अब नहीं है Apple नंबर वन! टैरिफ वार ने बनाया माइक्रोसॉफ्ट को किंग, ऐपल की घटी वैल्यूएशन
टेक इंडस्ट्री में हलचल मची है. ऐपल जैसी बड़ी अमेरिकी कंपनी अब दुनिया की सबसे कीमती कंपनी के पद से हट गई है. इसके पीछे वजह है कुछ नई नीतियां और अचानक बढ़े व्यापारिक दबाव. जानें किसने ऐपल को दी मात और क्या है पूरी कहानी.

दुनिया की सबसे कीमती कंपनी का ताज अब एपल के सिर से उतर चुका है. आईफोन की बिक्री ने एपल के मार्केट कैप को इतना बढ़ाया है कि अमूमन हर सेल पर कंपनी ने रिकॉर्ड स्तर छूआ है लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति ने इस अमेरिकी कंपनी पर भी प्रभाव डाला है. बीते चार दिनों के भीतर आईफोन मेकर की वैल्यू गिर गई और माइक्रोसॉफ्ट ने उसे पीछे छोड़ दिया.
माइक्रोसॉफ्ट बनी नई नंबर वन कंपनी
सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को बाजार बंद होते समय माइक्रोसॉफ्ट की मार्केट वैल्यू 2.903 ट्रिलियन डॉलर थी जबकि ऐपल की वैल्यूएशन घटकर 2.99 ट्रिलियन डॉलर रह गई. ट्रंप की ‘डिस्काउंटेड’ टैरिफ नीति से आईफोन की कीमतों पर भारी असर पड़ा है, जिससे कंपनी की स्थिति लड़खड़ा गई है.
ट्रंप द्वारा 100 से ज्यादा देशों से आयात पर टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद वैश्विक शेयर बाजार हिल गया है. Nasdaq इंडेक्स पिछले चार दिनों में 13 फीसदी गिर चुका है. निवेशकों में मंदी और महंगाई को लेकर डर बढ़ गया है और एपल जैसे चाइना-डिपेंडेंट ब्रांड पर इसका खास असर पड़ा है.
भारत बन सकता है नया iPhone मैन्युफैक्चरिंग हब
UBS एनालिस्ट्स का अनुमान है कि अगर ये टैरिफ पूरी तरह ग्राहकों पर डाल दिए जाते हैं तो अमेरिका में iPhone 16 Pro Max की कीमत 350 डॉलर तक बढ़ सकती है. इस दबाव को देखते हुए वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट बताती है कि ऐपल अब चीन से हटकर भारत में iPhone मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने की तैयारी में है. हालांकि अमेरिका में प्रोडक्शन की बात फिलहाल अव्यवहारिक मानी जा रही है क्योंकि लागत कहीं ज्यादा होगी.
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टैरिफ लागू होने से पहले ही कई अमेरिकी ग्राहक iPhone खरीदने स्टोर्स की ओर भाग रहे हैं जिससे वहां बिक्री में असामान्य उछाल देखा जा रहा है. आने वाले दिनों में कीमतें और नीतियां कैसे बदलेंगी, इस पर बाजार के आगे की स्थिती निर्भर करती है.
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