रुपये ने फिर बनाया ऑल टाइम लो, डॉलर के मुकाबले 90.56 पर पहुंचा; जानें क्या है वजह

भारतीय रुपया 12 दिसम्बर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90.47 पर पहुंच गया जो नया रिकॉर्ड लो है. साल 2025 में रुपया 5 फीसदी से अधिक कमजोर हुआ है. अमेरिकी आयात शुल्क और इंडिया यूएस ट्रेड डील में देरी से निर्यात और विदेशी निवेश पर दबाव बना है. फेड की नीति में अनिश्चितता और RBI के कम हस्तक्षेप से रुपये में उतार चढ़ाव बढ़ा है.

रुपया डॉलर के मुकाबले सबसे निचले स्तर 90.56 पर पहुंच गया. Image Credit: freepik

Rupee Dollar Exchange Rate: भारतीय रुपया 12 दिसम्बर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 90.56 पर पहुंच गया. यह इस महीने दूसरी बार है जब रुपया 90 के स्तर से नीचे गया है. साल 2025 में रुपया 5 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है. अमेरिकी इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने से भारत के एक्सपोर्ट पर असर पड़ा है और विदेशी निवेश भी कमजोर हुआ है. फेड की नीति स्पष्ट न होने से भी वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ी है.

रुपया 90.56 पर पहुंचा

12 दिसम्बर की सुबह रुपया 90.1760 — 90.5600 पर ट्रेड कर रहा था जो इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है. इससे पहले 4 दिसम्बर को यह 90.42 तक गया था. रुपये में यह गिरावट विदेशी बैंकों और निजी बैंकिंग चैनल के डॉलर डिमांड के कारण और तेज हुई.

इस साल 5 फीसदी गिरा

अमेरिका द्वारा भारतीय सामान पर 50 फीसदी तक टैरिफ लगाने से भारत के निर्यात पर दबाव बढ़ा है. इसी कारण डॉलर की मांग बढ़ी है और रुपये की स्थिति बिगड़ी है. स्थानीय इक्विटी भी कम आकर्षक हुई जिससे विदेशी निवेशक दूर हो रहे हैं. इन सब परिस्थितियों ने रुपये को लगातार कमजोर किया है.

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फेड की अनिश्चितता भी कारण

फेड रिजर्व ने ब्याज दर में कटौती के संकेत जरूर दिए लेकिन भविष्य की नीति पर अनिश्चितता बनी हुई है. 10 साल की अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड 4 फीसदी से बढ़कर 4.20 फीसदी तक पहुंच गई है जिससे ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट में सख्ती आई है.

इंडिया यूएस ट्रेड डील में देरी से दबाव और बढ़ा

भारतीय बाजार उम्मीद कर रहे थे कि इंडिया यूएस ट्रेड डील जल्द साइन होगी लेकिन देरी होने से विदेशी निवेश पर असर पड़ा है. इससे रुपये डॉलर रेट पर अतिरिक्त दबाव बढ़ा है.इसके अलावा पिछले एक से दो सप्ताह में आरबीआई ने फॉरेक्स बाजार में हस्तक्षेप कम किया है. इससे रुपये की वोलैटिलिटी बढ़ी है. कई ट्रेडर्स के स्टॉप लॉस ट्रिगर हो गए जिससे रुपये में और गिरावट आई.