Tata Trusts Board Meeting: नियुक्ति और IPO को लेकर तनाव जारी, लेकिन सामान्य कामकाज पर ध्यान केंद्रित

Tata Trusts ने 10 अक्टूबर को अपनी बोर्ड मीटिंग में सामान्य और परोपकारी मामलों पर चर्चा की. Ratan Tata के निधन के बाद यह पहली अहम बैठक थी. बोर्ड नियुक्तियों और Tata Sons के संभावित IPO को लेकर मतभेद अब भी जारी हैं, जबकि सरकार ने मध्यस्थता की पहल की है.

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Tata Trust Board Meeting: Tata Trusts ने शुक्रवार, 10 अक्टूबर को अपनी बोर्ड मीटिंग आयोजित की. यह बैठक Ratan Tata के निधन के बाद पहली अहम मीटिंग थी और इसे ऐसे समय में बुलाया गया जब ट्रस्ट्स के अंदर इंडिपेंडेंट डायरेक्टर की नियुक्तियों और बोर्ड के फैसलों को लेकर बड़े मतभेद चल रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस बैठक में कोई विवादास्पद मुद्दा नहीं उठाया गया. मीटिंग में केवल आम कामकाज और परोपकारी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया गया. मीटिंग में अस्पतालों और ग्रामीण विकास प्रोजेक्ट्स की प्रगति पर प्रस्तुति दी गई और फंडिंग को लेकर किए जाने वाले पेशकश की समीक्षा की गई. हालांकि, Tata Trusts ने मीडिया से इस बैठक पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

एक नियुक्ति से बिगड़ा माहौल?

ट्रस्ट्स में चल रहे मतभेद का कारण बोर्ड नियुक्तियां और Tata Sons के रणनीतिक फैसले हैं. विवाद तब शुरू हुआ जब पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को Tata Sons बोर्ड में पुनः नामांकित करने का प्रस्ताव आया. ट्रस्ट्स के चेयरमैन Noel Tata और Venu Srinivasan ने इसे समर्थन दिया, लेकिन चार अन्य ट्रस्टी- Mehli Mistry, Pramit Jhaveri, Jehangir HC Jehangir और Darius Khambata ने इसका विरोध किया. इस मतभेद के बाद, विजय सिंह ने स्वेच्छा से बोर्ड से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद चार ट्रस्टी Mehli Mistry को बोर्ड में शामिल करना चाहते थे, लेकिन Noel Tata और Venu Srinivasan ने इसे रोकते हुए कहा कि निदेशकों की नियुक्ति पारदर्शी प्रक्रिया और Tata के मूल्यों के हिसाब से होनी चाहिए.

टाटा सन्स में हिस्सेदारी से फंसा पेंच?

Tata Trusts के पास Tata Sons में लगभग 66 फीसदी हिस्सेदारी है, जिससे उन्हें बोर्ड के एक-तिहाई सदस्यों को नियुक्त करने और बड़े फैसलों पर वीटो करने का अधिकार है. यही ताकत वर्तमान मतभेद का मुख्य केंद्र है. इसके अलावा, कुछ ट्रस्टी को यह चिंता है कि अगर Tata Sons का IPO (पब्लिक लिस्टिंग) होता है, तो उनकी वीटो शक्ति कमजोर हो सकती है और SP ग्रुप (18.37 फीसदी हिस्सेदारी वाला) और पब्लिक निवेशकों का असर बढ़ सकता है. इसके चलते बोर्ड के भीतर तनाव जारी है.

सरकार की पहल

इस विवाद को देखते हुए सरकार ने भी मध्यस्थता की पहल की है. 8 अक्टूबर को Noel Tata और Tata Sons के चेयरमैन N Chandrasekaran ने गृह मंत्री Amit Shah और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की. बैठक का उद्देश्य था कि ट्रस्ट्स और Tata Sons के बीच मतभेद सुलझाए जाएं और ग्रुप के संचालन पर कोई असर न पड़े. Tata Trusts के अंदर दो मुख्य गुट उभरकर सामने आए हैं: एक गुट Noel Tata के साथ है, जो नए चेयरमैन के दृष्टिकोण का समर्थन करता है, और दूसरा गुट Mehli Mistry के नेतृत्व में है, जिनका संबंध SP परिवार से है. Mehli Mistry को लगता है कि उन्हें जरूरी फैसलों में शामिल नहीं किया गया और यही मतभेद बोर्ड और Tata ग्रुप के भविष्य पर असर डाल रहे हैं.

IPO को लेकर मतभेद

Tata Trusts का बोर्ड वर्तमान में सिर्फ सामान्य और परोपकारी मामलों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, लेकिन बोर्ड नियुक्तियों और संभावित IPO को लेकर मतभेद अब भी मौजूद हैं. यह मतभेद Tata समूह की 156 साल पुरानी विरासत, 400 कंपनियों और 30 लिस्टेड फर्मों के संचालन के लिए महत्वपूर्ण है. सरकार की मध्यस्थता और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने की कोशिशें जारी हैं, ताकि Tata ग्रुप की प्रतिष्ठा और संचालन सुरक्षित रहें और निवेशकों का भरोसा भी बना रहे.

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