क्या कंपनियां दे रही हैं GST में कटौती का फायदा? पता लगाएगा वित्त मंत्रालय; हर महीने मांगेगा डाटा
वित्त मंत्रालय ने जीएसटी रेट में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंच रहा है या नहीं, यह सुनिश्चित करने के लिए कंपनियों से हर महीने डेटा मांगा है. 22 सितंबर से लागू नई रेट के बाद 54 उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में बदलाव की मासिक रिपोर्ट सीबीआईसी को दी जाएगी. मक्खन, शैम्पू, सीमेंट, टूथपेस्ट, टीवी और एसी जैसी रोजमर्रा की वस्तुएं इस सूची में शामिल हैं.

GST Benefit Monitoring: हाल ही जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी रेट में बड़ा बदलाव करते हुए 12 फीसदी और 28 फीसदी की स्लैब को खत्म कर दिया था. अब वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय जीएसटी (CGST) के क्षेत्रीय अधिकारियों से 22 सितंबर से लागू होने वाली नई और कम जीएसटी रेट के बाद 54 आम इस्तेमाल की वस्तुओं की कीमतों में बदलाव की मासिक रिपोर्ट जमा करने को कहा है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि टैक्स रेट में कमी का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचे. वित्त मंत्रालय ने सीजीएसटी जोन के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नरों को भेजे एक पत्र में कहा है कि इन वस्तुओं के MRP की तुलनात्मक जानकारी ब्रांड-वार पेश की जाए. पहली रिपोर्ट 30 सितंबर तक सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स (CBIC) को जमा करनी होगी.
हर महीने 20 तारीख तक देना होगा मासिक रिपोर्ट
9 सितंबर को जारी इस पत्र के अनुसार, अगले छह महीनों तक हर महीने की 20 तारीख तक 22 सितंबर से पहले और बाद के एमआरपी की मासिक रिपोर्ट सीबीआईसी को जमा करनी होगी. इस अभ्यास से सरकार के पास यह आकलन करने के लिए ठोस डेटा होगा कि कंपनियां टैक्स रेट में कटौती का फायदा ग्राहकों को कीमतें कम करके दे रही हैं या नहीं.
ये वस्तुएं हैं शामिल
इन 54 वस्तुओं की सूची में मक्खन, थर्मामीटर, खिलौने, सीमेंट, शैम्पू, टूथपेस्ट, टोमैटो केचप, जैम, आइसक्रीम, एयर कंडीशनर, टेलीविजन, सभी प्रकार के डायग्नोस्टिक किट, ग्लूकोमीटर, बैंडेज, रबड़ और क्रेयॉन जैसी आम उपभोक्ता वस्तुएं शामिल हैं. ये सभी वस्तुएं आम जनजीवन से सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं और इन पर जीएसटी रेट में हाल ही में कमी की गई है.
3 सितंबर को हुई थी GST काउंसिल की बैठक
जीएसटी काउंसिल (GST Council) ने 3 सितंबर को हुई अपनी बैठक में 375 वस्तुओं पर टैक्स रेट को कम करने का फैसला किया था. काउंसिल ने यह भी तय किया कि जीएसटी की मौजूदा चार-स्तरीय (5, 12, 18 और 28 प्रतिशत) स्लैब व्यवस्था को बदलकर इसे दो-स्तरीय (5 और 18 प्रतिशत) ढांचे में बदला जाए. ये नई दरें 22 सितंबर से प्रभावी होंगी. साथ ही लग्जरी आइटम पर टैक्स रेट बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया गया है.
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