा शुरू की है. सरकारी बैंकों ने पहले ही मिनिमम बैलेंस न रखने पर लगने वाला पेनल्टी फीस हटाया था. अब RBI चाहता है कि हर बैंक ग्राहकों को साफ साफ बताए कि किस सर्विस का कितनी फीस लिया जा रहा है. इससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी और ग्राहकों को सही जानकारी मिलेगी.

एक जैसे फीस डिस्क्लोजर पर चर्चा

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, RBI चाहता है कि सभी बैंक एक समान डिस्क्लोजर टेम्पलेट का इस्तेमाल करें ताकि ग्राहकों को सभी सर्विस फीस एक ही फॉर्मेट में दिखाई दें. इसमें लोन प्रोसेसिंग फीस काडिटेल डिस्क्रिप्शन भी शामिल होगा. बैंक आवेदन से लेकर मंजूरी या रिजेक्ट होने तक कौन- कौन से फीस लेता है यह साफ बताया जाएगा. इसका उद्देश्य है सभी बैंकों में एक जैसे नियम लागू करना.

कस्टमर सर्विस को लेकर RBI का फोकस

RBI लगातार ग्राहक सर्विस में सुधार पर ध्यान दे रहा है. हाल ही में मॉनेटरी पॉलिसी के बाद गवर्नर ने भी कहा कि ग्राहक हितों को सुरक्षित रखने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. इन कदमों में सर्विस फीस को सरल और ट्रांसपेरेंट बनाना शामिल है. इससे ग्राहकों को बिना किसी उलझन के जानकारी मिल सकेगी.

बैंकों को अपनी सर्विस की लिस्ट तय करने का निर्देश

RBI ने बैंकों से कहा है कि वे उन सर्विस की लिस्ट तैयार करें जो सभी शाखाओं में उपलब्ध हों. इसमें होम ब्रांच और अन्य शाखाएं भी शामिल होंगी. इसका उद्देश्य है कि ग्राहक को कहीं भी जाने पर एक जैसी सुविधा मिले. इसे लागू करने के लिए बैंकों ने आंतरिक चर्चा शुरू कर दी है.

बैंक अपनी राय RBI को देंगे

RBI ने पिछले महीने बैंकों को सुझाव भेजे थे जिन्हें वे अब आंतरिक रूप से जांच रहे हैं. निजी और सरकारी दोनों बैंक इस पर राय बना रहे हैं. कुछ बैंकों का मानना है कि वे अकाउंट के प्रकार के आधार पर फीस तय करने की आजादी चाहते हैं. लोन सेगमेंट में भी फीस कम करने पर विचार हो रहा है.

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पहले कर चुकी है फीस की समीक्षा

सरकार ने पहले ही लोकसभा को बताया था कि फाइनेंशियल इंक्लूजन को ध्यान में रखते हुए कई सरकारी बैंकों ने मिनिमम बैलेंस पर लगने वाला फीस खत्म कर दिया है. कुछ बैंकों ने इसे घटाया भी है. सरकार का कहना है कि यह कदम जमा राशि बढ़ाने और ग्राहकों को राहत देने की दिशा में भी फायदेमंद है. पिछले वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस न रखने पर 2175 करोड़ रुपये का पेनाल्टी फीस वसूला था.