45000 करोड़ का बड़ा पासा! Biocon के मर्जर और QIP प्लान ने निवेशकों की धड़कनें बढ़ाईं; सोमवार को फोकस में रहेगा स्टॉक

बायोकॉन के बड़े रणनीतिक फैसले ने निवेशकों का ध्यान खींचा है. छह महीने में 18 फीसदी रिटर्न देने वाला यह शेयर अब मर्जर के वजह से चर्चा में है. बाजार की नजर इस बात पर है कि क्या यह कदम कंपनी के मूल्यांकन और स्टॉक प्रदर्शन को नई दिशा देगा. पूरी तस्वीर ट्रेडिंग में सामने आएगी.

Biocon Merger Image Credit: Money9 Live

Biocon Biologics deal: देश की प्रमुख बायोफार्मा कंपनी बायोकॉन लिमिटेड ने अपने बायोलॉजिक्स कारोबार को यूनिफाइड करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. कंपनी ने शनिवार को घोषणा की कि वह बायोकॉन बायोलॉजिक्स लिमिटेड को पूरी तरह अपनी सहायक कंपनी बना रही है. इस सौदे का वैल्यूएशन 5.5 अरब डॉलर (45000 करोड़ रुपये) किया गया है और इसके तहत बायोकॉन विभिन्न निवेशकों की हिस्सेदारी शेयर स्वैप और नकद भुगतान के जरिए खरीदेगी. यह फैसला कंपनी के लिए रणनीतिक बदलाव की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.

शेयर स्वैप के जरिए हिस्सेदारी खरीदी जाएगी

बायोकॉन ने एक रिलीज के हवाले से बताया है कि वह सीरम इंस्टिट्यूट लाइफ साइंसेज, टाटा कैपिटल ग्रोथ फंड II और एक्टिव पाइन LLP से बायोकॉन बायोलॉजिक्स में उनकी शेष हिस्सेदारी खरीदेगी. इसके लिए प्रति 100 बायोकॉन बायोलॉजिक्स शेयर के बदले 70.28 बायोकॉन लिमिटेड शेयर जारी किए जाएंगे, जिसकी कीमत 405.78 रुपये प्रति शेयर तय की गई है.

इसके अलावा कंपनी मायलन इंक (वायट्रिस) की हिस्सेदारी भी खरीदेगी, जिसके लिए 815 मिलियन डॉलर का कुल भुगतान किया जाएगा. इसमें से 400 मिलियन डॉलर नकद दिए जाएंगे और बाकी के लिए प्रति 100 शेयर के बदले 61.70 बायोकॉन शेयर का स्वैप होगा. एकीकरण की प्रक्रिया 31 मार्च 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है.

IPO की जगह मर्जर को क्यों चुना?

कंपनी ने 2025 में एक रणनीति समिति गठित की थी जिसने बायोलॉजिक्स यूनिट के IPO या मर्जर की संभावना का मूल्यांकन किया. समिति ने पाया कि मर्जर से ज्यादा वैल्यू unlock होता है.

कार्यकारी अध्यक्षा किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि बाजार में अधिग्रहण ऋण (Acquisition Loan) से जुड़ी धारणा बायोकॉन के वैल्यूएशन को दबा रही थी. उन्होंने कहा “इससे बायोलॉजिक्स की असली वैल्यू मार्केट कैप में नहीं दिखती. ऐसे में IPO शेयरधारकों के लिए फायदेमंद नहीं होता,”.

बायोकॉन बायोलॉजिक्स ने 2022 में वायट्रिस का ग्लोबल बायोसिमिलर पोर्टफोलियो 3.3 अरब डॉलर में खरीदा था. इसके चलते कंपनी पर 1.2 अरब डॉलर का अधिग्रहण ऋण है. शॉ के अनुसार, मर्जर के बाद ज्वाइंट यूनिट की बैलेंस शीट मजबूत होगी और debt-to-EBITDA अनुपात और सुधरेगा. 2020 में यह अनुपात 4.3 गुना था, जो सितंबर 2025 तक 2.5 गुना पर आ चुका है.

पूंजी जुटाने की तैयारी भी शुरू

बायोकॉन के बोर्ड ने 4,500 करोड़ रुपये तक QIP के जरिए पूंजी जुटाने की मंजूरी दी है. इस राशि का बड़ा हिस्सा वायट्रिस को नकद भुगतान में इस्तेमाल होगा. कंपनी ने पिछली तिमाही में भी गोल्डमैन सैक्स और कोटक महिंद्रा बैंक के structured debt सहित विभिन्न देनदारियां चुकाई थीं.

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मर्जर के बाद बायोकॉन बायोलॉजिक्स के सीईओ श्रीहेस तांबे संयुक्त इकाई के CEO और MD बनेंगे. केदार उपाध्याय CFO की जिम्मेदारी संभालेंगे. मौजूदा बायोकॉन CEO सिद्धार्थ मित्तल एकीकरण पूरा होने के बाद समूह में नई भूमिका निभाएंगे. शॉ ने कहा कि सही तरह से ट्रांजिशन के लिए एक गवर्नेंस काउंसिल और एक इंटीग्रेशन मैनेजमेंट कमेटी बनाई गई है. मर्जर के बाद कंपनी का फोकस नई दवाओं और उत्पादों को बाजार में लाने की गति बढ़ाने पर होगा.

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शेयरों का क्या है हाल?

बीते शुक्रवार कंपनी के शेयर मामूली बढ़त के साथ 392.65 रुपये पर बंद हुए थे. बीते तीन महीनों में कंपनी के शेयरों ने निवेशकों को 8 फीसदी के लगभग मुनाफा दिया है, वहीं 6 महीने में ये रिटर्न 18 फीसदी से ज्यादा है. कंपनी के इस फैसले के बाद सोमवार को Biocon Ltd. का स्टॉक फोकस में रहेगा.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.

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