BRICS शिखर सम्मेलन में जयशंकर का अमेरिका पर निशाना, कहा- व्यापार में रुकावटें बढ़ाना समाधान नहीं
BRICS वर्चुअल शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका की व्यापार नीतियों पर कड़ा रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि व्यापार में गैरजरूरी बाधाएं और गैर-व्यापारिक मुद्दों को व्यापार से जोड़ना किसी के लिए मददगार नहीं होगा. साथ ही, उन्होंने निष्पक्ष और पारदर्शी आर्थिक प्रथाओं की वकालत करते हुए मजबूत डिमांड सप्लाई और क्षेत्रीय आत्मनिर्भरता पर जोर दिया.

BRICS S Jaishankar On US Tariff: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार, 8 सितंबर को आयोजित वर्चुअल BRICS लीडर्स समिट में हिस्सा लिया और वैश्विक व्यापार में आ रही अनिश्चितताओं के बीच निष्पक्ष और पारदर्शी आर्थिक नीतियों की जरूरत पर जोर दिया. यह सम्मेलन ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा की अध्यक्षता में हुआ, जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी हिस्सा लिया. इस सम्मेलन में जयशंकर ने अमेरिका की टैरिफ नीति पर भी निशाना साधते हुए अपनी बात रखी. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग नहीं लिया और उनकी जगह विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत का प्रतिनिधित्व किया.
डिमांड सप्लाई को मजबूत बनाने पर जोर
जयशंकर ने कहा कि वैश्विक सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि प्रोडक्शन और निर्माण को अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में फैलाया जाए. उन्होंने कहा, “हमें मैन्युफैक्चरिंग को डेमोक्रिटाइज करना होगा और नए क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित करना होगा, ताकि क्षेत्रीय आत्मनिर्भरता हासिल हो सके.”
अमेरिका की टैरिफ नीति पर सीधा निशाना
विदेश मंत्री ने अमेरिका की ओर से भारतीय निर्यात पर लगाए गए भारी टैरिफ की आलोचना की. अमेरिका ने कुछ भारतीय प्रोडक्ट्स पर पहले 25 फीसदी टैक्स लगाया था, जिसे हाल ही में बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया. यह निर्णय पिछले महीने से लागू हो चुका है. जयशंकर ने स्पष्ट कहा कि व्यापार को लेकर बाधाएं बढ़ाना और लेन-देन को जटिल बनाना किसी के हित में नहीं है. उन्होंने कहा कि “व्यापार में रुकावटें बढ़ाना और लेन-देन को जटिल बनाना किसी के लिए मददगार नहीं होगा. इसी तरह गैर-व्यापारिक मसलों को व्यापार से जोड़ना भी सही नहीं है.”
भारत-अमेरिका व्यापार समझौता अधर में
भारत और अमेरिका के बीच एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) पर चर्चा मार्च 2025 में शुरू हुई थी. लेकिन अमेरिका के टैरिफ फैसले के बाद ये बातचीत अटक गई. इसके बावजूद दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है. अमेरिका के अलावा जयशंकर ने BRICS देशों के बीच व्यापार को लेकर आ रही परेशानियों पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि भारत के सबसे बड़े ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटे) में से कई BRICS पार्टनर्स के साथ हैं. इसलिए इन मुद्दों के जल्दी समाधान की जरूरत है.
जलवायु परिवर्तन पर भी दिया संदेश
विदेश मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि वैश्विक व्यापार विवादों और अड़चनों को हल करने के साथ-साथ बड़े मुद्दों जैसे क्लाइमेट चेंज पर भी तुरंत कदम उठाने होंगे. खास बात यह है कि भारत वर्ष 2026 में BRICS की रोटेटिंग चेयरमैनशिप संभालेगा. उस समय नई दिल्ली 18वां BRICS लीडर्स समिट की मेजबानी करेगी. BRICS से पहले, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हुई थी. उस दौरान भी भारत ने निर्यात को विविध बनाने, निर्भरता घटाने और मजबूत सप्लाई चेन बनाने पर जोर दिया था.
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