विदेशी निवेशकों की बड़ी निकासी के बीच DIIs की खरीदारी ने बाजार को संभाला; Nifty-Sensex में दिखी बढ़त

अगस्त 14, 2025 को समाप्त सप्ताह में FPIs ने भारतीय शेयर बाजार से 3048 करोड़़ रुपये की निकासी की, जबकि घरेलू निवेशकों ने 19,000 करोड़ रुपये की खरीदारी से बाजार को संभाला. Nifty और Sensex ने मामूली बढ़त दर्ज की, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं ने निवेशकों को सतर्क रखा.

विदेशी निवेशकों की निकासी जारी Image Credit: money9live.com

FPI and DII Stake in Share Market: भारतीय शेयर बाजार ने अगस्त 14 को समाप्त सप्ताह में विदेशी निवेशकों (FPIs) के निकासी के बावजूद मामूली सुधार देखा. FPIs ने इस दौरान करीब 3,048 करोड़ रुपये की निकासी की, जो पिछले सप्ताह की $1.3 बिलियन की भारी निकासी से काफी कम है. यह संकेत है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स अब ज्यादा सतर्क होकर बाजार में कदम रख रहे हैं.

कैसा था निफ्टी-सेंसेक्स?

शेयर बाजार के प्रमुख इंडेक्स, Nifty 24,631.30 और Sensex 80,597.66 पर बंद हुए, दोनों में सप्ताहभर में लगभग एक फीसदी की बढ़त दर्ज की गई. हालांकि, बाजार की कमजोरी मुख्य रूप से FPIs की इक्विटी बिक्री से आई. विदेशी निवेशकों ने कुल 6,236.31 करोड़ रुपये की बिक्री की, जबकि 1,125.17 करोड़ रुपये की खरीदारी प्राइमरी मार्केट में की, जिससे नेट आउटफ्लो 5,111.14 करोड़ रुपये रहा.

सतर्क हैं ग्लोबल निवेशक

डेब्ट मार्केट में स्थिति थोड़ी राहत देने वाली रही. कुल 2,063.17 करोड़ रुपये की नेट इनफ्लो दर्ज हुई. इसमें FAR डेब्ट में सबसे अधिक 3,897.89 करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जबकि General Limit और VRR डेब्ट में कुछ निकासी हुई. विदेशी निवेशक वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, अमेरिकी-भारत व्यापार तनाव और अमेरिकी डॉलर की मजबूती की वजह से सतर्क बने हुए हैं.

DIIs ने बनाई मजबूती

घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने इस दौरान बाजार में मजबूती बनाए रखी और 19,000 करोड़ रुपये की खरीदारी कर FPIs के शॉर्ट पोजीशन के असर को कम किया. डेरिवेटिव मार्केट में FPIs की स्थिति शॉर्ट रही, खासकर इंडेक्स फ्यूचर्स में. इंडेक्स ऑप्शंस में भी उच्च ट्रेडिंग हुई, जिससे बाजार में वोलैटिलिटी बढ़ी. अगर GST में कटौती, S&P की भारत रेटिंग अपग्रेड या दूसरे पॉजिटिव संकेत आएं, तो FPIs की शॉर्ट कवरिंग से बाजार में तेजी आ सकती है.

आगे की स्थिति?

ग्लोबल और घरेलू कारकों की बात करें तो, अमेरिका और भारत के बीच व्यापार संबंधों में तनाव और टैरिफ की अनिश्चितता ने विदेशी निवेशकों की सतर्कता बढ़ा दी. वहीं, S&P Global Ratings ने भारत की GDP ग्रोथ FY26 के लिए 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया. जुलाई में रिटेल मॉनेट्री 1.55 फीसदी  र आ गई, जो कई सालों में सबसे कम है. रूस और अमेरिका के बीच तनाव में कमी से टैरिफ के असर की चिंताओं में भी राहत मिली. आगे आने वाले हफ्तों में घरेलू आर्थिक आंकड़े जैसे PMI और अमेरिका के फेडरल रिजर्व की नीति बाजार की दिशा तय करेंगे. FPIs की स्थिति और वैश्विक घटनाएं भी बाजार की तेजी या कमजोरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी.

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