कूड़े से कमाई…रीसाइक्लिंग मार्केट में तेजी का फायदा उठा रही ये 8 कंपनियां; एक ने तो दिया 12727% का रिटर्न

भारत हर साल करीब 62 मिलियन टन कचरा पैदा करता है, जिसमें से केवल 25 फीसदी ही प्रोसेस होता है. बाकी 75 फीसदी अब भी बिना प्रोसेस किए रह जाता है. इसमें प्लास्टिक, धातु, कांच, कागज, ऑर्गेनिक कचरा और खतरनाक मटीरियल शामिल है. सिर्फ प्लास्टिक ही कुल कचरे का करीब 12 फीसदी हिस्सा है.

रीसाइक्लिंग मार्केट में तेजी का फायदा उठा रही ये 8 कंपनियां Image Credit: Money 9

Best recycling stock: भारत में रीसाइक्लिंग मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. अभी यह मार्केट लगभग 0.89 अरब डॉलर (2025) का है और साल 2030 तक 1.34 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. यानी हर साल करीब 8.5% की दर से बढ़त. भारत हर साल करीब 62 मिलियन टन कचरा पैदा करता है, जिसमें से केवल 25 फीसदी ही प्रोसेस होता है. बाकी 75 फीसदी अब भी बिना प्रोसेस किए रह जाता है. इसमें प्लास्टिक, धातु, कांच, कागज, ऑर्गेनिक कचरा और खतरनाक मटीरियल शामिल है. सिर्फ प्लास्टिक ही कुल कचरे का करीब 12 फीसदी हिस्सा है. इसी वजह से रीसाइक्लिंग सेक्टर में कई कंपनियां तेजी से काम कर रही हैं और इनके शेयर निवेशकों की नजर में हैं. ऐसे में आइए जानते हैं किन-किन सेगमेंट में कौन सी कंपनियां काम कर रही हैं.

प्लास्टिक और PET रीसाइक्लिंग कंपनियां

रेस ईको चेन लिमिटेड (Race Eco Chain Ltd)

मार्केट कैप: 386 करोड़ रुपये
बिजनेस: प्लास्टिक कचरे को प्रोसेस करना और उससे बैग, गारमेंट, ब्रिकेट आदि बनाना.
कंपनी ने Q4 FY25 में 27,177 टन प्लास्टिक कचरा प्रोसेस किया, जो पिछले साल के मुकाबले 52 फीसदी ज्यादा है.
गणेशा ईकोस्फीयर लिमिटेड (Ganesha Ecosphere Ltd)

मार्केट कैप: 3,263 करोड़ रुपये
बिजनेस: PET प्लास्टिक से रीसाइकल्ड पॉलिएस्टर फाइबर (RPSF), यार्न, rPET ग्रेन्यूल्स आदि बनाना.
कुल इंस्टॉल्ड क्षमता: 1,96,440 टन
यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी PET प्लास्टिक रीसाइक्लिंग कंपनियों में से एक है.

ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग कंपनियां

नामो ई-वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड (Namo eWaste Management Ltd)

मार्केट कैप: 423 करोड़ रुपये
बिजनेस: पुरानी इलेक्ट्रॉनिक चीजों (ई-वेस्ट) को रीसाइक्लिंग करके तांबा, एल्यूमिनियम, लोहा, सोना, चांदी जैसी धातुएं निकालना.
वर्तमान क्षमता: 30,500 MTPA, जिसे FY26 तक 68,000 MTPA किया जाएगा.
यह भारत की सबसे बड़ी ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग कंपनियों में से एक है.
ईको रीसाइक्लिंग लिमिटेड (Eco Recycling Ltd)

मार्केट कैप: 1,104 करोड़ रुपये
बिजनेस: भारत की पहली ई-वेस्ट कंपनी. इलेक्ट्रॉनिक सामान का कलेक्शन, निपटान और रीसाइक्लिंग करती है.

धातु/लेड रीसाइक्लिंग कंपनियां

नाइल लिमिटेड (NILE Ltd)

मार्केट कैप: 575 करोड़ रुपये
बिजनेस: बैटरी में इस्तेमाल होने वाली लेड और लेड अलॉय बनाना.
कंपनी के पास दो रीसाइक्लिंग प्लांट हैं. पहला चाउटुप्पल (तेलंगाना) में है. इसकी क्षमता 32,000 TPA है. दूसरा तिरुपति में है. इसकी क्षमता 65,000 TPA है.
पोंडी ऑक्साइड्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (Pondy Oxides & Chemicals Ltd)

मार्केट कैप: 3781 करोड़ रुपये
बिजनेस: लेड, कॉपर, एल्यूमिनियम और प्लास्टिक का रीसाइक्लिंग.
क्षमता की बाते केरें तो लेड: 1.68 लाख MTPA, प्लास्टिक: 9,000 MTPA, कॉपर: 6,000 MTPA और एल्यूमिनियम: 12,000 MTPA है.

रबर और टायर रीसाइक्लिंग कंपनियां

टिन्ना रबर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (Tinna Rubber & Infrastructure Ltd)

मार्केट कैप: 1764 करोड़ रुपये
बिजनेस: पुराने टायर और रबर का रीसाइक्लिंग करके क्रम्ब रबर, बिटुमेन, पॉलिमर प्रोडक्ट्स, री-क्लेम्ड रबर आदि बनाना.
इसके प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल सड़कों, टायर और ऑटो पार्ट्स बनाने में होता है.
हाई-ग्रीन कार्बन लिमिटेड (Hi-Green Carbon Ltd)

मार्केट कैप: 545 करोड़ रुपये
बिजनेस: टायर वेस्ट से बायोफ्यूल, कार्बन ब्लैक, स्टील, सोडियम सिलिकेट और गैस बनाना.
राजस्थान के भीलवाड़ा में दुनिया की सबसे बड़ी पेटेंटेड पाइरोलिसिस यूनिट (100 TPD क्षमता) ऑपरेट करती है.

पानी की सफाई और रीसाइक्लिंग कंपनियां

वॉ टेक वॉबैग लिमिटेड (VA Tech Wabag Ltd)

मार्केट कैप: 8,759 करोड़ रुपये
बिजनेस: पीने के पानी, गंदे पानी और समुद्री पानी (डिसैलिनेशन) की ट्रीटमेंट प्लांट बनाना और चलाना.
कंपनी का ऑर्डर बुक (Q1 FY26): 15800 करोड़ रुपये
एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स लिमिटेड (Enviro Infra Engineers Ltd)

मार्केट कैप: 4460 करोड़ रुपये
बिजनेस: सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP), वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (WTP), कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) और वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट्स बनाना.
कंपनी का ऑर्डर बुक (Q1 FY26): 2997 करोड़ रुपये

भारत में कचरे की समस्या बहुत बड़ी है. लेकिन यही समस्या अब मौका बन चुकी है. प्लास्टिक, ई-वेस्ट, मेटल, रबर और पानी हर सेक्टर में रीसाइक्लिंग की बड़ी ज़रूरत है और कंपनियां इस पर तेजी से काम कर रही हैं. इन कंपनियों के शेयर आने वाले सालों में निवेशकों को बेहतर रिटर्न दे सकते है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में कचरे से संसाधन बनाने की मांग लगातार बढ़ रही है.

डेटा सोर्स: Groww, Trade brains, BSE

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.

ये भी पढ़े: बिना FASTag वालों को नहीं देने होंगे दोगुने पैसे; UPI से भी कर सकेंगे पेमेंट; मशीन खराब होने पर फ्री में कर सकेंगे टोल पार