JAL के अधिग्रहण की रेस में अडानी पर भारी पड़ी वेदांता, 17,000 करोड़ की बोली लगाकर बनी विजेता

कर्ज से लदी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) के अधिग्रहण की रेस में वेदांता विजेता बन गई है. अडानी सहित कई दिग्गज समूह भी JAL के अधिग्रहण की बोली प्रक्रिया में शामिल हुए. हालांकि, आखिर में वेदांता 17,000 करोड़ की बोली लगाकर विजेता बनी है.

जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) को दिवाला प्रक्रिया के तहत खरीदने के लिए पेश किया गया रेजोल्‍यूशन प्‍लान Image Credit: Money9live

जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) के अधिग्रहण को लेकर अब स्थिति साफ हो गई है. देश के कॉर्पोरेट जगत के सबसे चर्चित अधिग्रहण सौदों में शामिल इस डील में वेदांता समूह विजेता बनकर उभरा है. माइनिंग दिग्गज वेदांता ने कर्ज में डूबी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) के अधिग्रहण की दौड़ में अडानी ग्रुप को पीछे छोड़ा है. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक वेदांता ने 17,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई, जिसका नेट प्रेजेंट वैल्यू (NPV) 12,505 करोड़ रुपये बैठती है.

JAL की मुश्किलें और दिवालिया प्रक्रिया

जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड कभी देश की प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर और सीमेंट कंपनियों में गिनी जाती थी. कंपनी का कारोबार रियल एस्टेट, सीमेंट, पावर, होटल और रोड जैसे कई क्षेत्रों में फैला हुआ था. लेकिन, कर्ज का बोझ बढ़ने और कैश फ्लो प्रभावित होने से कंपनी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं का कर्ज समय पर चुकाने में नाकाम रही. नतीजतन, इसे इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत दिवालिया प्रक्रिया में जाना पड़ा. कंपनी के खिलाफ बैंकों का हजारों करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है. इस वजह से लेनदार लंबे समय से समाधान योजना की तलाश में थे, ताकि डूबे कर्ज का कुछ हिस्सा वापस मिल सके और कंपनी के एसेट्स का सही इस्तेमाल किया जा सके.

बोली की प्रक्रिया और मुकाबला

JAL के अधिग्रहण के लिए लेनदारों ने एक चैलेंज प्रोसेस आयोजित किया. इसमें कई कंपनियों ने शुरुआती रुचि दिखाई, लेकिन अंतिम दौर में केवल अडानी ग्रुप और वेदांता ग्रुप शामिल हुए. दोनों समूहों की बोली का वजन और रणनीति बाजार के लिए अहम मानी जा रही थी, क्योंकि दोनों ही कॉर्पोरेट घरानों की पहचान आक्रामक विस्तार और बड़े अधिग्रहण सौदों के लिए जानी जाती है.

वेदांता की जीत का महत्व

अडानी और वेदांता की रेस में आखिर में वेदांता 17,000 करोड़ रुपये की बोली के साथ विजेती बनी और JAL का अधिग्रहण किया है. विश्लेषकों का मानना है कि यह डील वेदांता के लिए रणनीतिक रूप से अहम साबित होगी, क्योंकि इससे कंपनी को रियल एस्टेट, सीमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में बड़ी मौजूदगी हासिल होगी. इसके अलावा, इस डील के जरिये वेदांता अपने पोर्टफोलियो को और ज्यादा विविध बना पाएगी. कंपनी पहले से ही खनन, तेल-गैस और धातुओं जैसे संसाधन क्षेत्रों में मजबूत स्थिति रखती है. अब JAL के अधिग्रहण से उसे निर्माण और रियल एस्टेट के क्षेत्र में भी बड़ा दखल मिलेगा.