बेस मेटल्स में मजबूती: कॉपर, जिंक और एल्युमिनियम में आएगी तेजी, होगा मुनाफा; रिपोर्ट
देशी बाजार में कॉपर इस साल अब तक करीब 27 फीसदी ऊपर है. यह तेजी अमेरिका द्वारा तांबा इंपोर्ट पर टैरिफ लगाने और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एनर्जी ट्रांजिशन से जुड़ी बढ़ती मांग की वजह से आई है. जिंक में 9 फीसदी YTD रैली रही है. वहीं, एल्युमिनियम (Aluminium) की कीमतें LME पर 2700 डॉलर प्रति टन से ऊपर पहुंच गईं, जो छह महीने का उच्च स्तर है.
मेटल सेक्टर पर रिपोर्ट Image Credit: Canva
हाल में एल्यूमीनियम सेक्टर काफी चर्चा में रहा है. इन सेक्टर पर Motilal Oswal Wealth Management ने एक साझा रिपोर्ट जारी की है. बताया है कि ग्लोबल मार्केट्स में मेटल्स की मांग और सप्लाई दोनों ही तरफ के कारकों ने हाल के महीनों में कॉपर, जिंक और एल्युमिनियम जैसे बेस मेटल्स में जबरदस्त हलचल पैदा की है. अमेरिका की ओर से मेटल इंपोर्ट पर टैरिफ लगाने, डॉलर में कमजोरी और चीन की प्रोडक्शन सीमाओं ने इन कमोडिटीज को नई दिशा दी है.
कॉपर में 27 फीसदी की बढ़त
- देशी बाजार में कॉपर इस साल अब तक करीब 27 फीसदी ऊपर है. यह तेजी अमेरिका द्वारा तांबा इंपोर्ट पर टैरिफ लगाने और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एनर्जी ट्रांजिशन से जुड़ी बढ़ती मांग की वजह से आई है.
- तांबे की कीमत हाल ही में 10,300 डॉलर प्रति टन के स्तर तक पहुंच गई, जो दो साल का हाई है.
- SHFE और LME पर तांबे के इंवेन्ट्री इस साल की शुरुआत से आधी रह गई हैं.
- EV में तांबे की खपत पारंपरिक वाहनों की तुलना में 3 से 4 गुना ज्यादा होती है — एक EV में 25–50 किलो कॉपर लगता है जबकि सामान्य वाहनों में सिर्फ 8–12 किलो.
- 2030 तक EV की मांग 1.2 मिलियन टन से बढ़कर 2.2 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है.
- चिली, इंडोनेशिया और पेरू की प्रमुख खदानों में दुर्घटनाओं और विरोधों ने सप्लाई को और टाइट कर दिया है.
- ICSG के मुताबिक, इस साल अब तक बाजार में 1.01 लाख टन का सरप्लस रहा, जो पिछले साल के 4.01 लाख टन से काफी कम है.
- 2026 में 1.5 लाख टन की कमी (Deficit) की संभावना जताई गई है.
- लंबी अवधि में कॉपर सबसे बुलिश मेटल बना रहेगा, क्योंकि डिकार्बोनाइजेशन और डिजिटलाइजेशन की दिशा में दुनियाभर में बड़ा स्ट्रक्चरल बदलाव हो रहा है.
- अभी MCX पर 1002 रुपये के भाव पर ट्रेड कर रहा है.
जिंक में 9 फीसदी YTD रैली
- जिंक (Zinc) की कीमतें सितंबर 2025 में 3000 डॉलर प्रति टन के ऊपर चली गईं.
- डॉलर की कमजोरी और चीन द्वारा संभावित प्रोडक्शन कट की उम्मीदों ने कीमतों को सपोर्ट दिया.
- LME जिंक स्टॉक्स 50,000 टन से भी नीचे गिर गए हैं. यह 2022 के बाद यह सबसे कम स्तर है.
- चीन में स्मेल्टर्स ने Q2 से प्रोडक्शन बढ़ाया, जबकि जिंक कंसंट्रेट्स के इंपोर्ट में 43 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई.
- भारत में 2025 की पहली छमाही में जिंक इंपोर्ट 23 फीसदी बढ़े, खासकर कंस्ट्रक्शन, रेलवे और पावर ट्रांसमिशन की मांग से.
- ILZSG के अनुसार, जुलाई 2025 तक 72,000 टन का सरप्लस रहा, जो पिछले साल की तुलना में काफी टाइट स्थिति है.
- अमेरिका में Nyrstar के Clarksville स्मेल्टर के बंद होने से सप्लाई और घटने की संभावना है.
- जिंक की कीमतें फिलहाल मजबूत सपोर्ट में हैं, क्योंकि इन्वेंटरी घट रही है और चीन की मांग स्थिर बनी हुई है.
- 10 अक्टूबर को यह MCX पर 294 रुपये के भाव पर कामकाज कर रहा था.
एल्युमिनियम में तेजी
- एल्युमिनियम (Aluminium) की कीमतें LME पर 2700 डॉलर प्रति टन से ऊपर पहुंच गईं, जो छह महीने का उच्च स्तर है.
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 50 बेसिस पॉइंट की दर कटौती से कॉमोडिटी मार्केट में उत्साह आया.
- चीन ने अपनी सालाना एल्युमिनियम प्रोडक्शन लिमिट 45 मिलियन टन पर स्थिर रखी है.
- LME और SHFE दोनों पर एल्युमिनियम इंवेन्ट्री में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है.
- चीन के एल्युमिनियम इंपोर्ट में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि अमेरिका के इंपोर्ट में 35 फीसदी की गिरावट देखी गई.
- चीन ने H1 2025 में 22 मिलियन टन प्राइमरी एल्युमिनियम का उत्पादन किया, जो 2.5 फीसदी की सालाना बढ़ोतरी है.
- इंडोनेशिया अब नए एल्युमिनियम प्रोजेक्ट्स का ग्लोबल हब बनता जा रहा है, जहां 2030 तक 7 मिलियन टन तक की क्षमता जुड़ सकती है.
- एल्युमिनियम के लिए शॉर्ट-टर्म में रेंज-बाउंड ट्रेडिंग संभव, लेकिन फंडामेंटल सपोर्ट बरकरार रहेगा.
- 10 अक्टूबर को यह MCX पर 264.50 रुपये के भाव पर कामकाज कर रहा था.
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