8th Pay Commission: 60 साल से लागू है ये फॉर्मूला, हर बार इसी से तय होती है बेसिक सैलरी, जानें इस बार का गणित
साल 1957 में बने 15वीं ILC क्राइटेरिया का मकसद था एक मजदूर और उसके परिवार की सभी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने वाला वेतन तय करना. पिछले छह वेतन आयोगों का इतिहास देखें, तो लगता है कि 8वां वेतन आयोग भी वही पुराने नियम 15वीं Indian Labour Conference (ILC) के क्राइटेरिया का इस्तेमाल कर सकता है.
8th Pay Commission: 8वें वेतन आयोग की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. अभी यह कहना मुश्किल है कि नया आयोग न्यूनतम वेतन तय करने के लिए कौन-सा फॉर्मूला अपनाएगा. लेकिन पिछले छह वेतन आयोगों का इतिहास देखें, तो लगता है कि 8वां वेतन आयोग भी वही पुराने नियम 15वीं Indian Labour Conference (ILC) के क्राइटेरिया का इस्तेमाल कर सकता है. दिलचस्प बात यह है कि कई कर्मचारी इस बात से वाकिफ नहीं हैं कि 2वें वेतन आयोग से लेकर 7वें वेतन आयोग तक न्यूनतम वेतन इन्हीं क्राइटेरिया पर आधारित रहा है.
15वीं ILC के क्राइटेरिया क्या कहते हैं?
साल 1957 में बने 15वीं ILC क्राइटेरिया का मकसद था एक मजदूर और उसके परिवार की सभी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने वाला वेतन तय करना. आइए पहले इसे विस्तार से देखें-
| न्यूनतम वेतन मानदंडों के अनुसार, एक मजदूर का परिवार 4 सदस्यों का माना गया—पति, पत्नी और दो बच्चे। इसमें कुल 3 “कंजम्प्शन यूनिट” बनते हैं, जिनके आधार पर खर्च तय होता है। |
| भोजन की आवश्यकता एक आम भारतीय एडल्ट को रोज 2700 कैलोरी, 65 ग्राम प्रोटीन और 45-60 ग्राम फैट लेने की जरूरत मानी गई. इसमें पशु-आधारित प्रोटीन जैसे दूध, अंडा, मछली, मांस का कम से कम 20 फीसदी हिस्सा होना चाहिए. |
| कपड़े एक परिवार के लिए सालभर में करीब 72 गज कपड़ा (लगभग 5.5 मीटर प्रति माह) आवश्यक माना गया. |
| हाउस रेंट कपड़े की जरूरत हर व्यक्ति के हिसाब से साल में 18 गज रखी गई है. एक आम मजदूर का परिवार चार लोगों का होता है, इसलिए पूरे परिवार को साल भर में 72 गज कपड़ा चाहिए. 72 गज कपड़ा लगभग 66 मीटर होता है. इसे 12 महीनों में बांट दें तो हर महीने परिवार को करीब 5.5 मीटर कपड़ा मिलना चाहिए. यही औसत मजदूर परिवार की मासिक कपड़ा जरूरत है. |
| ईंधन, बिजली और अन्य खर्च इन सब पर न्यूनतम वेतन का 20% खर्च जोड़ने की सलाह दी गई. |
2वें वेतन आयोग से लेकर 7वें वेतन आयोग तक, हर आयोग ने इन्हीं मानकों का किसी न किसी रूप में उपयोग किया. फर्क सिर्फ इतना था कि हर आयोग ने इसे अपने समय की आर्थिक परिस्थितियों के हिसाब से थोड़ा अलग लागू किया.
वेतन आयोगों ने ILC मानदंडों को कैसे अपनाया?
2nd Pay Commission
इस आयोग ने ILC फार्मूला लेकर न्यूनतम वेतन का पहला वैज्ञानिक हिसाब लगाया. लेकिन उस समय देश की प्रति व्यक्ति आय बहुत कम थी, इसलिए आयोग ने हिसाब के अनुसार मिले वेतन को थोड़ा कम करके सुझाया.
3rd Pay Commission
इस आयोग ने ILC मानकों को सीधे नहीं अपनाया, बल्कि थोड़ा संशोधित किया. आयोग ने माना कि जीवनशैली बदल रही है, खर्च बदल रहे हैं, इसलिए कुछ फिटमेंट और बदलाव जोड़कर वेतन तय किया.
4th Pay Commission
इसने खुद से न्यूनतम वेतन का नया बेस नहीं बनाया. इसके बजाय 3rd आयोग द्वारा तय वेतन को देखा और उस पर समय के साथ बढ़े खर्च (महंगाई इंडेक्स) के अनुसार बढ़ोतरी की.
5th Pay Commission
यह आयोग थोड़ा अलग सोच रखता था. इसने कहा कि सरकार के कर्मचारियों का वेतन देश की औसत आय से बहुत पीछे नहीं रहना चाहिए. इसलिए इसने ILC को सीधे आधार नहीं बनाया, बल्कि इनकम के अनुपात पर आधारित फॉर्मूला इस्तेमाल किया.
6th Pay Commission
इस आयोग ने ILC मानदंड को बेस फॉर्मूला माना. पहले ILC अनुसार वेतन निकालकर, बेस वेतन पर 25% अतिरिक्त जोड़ दिया.
7th Pay Commission
7वें आयोग ने साफ लिखा कि ILC मानदंड सबसे वैज्ञानिक तरीका है क्योंकि इसमें सीधे-सीधे परिवार की जरूरतों के आधार पर वेतन तय होता है. इसने ILC के सभी 7 घटकों को अपनाकर कैलकुलेट की. खाना, कपड़ा, घर, ईंधन, बिजली, विविध खर्च और स्किल फैक्टर.
7th vs 8th Pay Commission का सीधा फर्क
| वेतन आयोग | फिटमेंट फैक्टर | मिनिमम बेसिक पे |
|---|---|---|
| 6th CPC | 1.86x | ₹7,000 |
| 7th CPC | 2.57x | ₹18,000 |
| 8th CPC (Expected) | 1.92–2.08x | ₹34,560–₹37,440 |
क्या होता है फिटमेंट फैक्टर
फिटमेंट फैक्टर वही मल्टिप्लायर होता है, जिससे पूरा वेतन ढांचा बदल जाता है. मतलब, यह एक ऐसा नंबर है जिससे आपकी पुरानी बेसिक सैलरी को गुणा किया जाता है, और वही आपकी नई बेसिक सैलरी बन जाती है. मान लिजिए अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी अभी 30000 रुपये है तो-
- Fitment 1.92 होने पर: 30000 रुपये×1.92= 57600 रुपये नई बेसिक
- Fitment 2.08 होने पर: 30000 रुपये×2.08= 62400 रुपये नई बेसिक
यानी फिटमेंट बढ़ने पर बेसिक अपने-आप बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.
किस फॉर्मूले पर तय होगी सैलरी
अब जबकि 8वां वेतन आयोग अपनी प्रक्रिया शुरू कर चुका है, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह भी पुराने फॉर्मूले पर चलता है या कोई नया तरीका लाता है. लेकिन अब तक की परंपरा बताती है कि ILC मानदंड ही न्यूनतम वेतन तय करने की रीढ़ रहे हैं, इसलिए 8वें आयोग में भी इनके शामिल होने की संभावना सबसे ज्यादा है.
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