स्पेस क्रांति में HAL को मिली बड़ी सफलता, बनाएगी ये खास राकेट, अडानी और BDL को पीछे छोड़ा
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के SSLV रॉकेट निर्माण का टेंडर 511 करोड़ रुपये में जीत लिया है. HAL ने अडाणी और BDL को पछाड़कर यह सफलता हासिल की है. यह जीत HAL को SSLV टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और वैश्विक लॉन्च सर्विस का अधिकार देती है. यह कदम भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण है और देश की वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद करेगा.
HAL ISRO Deal: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को एक बड़ी सफलता मिली है. कंपनी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया में जीत हासिल की है. इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड अथोराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की. HAL ने यह टेंडर 511 करोड़ रुपये की बोली लगाकर जीता, जिसमें उसे SSLV की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (ToT) का अधिकार प्राप्त हुआ है. HAL ने अडाणी ग्रुप की अल्फा डिजाइन और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) के नेतृत्व वाले दो कंसोर्शियम को पीछे छोड़ते हुए यह बोली अपने नाम की है.
HAL ने अकेले लगाई बोली
खास बात यह है कि HAL ने इस बोली प्रक्रिया में अकेले भाग लिया, जबकि अन्य कंपनियों ने कंसोर्शियम बनाकर हिस्सा लिया था. इस जीत के साथ ही HAL को SSLV रॉकेट बनाने, उसका स्वामित्व रखने और वैश्विक स्तर पर लॉन्च सर्विस देने का अधिकार मिल गया है.
क्या है SSLV
SSLV एक कॉम्पैक्ट और कम लागत वाला रॉकेट है, जो 500 किलोग्राम तक के पेलोड को लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में पहुंचाने में सक्षम है. यह छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए एक कुशल और लागत प्रभावी विकल्प माना जाता है.
निजी क्षेत्र के लिए अंतरिक्ष में नए अवसर
भारत में स्पेस सेक्टर में निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. यह पहली बार है जब ISRO रॉकेट टेक्नोलॉजी को किसी निजी कंपनी को ट्रांसफर करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के अंतर्गत अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी निवेश के लिए खोलने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है. शुरूआत में इस प्रक्रिया में 20 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी.
ग्लोबल स्पेस मार्केट में भारत की बढ़ती भूमिका
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्तमान में वैश्विक स्पेस इकोनॉमिक्स में मात्र 2 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है. सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक यह हिस्सेदारी 5 गुना बढ़कर 8 बिलियन डॉलर से 44 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाए.
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शेयर में तेजी
यह खबर आने के बाद शुक्रवार को HAL के शेयर में तेजी देखी गई. इसका शेयर 1.18 प्रतिशत बढ़कर 4,960 रुपये पर पहुंच गया. पिछले एक महीने में इसने 2.24 प्रतिशत का रिटर्न दिया है, जबकि बीते छह महीनों में इसके शेयरों में 18.37 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.