ईरान को जा रहा चावल एक्सपोर्ट रुका! 70 साल पुरानी कंपनी के शेयरों को लगा झटका, बाकी बड़े प्लेयर्स को भी नुकसान

मिडल ईस्ट की ताजा हलचल ने भारत के चावल व्यापार की कमर तोड़ दी है. बंदरगाहों पर माल अटका है, बीमा कंपनियां किनारा कर रही हैं, और शेयर बाजार में घबराहट साफ दिख रही है. पर असली कहानी इससे कहीं बड़ी है… जानिए बासमती संकट के पीछे की पूरी तस्वीर.

बंदरगाहों पर रुके चावल, शेयरों में आई बर्बादी! Image Credit: Money9 Live

Rice Stocks: मध्य पूर्व की नाजुक हालात ने भारत–ईरान चावल व्यापार बीच में ही थाम दिया है, तो देश के प्रमुख चावल निर्यातकों के शेयर और कारोबार पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं. सोमवार यानी 23 जून करीब 1,00,000 टन बासमती चावल, जो ईरान के लिए सप्लाई होना था, गुजरात के कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर फंसा पड़ा है. क्योंकि मध्य पूर्व में चल रहे संघर्ष की वजह से न तो कोई जहाज उपलब्ध है और न ही बीमा मिल पा रहा है. इस अनिश्चितता ने न केवल निर्यातकों की जेब ढीली कर दी है बल्कि निवेशकों का भरोसा भी हिला दिया है. बीते कुछ सप्ताह से ईरान को चावल एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है जिससे निवेशकों को भी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

जहाज बंदरगाह पर रुके, भाव बाजार में गिरे

बासमती चावल के थोक भाव में पहले ही रुकी रफ्तार ने घरेलू बाजार में कीमतों को 4–5 रुपये प्रति किलो तक लुढ़का दिया है. निर्यातकों के लिए ‘भुगतान’ और ‘बीमा’ दोनों ही गुत्थियां बन गई हैं. इंडियन पोर्ट्स एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, ईरान ने 2024–25 में करीब एक मिलियन टन बासमती चावल आयात किया था, जो कुल निर्यात का लगभग 18–20 फीसदी है. अब उसी माल के बंद रहने से निर्यातकों की नकदी प्रवाह ठप हो गया है और उन्हें कामकाजी पूंजी जुटाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

शेयर बाजार का मिजाज सुस्त

बीते कुछ सप्ताह में इस क्षेत्र की चार बड़ी कंपनियों के शेयरों ने निवेशकों को निराश किया है. KRBL के शेयरों में आज लगभग 3 फीसदी की गिरावट देखने को मिली और वहीं अगर 1 महीने का आंकड़ा देखें तो ये शेयर 8.67 फीसदी टूटे हैं. इस कंपनी का मौजूदा मा्र्केट कैप 7838 करोड़ रुपये है. बासमती चावल के प्रमुख निर्यातकों में KRBL लिमिटेड अग्रणी है, इसकी बाजार हिस्सेदारी लगभग 23 फीसदी है. यह कंपनी “इंडिया गेट” ब्रांड के लिए जानी जाती है और इसकी सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह खेती से लेकर पैकेजिंग तक की पूरी वैल्यू चेन पर नियंत्रण रखती है.

कंपनी के दूसरे प्रमुख प्लेयर की बात करें तो वो है LT Foods. यह Daawat और Royal जैसे लोकप्रिय ब्रांडों के लिए प्रसिद्ध है. इस कंपनी को 70 साल से भी अधिक का अनुभव है और इसका मॉडल ‘खेत से थाली तक’ के कॉन्सेप्ट पर आधारित है. LT Foods चावल की विविध श्रेणियां पेश करती है, जिनमें रेगुलर, इंटीग्रल और ऑर्गेनिक विकल्प शामिल हैं. कंपनी के शेयरों में भी बीते एक महीने में 2 फीसदी की गिरावट दिखी. सोमवार को कंपनी के शेयर 6 फीसदी से ज्यादा टूट कर 405.60 रुपये पर ट्रेड किए.

Chaman Lal Setia भी इस रेस में प्रमुख कंपनी है. सोमवार को इसके शेयर 2.74 फीसदी टूट कर 328 रुपये पर बंद हुए. वहीं एक महीने में यह लगभग 11 फीसदी टूट चुकी है. चमन लाल सेतिया कंपनी महारानी ब्रांड और कई प्राइवेट लेबल उत्पादों के जरिए दुनिया के 80 से अधिक देशों में बासमती चावल का निर्यात करती है. इसकी मजबूत उपस्थिति विशेष रूप से मध्य पूर्व के बाजारों में देखी जाती है.

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कोहिनूर फूड्स भी एक जाना-पहचाना नाम है, जो भारतीय चावल को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में सफल रही है. यह कंपनी विशेष रूप से प्रोसेस्ड और वैल्यू-एडेड चावल उत्पादों में रुचि रखती है, जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसके लिए एक अलग पहचान बनाते हैं. सोमवार को इसके शेयर भी लाल निशान पर बंद हुए लेकिन मामूली गिरावट के साथ. हालांकि एक महीने में इसकी कीमत करीब 7 फीसदी घट चुकी है.

ईरान में है भारतीय चावल का बड़ा बाजार

एपीपीडा (APEDA) के आंकड़ों के मुताबिक, 2024–25 में ईरान ने भारत से करीब 6,374 करोड़ रुपये का बासमती चावल खरीदा, जो कुल निर्यात का 12.6 फीसदी है. ऐसी बड़ी आय पर ये संकट अगर लगातार बने रहे तो निर्यातकों का वित्तीय ढांचा लड़खड़ा सकता है.

All India Rice Exporters Association ने पीटीआई के हवाले से बताया की वह एपीईडा के साथ इस मामले पर बातचीत कर ही है और दोनों संगठन 30 जून को वाणिज्य मंत्रालय के साथ तय मीटिंग में इस संकट का हल निकालने की कोशिश करेगी. इसके अलावा, बंदरगाहों पर फंसे माल को निकालने के लिए सैन्य गलियारे सुरक्षित कराने की संभावनाओं पर भी विचार हो रहा है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री से प्रस्तावित बैठक में इन सभी मुद्दों पर चर्चा होगी.

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