गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक बनेगा 568 KM लंबा एक्सप्रेसवे, यूपी-बिहार और बंगाल को मिलेगी बेहतर कनेक्टिविटी, 39 हजार करोड़ होगा खर्च

गोरखपुर से सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे से सफर आसान और फर्राटेदार होगा, 568 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे को केंद्र से मंजूरी मिल गई है. इस प्रोजेक्ट पर करीब 39 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक बनने वाले छह लेन के ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट जमीन पर रूप लेने लगा है.

एक्सप्रेसवे Image Credit: tv9 bharatvarsh

गोरखपुर से सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे: उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए सरकार एक जोरदार प्रोजेक्ट लेकर आई है. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद इन तीनों राज्यों में लोगों का आना-जाना आसान हो जाएगा. सरकार उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी तक एक्सप्रेसवे बनाने जा रही है. इस एक्सप्रेसवे से सफर आसान और फर्राटेदार होगा, 568 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे को केंद्र से मंजूरी मिल गई है. इस प्रोजेक्ट पर करीब 39 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक बनने वाले छह लेन के ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट जमीन पर रूप लेने लगा है. राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए सर्वे का काम तेज कर दिया है.

गांव-गांव जाकर भूमि की नापी की जा रही है. जमीन की पहचान करके मुख्य स्थानों पर पीलर लगाए जा रहे हैं. प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद उत्तर बिहार और सीमांचल की कनेक्टिविटी मजबूत होगी और व्यापार-पर्यटन को नई रफ्तार मिलेगी. यह एक्सप्रेसवे गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) से शुरू होकर बिहार के शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी सहित कई जिलों से होकर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक जाएगा. इससे न सिर्फ बिहार को बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत को बेहतर सड़क संपर्क मिलेगा.

शिवहर और सीतामढ़ी फायदा

परियोजना के तहत बिहार के शिवहर जिले में एक्सप्रेसवे का 15.8 किलोमीटर लंबा हिस्सा आएगा, जबकि सीतामढ़ी जिले के 28 गांवों से होकर यह एक्सप्रेसवे गुजरेगा. सड़क पिपराही के पास शिवहर से होते हुए सीतामढ़ी में प्रवेश करेगी. यहां से एक्सप्रेसवे परसौनी प्रखंड और अन्य तीन प्रखंडों के गांवों से होकर मधुबनी जिले की ओर जाएगी.

2025 तक सर्वे और DPR का काम पूरा होगा

जानकारी के मुताबिक 2025 तक सर्वे और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर ली जाएगी. इसके बाद भूमि का अधिग्रहण और निर्माण में तेजी आयेगी. सरकार का लक्ष्य इस एक्सप्रेसवे को 2028 तक पूरा करने की है.

आर्थिक ग्रोथ को मिलेगी रफ्तार

इस एक्सप्रेसवे के बनने से यात्रा में समय की बचत होगी, माल ढुलाई की लागत घटेगी और व्यापार-उद्योग को नई रफ्तार मिलेगी. पटना, दरभंगा, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, अररिया और कटिहार जैसे जिलों की कनेक्टिविटी बेहतर होगी. इसके अलावा नेपाल और भूटान के साथ व्यापार भी इस एक्सप्रेसवे रूट से बेहतर होगा.

किसानों और व्यापारियों में उत्साह

स्थानीय किसानों और व्यापारियों में इस परियोजना को लेकर भारी उत्साह है. किसानों का कहना है कि उनके कृषि उत्पाद अब देश के बड़े बाजारों तक तेजी से पहुंच सकेंगे. व्यापारियों का मानना है कि इससे निवेश के नए अवसर पैदा होंगे और स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा.

भोपाल की कंपनी कर रही सर्वे

सर्वे और डीपीआर तैयार करने की जिम्मेदारी भोपाल की एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड को सौंपी गई है. कंपनी की टीम 100 मीटर चौड़ी जमीन को चिन्हित कर रही है. एक बार डीपीआर फाइनल होते ही भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में और तेजी आएगी.

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