प्रीति जिंटा ने जीता 10 करोड़ का इनकम टैक्स केस, NRI के तौर पर हुई कमाई का मामला, ITAT ने खारिज किए आरोप
बॉलीवुड एक्ट्रेस Preity Zinta को इनकम टैक्स विभाग से मिले 10 करोड़ रुपये के नोटिस मामले में बड़ी जीत मिली है. ITAT Mumbai ने 17 नवंबर 2025 को सुनाए गए आदेश में पूरा टैक्स ऐडिशन हटाते हुए कहा कि विभाग यह साबित नहीं कर पाया कि जो लेन-देन हुआ, वह फर्जी, बेनामी या असली आय को छिपाने वाला था.
देश की मशहूर बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रीति जिंटा को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से भेजे गए 10 करोड़ रुपये के अनएक्सप्लेंड कैश क्रेडिट नोटिस मामले में बड़ी राहत मिली है. आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) मुंबई ने इस पूरे मामले में प्रीति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सेक्शन 68 के तहत जो ‘अनएक्सप्लेंड कैश क्रेडिट’ की भारी भरकम ऐडिशन हुई थी, उसे पूरी तरह से खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि प्रीति ने सभी लेन-देन का पूरा डॉक्यूमेंट्री सबूत पेश किया है और विभाग के आरोप केवल संदेह के आधार पर थे.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल प्रीति जिंटा ने 26 जून 2016 को नॉन रेसिडेंट इंडियन (NRI) के तौर पर 46 लाख रुपये की इनकम दिखाते हुए अपनी ITR फाइल की थी. लेकिन विभाग को आंतरिक पोर्टल से यह जानकारी मिली कि उन्होंने Corporation Bank में खोले गए एक नए खाते में 13.10 करोड़ रुपये के बड़े क्रेडिट और डेबिट ट्रांजैक्शन किए हैं, जबकि उनकी घोषित इनकम इससे कहीं कम थी. इसी आधार पर केस को सेक्शन 147 के तहत दोबारा खोला गया.
इसके बाद 31 मार्च 2022 को इनकम टैक्स अधिकारी ने ड्राफ्ट असेसमेंट जारी किया, जिसमें उनकी कुल इनकम को बढ़ाकर 11,30,48,040 रुपये आंका गया. DRP ने भी इसी को सही माना, जिसके बाद 23 जनवरी 2023 को अंतिम असेसमेंट आदेश निकला.
प्रीति ने खटखटाया ITAT का दरवाजा
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जब DRP (Dispute Resolution Panel0 ने भी विभाग की बात मान ली, तब प्रीति जिंटा ने ITAT मुंबई में अपील दायर की. जांच में पता चला कि उनके अकाउंट में आए 13 करोड़ रुपये का क्रेडिट और उतनी ही राशि का 13 करोड़ का डेबिट दरअसल पुराने लोन के सेटलमेंट और फंड रूटिंग से जुड़ा था. खाते में आखिर में सिर्फ 10,300 रुपये बचते थे. यह स्पष्ट हुआ कि यह पैसा कोई अनजाना सोर्स नहीं बल्कि उन लोन ट्रांजैक्शनों का हिस्सा था जो वह 2012–2014 के बीच वित्तीय दिक्कतों के समय Mr. Merchant और उनकी समूह कंपनियों से ले चुकी थीं.
ITAT ने क्यों कहा कि टैक्स विभाग का ऐडिशन गलत
ITAT ने कहा कि विभाग ने खुद Section 133(6) के तहत Ace Links, Ace Light Hospitality Ventures Pvt. Ltd. और Ace Housing Construction Pvt. Ltd. को नोटिस भेजे थे. तीनों ने अपने ITR, कन्फर्मेशन, बैंक स्टेटमेंट पूरी तरह जमा किए और क्रेडिटवर्थिनेस साबित की. खास बात ये है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इसे माना भी.
अपनी तरफ से मामले पर सफाई देते प्रीति जिंटा ने बताया कि उन्होंने 2012–14 में Merchant Group से बड़ी रकम उधार ली थी. बाद में उन्होंने अपना मुंबई का फ्लैट 7.13 करोड़ रुपये में बेचकर इसके बदले 3.63 करोड़ रुपये Standard Chartered Bank का लोन चुकाने में और 3.50 करोड़ रुपये Merchant Group की Ace Light Hospitality Ventures Pvt. Ltd. का लोन चुकाने में लगाए. बाकी राशि समूह की पार्टनरशिप फर्म Ace Links के जरिए लोन एडजस्टमेंट के लिए भेजी गई, क्योंकि कंपनी के स्तर पर Companies Act 2013 की धारा 184–185 का उल्लंघन हो रहा था.
बैंक में आए 13.10 करोड़ में से 4.12 करोड़ तो फ्लैट बिक्री के
ITAT ने पाया कि खाते में जमा 4,12,59,800 रुपये उनके फ्लैट की बिक्री से आए थे, जिनका कैपिटल गेन उन्होंने पहले ही टैक्स में दिखाया था. यह पैसा वैध था और टैक्स भी चुका दिया गया था. बाक़ी 8.97 करोड़ पूरी तरह Merchant Group से आने वाला documented लोन था. तीनों कंपनियों ने साफ दस्तावेज दिए कि पैसा कहाँ से आया और कहां गया.
जिसके बाद ITAT ने साफ कहा कि, न तो यह पैसा प्रॉफिट था, न कोई अवैध इनकम, न ही लोन देने वाली कंपनियां ‘इंट्री ऑपरेटर’ थीं. यह सिर्फ एक लायबिलिटी ट्रांसफर था जो एक कंपनी से दूसरी कंपनी में. ITAT ने आगे यह भी कहा कि प्रीति जिंटा ने अपनी पहचान और लेनदेन की वास्तविकता साबित कर दी हैं, जो सेक्शन 68 में जरूरी होती हैं.
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