34 छोटे शहरों में बनेंगे रिंग रोड, 5 लाख से ज्यादा आबादी वालों को फायदा; लिस्ट में उदयपुर से लेकर अजमेर तक!

जनसंख्या के अनुसार अब महानगरों में 34 नए रिंग रोड का निर्माण होने का प्रस्ताव रखा गया है. इसमें सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने देशभर के प्रमुख शहरों में 34 नए रिंग रोड परियोजनाएं शुरू करने का निर्णय लिया है. ये योजनाएं पहले से चल रही 36 रिंग रोड परियोजनाओं के पूरे होने में और मदद करेगा.

रिंग रोड की प्रतिकात्मक चित्र

Ring Road: महानगरों से लेकर छोटे शहरों तक फैले ट्रैफिक जाम की समस्या अब गंभीर रूप ले चुकी है. सुबह-शाम के पीक ऑवर्स में वाहनों की लंबी कतारें और घंटों तक जाम में फंसे लोग आज शहरी जीवन का सामान्य हिस्सा बन चुके हैं. लेकिन अब इस स्थिति को बदलने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है.

जनसंख्या के अनुसार अब महानगरों में 34 नए प्रवेश-नियंत्रित रिंग रोड का निर्माण होने का प्रस्ताव रखा गया है. इसमें सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने देशभर के प्रमुख शहरों में 34 नए प्रवेश-नियंत्रित रिंग रोड परियोजनाएं शुरू करने का निर्णय लिया है. ये योजनाएं पहले से चल रही 36 रिंग रोड परियोजनाओं के पूरे होने में और मदद करेगा.

रिंग रोड के लिए खाका तैयार

शहरी क्षेत्रों में राष्ट्रीय राजमार्गों पर भीड़भाड़ कम करने के उद्देश्य से, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ग्रीनफील्ड रिंग रोड के निर्माण के लिए पाँच लाख से अधिक आबादी वाले शहरों और कस्बों की पहचान की हैं. योजना के तहत कोलकाता, अमरावती समूह, नासिक, तिरुवनंतपुरम, अजमेर, वारंगल, मंगलुरु, उदयपुर और तिरुनेलवेली जैसे शहरों को प्राथमिकता दी गई है. इन शहरों में आए दिन लगने वाले जाम से न सिर्फ नागरिक परेशान हैं, बल्कि यह इकोनॉमिक प्रोडक्शन को भी प्रभावित करता है.

रिंग रोड को 100 से 120 किमी प्रति घंटे की गति के हिसाब से डिजाइन किया जाएगा. मंत्रालय ने इसका विस्तृत रोडमैप तैयार कर लिया है और राज्य सरकारों से इन परियोजनाओं को जल्द ही शुरू होने के लिये सहयोग मांगा है. यह पहल न केवल ट्रैफिक को बेहतर बनाएगी, बल्कि माल ढुलाई और यात्रा समय को भी घटाएगी.

शहरीकरण के लिए जोनिंग नीति

इन रिंग रोड परियोजनाओं के तहत राजमार्ग के दोनों ओर 15 मीटर का विकास नियंत्रण क्षेत्र (Development Control Regulations- DCR) बनाया जाएगा, जिसमें केवल हरित पट्टियां और सार्वजनिक उपयोग की होंगी. इसके अलावा, 2 किलोमीटर के दायरे में एक नियमित विकास क्षेत्र भी निर्धारित किया जाएगा जिससे अनियंत्रित शहरीकरण को रोका जा सके.

राज्यों से फंड और भूमिअधिग्रहण में सहयोग की अपेक्षा

केंद्र सरकार ने राज्यों से इन परियोजनाओं में वित्तीय भागीदारी की अपेक्षा जताई है. इसके अंतर्गत टोल राजस्व के बदले लागत साझा करना, भूमि अधिग्रहण में सहयोग और भूमि पूलिंग मॉडल जैसे विकल्प प्रस्तावित किए गए हैं. अधिकारियों का मानना है कि इन परियोजनाओं से सीधे राज्यों को लाभ होगा, इसलिए उनकी सक्रिय भागीदारी जरूरी है.

सरकार का कहना है कि राज्यों की कनेक्टिवीटी बनेगी, और जनता को जाम मुक्त यात्रा का लाभ मिलेगा. मंत्रालय के अनुसार, 15 प्रमुख नगरपालिकाओं के डंप साइट्स से लगभग 277 लाख टन वेस्ट मैटेरियल का इस्तेमाल इन रिंग रोड के तटबंधों में किया जा सकता है. इससे न केवल निर्माण लागत कम होगी, बल्कि कचरा प्रबंधन की बड़ी चुनौती से भी निपटा जा सकेगा.

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