चांदी की कीमतों ने एक दिन में लगाई ₹8500 की लंबी छलांग, सोने के भाव में दिखी सुस्ती; जानें क्या है नया रेट
चांदी की कीमतों ने शुक्रवार, 10 अक्टूबर को राजधानी में नया रिकॉर्ड बनाया. नए रिकॉर्ड के तहत चांदी की कीमत एक दिन में 8,500 रुपये बढ़ गई. वहीं, दूसरी ओर सोने की कीमत में थोड़ी गिरावट दिखी है. जानें क्या है नया भाव.

Silver Surges new high: चांदी की कीमतों ने शुक्रवार, 10 अक्टूबर को हाल के समय में सबसे बड़ी बढ़त दर्ज की. राजधानी में चांदी की कीमत प्रति किलोग्राम 8,500 रुपये बढ़कर 1,71,500 रुपये के नए हाई पर पहुंच गई. इस तेजी के पीछे मुख्य वजह निवेशकों का सुरक्षित संपत्ति में निवेश और ग्लोबल मार्केट में चांदी की कमी है. पिछले दिन, यानी गुरुवार को, चांदी की कीमत 1,63,000 रुपये प्रति किलोग्राम थी. पिछले तीन कारोबारी सत्रों में चांदी की कीमत कुल 17,500 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ी है.
सोने की कीमत में गिरावट
वहीं, सोने की कीमतें अपने रिकॉर्ड स्तर से थोड़ी पीछे आ गई. 99.9 फीसदी और 99.5 फीसदी शुद्धता वाले सोने की कीमतें 600 रुपये गिरकर क्रमशः 1,26,000 और 1,25,400 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गईं. गुरुवार को ये कीमतें अपने रिकॉर्ड स्तर- 1,26,600 और 1,26,000 रुपये पर थी. HDFC Securities के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार के अनुसार, सोना और चांदी की कीमतों में उछाल कमजोर डॉलर और निवेशकों की रिस्क टेकिंग प्रवृत्ति के कारण आया है. अमेरिकी डॉलर कमजोर होने से निवेशक सुरक्षित संपत्तियों की ओर बढ़ रहे हैं.
चांदी की सप्लाई में कमी और घरेलू बाजार का प्रभाव
Motilal Oswal के प्रीशियस मेटल रिसर्च एनालिस्ट मानव मोदी के अनुसार, चांदी की आपूर्ति में कड़ी कमी है, जबकि मांग लगातार बढ़ रही है. इस वजह से बाजार में प्रीमियम बढ़ गया है और कीमतों में अस्थिरता देखने को मिल रही है. इसके चलते घरेलू चांदी ETF और चांदी फ्यूचर्स की कीमतों में अंतर भी बढ़ गया है.
ग्लोबल मार्केट में स्थिति
वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतें प्रति औंस USD 3,992.80 और चांदी की कीमत USD 50.01 तक पहुंच गई. गुरुवार को ग्लोबल मार्केट में चांदी पहली बार USD 51 प्रति औंस के स्तर को पार कर गई थी. विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और अमेरिकी आर्थिक अनिश्चितताएं सोने और चांदी की कीमतों का समर्थन कर रही हैं. सितंबर की FOMC बैठक की रिपोर्ट में संकेत दिए गए थे कि इस साल दो और ब्याज दर कटौती हो सकती हैं, जिससे डॉलर कमजोर होने और कीमती धातुओं में निवेश बढ़ने की संभावना है.
कई फैक्टर्स का असर
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी सरकार की शटडाउन, ग्लोबल जियोपॉलिटिकल टेंशन और लगातार ETF तथा केंद्रीय बैंक की खरीदारी लंबे समय तक सोने और चांदी के समर्थन का कारण बने रह सकते हैं. साथ ही, अमेरिकी सिल्वर इंस्टीट्यूट ने अनुमान लगाया है कि 2025 में चांदी की आपूर्ति लगातार पांचवें साल भी मांग से कम रहेगी, जिससे ग्लोबल स्तर पर चांदी की कमी और कीमतों में तेजी बनी रह सकती है. विश्लेषकों के अनुसार, अगर ग्लोबल रिस्क सेंटीमेंट स्थिर नहीं होती, तो चांदी की कीमतों का बुलिश रुख निकट भविष्य में भी जारी रह सकता है, जबकि सोने की कीमतों में हल्की उतार-चढ़ाव बनी रह सकती है.
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