राफेल से लेकर न्यूक्लियर शिप तक… रक्षा मंत्रालय की घोषणा से इन डिफेंस शेयरों में धड़ाधड़ लगने लगे दांव
शेयर बाजार में डिफेंस कंपनियों की तेजी ने निवेशकों का ध्यान खींचा है. दो दिन की गिरावट के बाद अचानक आई इस मजबूती के पीछे बड़ी वजह सामने आई है. आखिर ऐसा क्या हुआ कि डिफेंस इंडेक्स ने फिर से रफ्तार पकड़ ली? पूरा मामला जानें खबर में.
India defence stocks: रक्षा मंत्रालय की 15 साल की आधुनिकीकरण योजना ने शेयर बाजार में निवेशकों का उत्साह बढ़ा दिया है. 5 सितंबर को घोषित इस रोडमैप के असर से 8 सितंबर को डिफेंस सेक्टर की कई कंपनियों के शेयरों में तेजी देखी गई.
निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स दो दिन की गिरावट तोड़ते हुए करीब आधा फीसदी चढ़कर 7,559 के स्तर पर पहुंच गया. निवेशकों को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में रक्षा जरूरतों के लिए बड़े पैमाने पर ऑर्डर निकलेंगे, जिससे कंपनियों को फायदा होगा.
मंत्रालय का 15 साल का रोडमैप
रक्षा मंत्रालय ने अपनी योजना में कहा है कि आने वाले दशकों में देश को बड़ी चुनौतियों और जिम्मेदारियों का सामना करना होगा, इसलिए सेनाओं को उसी हिसाब से आधुनिक बनाना जरूरी है. मंत्रालय ने निजी और सार्वजनिक कंपनियों की साझेदारी को अहम बताया और भविष्य की नौसेना जरूरतों के लिए कम से कम 10 न्यूक्लियर प्रपल्शन सिस्टम की आवश्यकता जताई.
योजना के मुताबिक, भारत 2030 तक कुल 62 राफेल लड़ाकू विमान सेवा में लाने का लक्ष्य रखता है. इसमें से 36 विमान पहले ही वायुसेना को मिलने शुरू हो गए हैं. इसके अलावा, दो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम, अगली पीढ़ी के टैंक और चौथी-पांचवीं पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें खरीदने की भी तैयारी है.
कंपनियों के शेयरों में तेजी
योजना की घोषणा के बाद ज्यादातर डिफेंस शेयरों में बढ़त दर्ज की गई. सायंट डीएलएम के शेयर करीब 7 फीसदी तक उछले, जबकि डेटा पैटर्न्स 2.5 फीसदी ऊपर रहे. कोचीन शिपयार्ड और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) लगभग 1 फीसदी चढ़े. वहीं, सोलर इंडस्ट्रीज और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (BEL) में 0.6 फीसदी से ज्यादा की बढ़त दर्ज की गई.
मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स, बीईएमएल और भारत डायनेमिक्स (BDL) भी हरे निशान पर रहे. हालांकि, इस तेजी के बीच पारस डिफेंस के शेयर 1.5 फीसदी से ज्यादा टूट गए और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) भी करीब 1 फीसदी गिर गए.
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निवेशकों का मानना है कि जैसे ही इन योजनाओं पर सरकार की अंतिम मंजूरी मिलती है, डिफेंस सेक्टर की कंपनियों को बड़े ऑर्डर मिलने से और मजबूती मिल सकती है.
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