Closing Bell: लाल निशान में बाजार बंद, IT और बैंकिंग स्टॉक्स में गिरावट, मेटल-मीडिया के शेयर चमके

Closing Bell: इजराइल और ईरान के बीच तनाव ने मार्केट में निवेशकों के सेंटीमेंट को झटका दिया है. सोमवार को सेंसेक्स अपने पिछले बंद स्तर 82,408.17 के मुकाबले 81,704.07 पर खुला और 900 अंक या 1 फीसदी से अधिक की गिरावट के साथ 81,476.76 के निचले स्तर को छू गया.

शेयर मार्केट में गिरावट. Image Credit: Tv9

Closing Bell: पश्चिमी एशिया में जारी तनाव की चिंताओं के चलते सोमवार 23 जून को भारतीय बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट दर्ज की गई. पश्चिमी एशिया में जारी तनाव की चिंताओं के चलते सोमवार 23 जून को भारतीय बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट दर्ज की गई. सेंसेक्स अपने पिछले बंद स्तर 82,408.17 के मुकाबले 81,704.07 पर खुला और 900 अंक या 1 फीसदी से अधिक की गिरावट के साथ 81,476.76 के निचले स्तर को छू गया.

नेगेटिव नोट पर बंद हुआ बाजार

23 जून को निफ्टी 25,000 के आसपास रहा और भारतीय इक्विटी इंडेक्स नेगेटिव नोट पर बंद हुए. सेंसेक्स 511.38 अंक या 0.62 फीसदी की गिरावट के साथ 81,896.79 पर बंद हुआ और निफ्टी 140.50 अंक या 0.56 फीसदी की गिरावट के साथ 24,971.90 पर बंद हुआ. लगभग 1794 शेयरों में बढ़त दर्ज की गई, 2113 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई, और 175 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ.

टॉप गेनर्स और लूजर्स

ट्रेंट, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स निफ्टी पर टॉप गेनर्स में से थे, जबकि इंफोसिस, एलएंडटी, हीरो मोटोकॉर्प, एमएंडएम, एचसीएल टेक्नोलॉजीज में गिरावट आई.

सेक्टोरल मोर्चे पर, आईटी, एफएमसीजी, ऑटो, बैंक 0.5-1.5 फीसदी नीचे रहे, जबकि मीडिया, मेटल, कैपिटल गुड्स 0.5-4 फीसदी ऊपर रहे.

पहले सत्र में 3 लाख करोड़ डूबे

बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स ने बेहतर प्रदर्शन किया और क्रमशः 0.20 फीसदी और 0.54 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुए. बीएसई-लिस्टेड फर्मों का कुल मार्केट कैप पिछले सत्र के लगभग 448 लाख करोड़ रुपये से घटकर लगभग 445 लाख करोड़ रुपये रह गया, जिससे सत्र के पहले 15 मिनट के भीतर निवेशकों को लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ.

शेयर बाजार में गिरावट क्यों आई?

  • ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में उछाल.
  • एक्सेंचर की बिकवाली के बाद आईटी शेयरों में कमजोरी.
  • तेल से प्रेरित मुद्रास्फीति फेड की ब्याज दरों में कटौती में देरी कर सकती है.
  • वैश्विक बिकवाली ने दबाव बढ़ाया.

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