कॉर्पोरेट NPS क्या है, कर्मचारियों का बनेगा बेहतर पेंशन प्लान; इनकम टैक्स में 2 लाख से ज्यादा की छूट
Corporate NPS: नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) एक सरकारी योजना है जो रिटायरमेंट के लिए पैसे बचाने में मदद करती है. लेकिन कॉर्पोरेट NPS इससे थोड़ा अलग है, इसका मॉडल क्या है? इसमें कितनी टैक्स छूट मिलती है, ये कैसे काम करता है, रिटायरमेंट के बाद कैसे फायदा मिलेगा. क्या है सारे नियम कायदे ?
Corporate NPS National Pension System: रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए हर फाइनेंशियल एडवाइजर नेशनल पेंशन सिस्टम यानी NPS में निवेश का सुझाव जरूर देता है. NPS एक सरकारी योजना है जो रिटायरमेंट आपके लिए पैसे बचाने में मदद करती है. इसका मकसद यह है कि जब आप नौकरी से रिटायर हों, तो आपके पास एक अच्छा फंड हो. इसमें जमा पैसा बाजार में निवेश होता है और बाजार में तेजी का फायदा आपको मिलता है. लेकिन कॉर्पोरेट NPS क्या है, ये कैसे काम करता है, टैक्स छूट में इससे कैसे मदद मिलती है और क्या हैं सारे नियम कायदे, चलिए समझते हैं.
कॉर्पोरेट NPS कैसे काम करता है?
कॉर्पोरेट NPS के तहत आप और आपका एम्पलॉयर दोनों मिलकर एक पेंशन अकाउंट में पैसे डालते हैं. हालांकि रिटायरमेंट पर आपको कितनी रकम मिलेगी यह तय नहीं होता. ये इस पर निर्भर करता है कि आपने कितने साल तक और कितना निवेश किया है और आपका निवेश कितना अच्छा चला. जितना ज्यादा पैसा लंबे समय तक निवेश होगा और जितनी कम कटौती होगी, आपका रिटायरमेंट फंड उतना बड़ा होगा.
इसमें हर मेंबर को एक PRAN यानी पर्मानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर मिलता है जो 12 अंकों का यूनिक नंबर है.
ये मॉडल उन कंपनियों के लिए है जो अपने कर्मचारियों को रिटायरमेंट सेविंग की सुविधा देना चाहती हैं. निजी कंपनियां, सरकारी, पार्टनरशिप फर्म, LLPs, ट्रस्ट, कोऑपरेटिव सोसाइटीज, प्रोप्रायटर्शिप भी इसका लाभ उठा सकती है.
नौकरी छोड़ने पर क्या होता है?
- अगर आप नौकरी छोड़ते हैं तो भी आप इसे जारी रख सकते हैं. अगर आपका अलगा एंप्लॉयर भी इसके तहत रजिस्टर्ड है, तो आप अपना वही PRAN नंबर से फंड में पैसा डाल सकते हैं.
- अगर अगला एंप्लॉयर रजिस्टर्ड नहीं है, तब भी आप ऑल सिटिजन मॉडल के तहत अपना खाता जारी रख सकते हैं.
- अगर कोई कर्मचारी 5 साल से पहले नौकरी छोड़ता है, तब भी एंप्लॉयर का योगदान जब्त नहीं किया जा सकता.
कॉर्पोरेट NPS के फायदे
- कर्मचारी कई फंड मैनेजर और निवेश ऑप्शन में से चुन सकते हैं, जैसे इक्विटी, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स और सरकारी सिक्योरिटीज. चाहें तो खुद पोर्टफोलियो मैनेज करें या ऑटो चॉइस चुनें जो उम्र के हिसाब से निवेश बदलता है.
- NPS खाता नौकरी, सेक्टर या शहर बदलने पर भी वैसा ही बना रहता है.
- आप कहीं भी काम करें, देश में कहीं से भी अपना खाता चला सकते हैं.
- आपका खाता प्राइवेट से सरकारी नौकरी में या कॉर्पोरेट से ऑल सिटिजन मॉडल में भी जारी रह सकता है.
- अगर आप नौकरी छोड़कर स्वरोजगार करते हैं, तब भी NPS में खुद से योगदान जारी रख सकते हैं. फिर से नौकरी मिलने पर नया एंप्लॉयर भी योगदान देना शुरू कर सकता है.
- आप किसी भी रजिस्टर्ड POP या POP-SP से अपना योगदान कर सकते हैं, भले ही आप उनसे सीधे जुड़े न हों.
टैक्स में मिलती है छूट
टैक्स सेक्शन | विवरण | छूट की सीमा |
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80CCD(1) | कर्मचारी का योगदान | 1.5 लाख तक (पुरानी टैक्स व्यवस्था) |
80CCD(1B) | अतिरिक्त छूट | 50,000 तक (पुरानी टैक्स व्यवस्था) |
80CCD(2) | एंप्लॉयर का योगदान | पुरानी व्यवस्था में सैलरी का 10% तक टैक्स फ्री, नई व्यवस्था में 14% तक |
टियर-1 और टियर 2 अकाउंट
विवरण | Tier-I | Tier-II |
---|---|---|
खाता खोलते समय न्यूनतम योगदान | ₹500 | ₹1000 |
हर योगदान की न्यूनतम राशि | ₹500 | ₹250 |
सालाना न्यूनतम कुल योगदान | ₹1000 | – |
कितनी बार योगदान | साल में कम से कम 1 बार | – |
रिटायरमेंट पर कैसे मिलता है फायदा
- 60 साल पर रिटायर होने पर कुल फंड का 60% टैक्स फ्री निकाल सकते हैं, 40% से एन्युटी लेनी होगी, जिससे आपको हर महीने ये पैसा मिलता रहेगा.
- रिटायरमेंट से पहले पार्शियल यानी आंशिक पैसा निकाला जा सकता है जो आप मेडिकल, शिक्षा आदि जैसी जरूरतों के लिए निकाल सकते हैं.
- 60 साल से पहले भी आप एग्जिट ले सकते हैं लेकिन फिर आपको केवल 20 फीसदी ही एकमुश्त पैसा मिलेगा, 80 फीसदी एन्युटी लेनी होगी.