GST में बदलाव से देश के रियल एस्टेट सेक्टर्स को मिल सकता है बूस्ट, बढ़ सकती है घरों की मांग

Real Estate Sectors: सरकार ने सीमेंट को 28 फीसदी के जीएसटी के स्लैब से निकालकर 18 फीसदी में शामिल कर किया है. जीएसटी में हुए बदलाव आने वाले समय में किस तरह से भारतीय रेसिडेंशियल, रिटेल और रियल एस्टेट सेक्टर्स पर पॉजिटिव असर डालेगा, आइए समझ लेते हैं.

जीएसटी में बदलाव से रियल स्टेट सेक्टर पर पॉजिटिव असर का अनुमान. Image Credit: money9live

Real Estate Sectors: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 3 सितंबर को नई दिल्ली में हुई जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में भारत के इन-डायरेक्ट टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव का रोडमैप तैयार कर दिया है. 22 सितंबर से लागू होने वाले इन बदलावों का सीधा असर कई सेक्टर्स पर पड़ेगा, जिसमें रियल एस्टेट भी शामिल है. क्योंकि सरकार ने सीमेंट को 28 फीसदी के जीएसटी के स्लैब से निकालकर 18 फीसदी में शामिल कर किया है. जीएसटी में हुए बदलाव आने वाले समय में किस तरह से भारतीय रेसिडेंशियल, रिटेल और रियल एस्टेट सेक्टर्स पर पॉजिटिव असर डालेगा, आइए समझ लेते हैं. एनारॉक समूह के चेयरमैन अनुज पुरी ने तमाम फैक्टर्स पर आने वाले पॉजिटिव असर को बारे में बताया है.

रेसिडेंशियल रियल एस्टेट

सीमेंट जैसी निर्माण सामग्री पर जीएसटी कम होने से निर्माण लागत में 3-5 फीसदी तक की कमी आ सकती है. डेवलपर्स, खासकर किफायती आवास बनाने वाले डेवलपर्स, को नकदी प्रवाह और मार्जिन के मामले में बड़ी राहत मिलेगी. एनारॉक रिसर्च से पता चलता है कि किफायती रेसिडेंशियल कैटेगरी (40 लाख रुपये से कम) की कुल बिक्री में हिस्सेदारी 2019 के 38 फीसदी से घटकर 2024 में केवल 18 फीसदी रह गई. नई सप्लाई की हिस्सेदारी 2019 के 40 फीसदी से और भी नाटकीय रूप से घटकर 2025 की पहली छमाही में केवल 12 फीसदी रह गई. अगर निर्माण लागत में कमी का लाभ घर खरीदारों को दिया जाए, तो इन क्षेत्रों में मांग बढ़ सकती है.

स्पष्ट टैक्सेशन

जीएसटी सुधार के तहत अब सिर्फ मुख्य रूप से दो स्लैब को रखा गया है, 5% और 18% फीसदी हैं. इसके अलावा लग्जरी और सिन गुड्स पर 40 फीसदी की दर से जीएसटी लागू होगा. कीमत तय करने में स्पष्टता ओवरऑल उपभोक्ता विश्वास को बेहतर बनाने में काफी मददगार साबित होगी. आसान टैक्स स्ट्रक्चर घर खरीदने के टैक्स इंप्लीकेशन को स्पष्ट करेगा और यह स्पष्टता संभावित रूप से पहली बार घर खरीदने वालों और अनिश्चित खरीदारों को बाजार में ला सकती है. इसका विशेष रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों में प्रभाव पड़ेगा.

कमर्शियल रियल स्टेट

कमर्शियल रियल स्टेट पर वर्तमान में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के साथ 12 फीसदी जीएसटी लगता है. हालांकि, हाल के घटनाक्रमों ने परिदृश्य को थोड़ा जटिल बना दिया है. कमर्शियल प्रॉपर्टी लीज पर देने पर आईटीसी को समाप्त करने का अर्थ है कि डेवलपर्स अब प्रोजेक्ट से संबंधित लागतों पर आईटीसी का दावा नहीं कर पाएंगे. इस पूर्वव्यापी संशोधन से ऑफिस स्पेस और अन्य कमर्शियल प्रॉपर्टी के ऑपरेशनल कॉस्ट और किराये की कीमतें बढ़ सकती हैं.

बिना रजिस्ट्रेशन वाले सप्लायर द्वारा कमर्शियल प्रॉपर्टी किराये पर लेने के लिए रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM), जिसके तहत मकान मालिकों के बजाय किरायेदारों को ऐसे किराये पर 18 फीसदी जीएसटी का भुगतान करना होता है. कमर्शियल स्पेस को किराये पर देने वाले व्यवसायों के लिए कंप्लायंस का बोझ बढ़ाता है.

रिटेल रियल एस्टेट

बेहतर प्रोजेक्ट वायबिलिटी -निर्माण सामग्री पर जीएसटी में कमी से डेवलपर्स की इनपुट लागत कम होगी और रिटेल रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की सप्लाई में तेजी आएगी. चूंकि शॉपिंग सेंटर और रिटेल परिसरों की निर्माण लागत अब कम होगी, इसलिए इससे किराये की दरें अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकती हैं.

सप्लाई चेन बेनिफिट्स

जीएसटी सुधार से लॉजिस्टिक कॉस्ट कम होगी और सप्लाई चेन को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी, जिससे रिटेल रियल एस्टेट को लाभ होगा. हालांकि, व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली रिटेल संपत्तियों पर किराये की आय पर 18 फीसदी जीएसटी लागू होता रहेगा.

किस सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा

ये सुधार भारतीय रियल एस्टेट उद्योग के लिए एक बड़ा सकारात्मक बदलाव है. ट्रांसपेरेंसी और कंप्लायंस में आसानी के अलावा, यह आसान जीएसटी सिस्टम वर्गीकरण संबंधी अधिकांश भ्रम और विवादों को दूर करेगा. चूंकि डेवलपर्स पर अब प्रशासनिक बोझ कम होगा, इसलिए वे टैक्स में बचत के तरीकों पर ध्यान देने के बजाय, वास्तव में महत्वपूर्ण चीजों – प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करना और ओवरऑल ग्राहक संतुष्टि – पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे.

हम तार्किक रूप से उम्मीद कर सकते हैं कि यह बड़ा सुधार भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में अधिक संस्थागत निवेश को आकर्षित करेगा, साथ ही देश भर में आवास आपूर्ति को भी बढ़ावा देगा. सरकार उपभोग पर इनके सकारात्मक प्रभाव को अधिकतम करने के लिए त्योहारी सीजन के साथ इन सुधारों को जोड़ रही है. मौजूदा व्यापक आर्थिक चुनौतियों और सेंटीमेंट व व्यावसायिक परिणामों पर उनके प्रभावों के बीच यह एक बड़ी राहत है.

ये सुधार किफायती आवास के लिए विशेष रूप से पॉजिटिव खबर है. भारत में वर्तमान में शहरी बाजारों में लगभग 1 करोड़ बजट घरों की कमी है और बिना केंद्रित हस्तक्षेप के यह संख्या 2030 तक 2.5 करोड़ तक बढ़ सकती है. ये जीएसटी सुधार निर्माण लागत को कम करते हैं और अनुपालन को अधिक आसान बनाते हैं, जो इस ट्रेंड को उलटने में काफी मददगार साबित हो सकता है, जिससे मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए घर खरीदना अधिक सुलभ हो जाएगा.

हर महीने कितना पैसा बचाएगा GST? आ गया कैलकुलेशन; रकम देख कॉमन मैन को मिलेगी राहत

Latest Stories