10 लाख करोड़ कैश ढेर पर बैठी हैं ये कंपनियां! 30 गुना बढ़ा खजाना, 1980% का रिटर्न; क्या यहीं है अगली वैल्यू स्टोरी?
भारत की कंपनियां नकदी के ढेर पर बैठी हैं, लेकिन बाजार अब भी सतर्क है. सवाल यह है कि क्या यह कैश अगले बड़े शेयर धमाके का कारण बनेगा या फिर कॉरपोरेट निवेश की सुस्ती इसे रोक लेगी? जानिए कौन-सी कंपनियां निवेशकों के लिए नई कहानी लिख सकती हैं.
Cash-Rich Companies in India: 1989 में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के सीआईओ एस. नरैन ने उस वक्त एक ऐसी कंपनी पर दांव लगाया था जिसे बाजार लगभग नजरअंदाज कर रहा था. यह कंपनी थी लक्ष्मी मशीन वर्क्स, जो टेक्सटाइल मशीनरी बनाती थी. खास बात यह थी कि उस समय कंपनी की नकद राशि उसके पूरे मार्केट कैप के बराबर थी, जबकि निवेशक इसे देख ही नहीं रहे थे. मात्र 400 रुपये पर ट्रेड हो रहा यह शेयर पांच साल में 35 गुना बढ़ गया. मांग और मुनाफे दोनों में तेजी आई, कंपनी ने नए प्लांट और उपकरणों में निवेश बढ़ाया और रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) भी ऊपर चला गया.
आज की स्थिति पर नजर डालें तो भारतीय कंपनियां 10.7 लाख करोड़ रुपये नकद पर बैठी हैं. कैश-टू-मार्केट कैप अनुपात 3.8 फीसदी है, फिर भी फंड मैनेजर सतर्क हैं और मांग के टिके रहने पर भरोसा करने से हिचक रहे हैं. अब सवाल फिर से वही है कि क्या इस दौर में बाजार अगली वैल्यू स्टोरी को नजरअंदाज कर रहा है?
निवेश में झिझक और कैपेक्स का संकट
वैश्विक माहौल ने कंपनियों की निवेश योजनाओं पर असर डाला है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीतियां अब एक बड़ा भू-राजनीतिक मुद्दा बन चुकी हैं, जिसका असर भारत सहित कई देशों पर दिख रहा है. कई मिड-टियर कंपनियों ने 2024 में क्यूआईपी (Qualified Institutional Placement) और राइट्स इश्यू से पूंजी जुटाई थी, लेकिन ताजा माहौल ने उनके नए निवेश की गति को धीमा कर दिया है.
आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि बैंकों द्वारा मंजूर परियोजनाओं की लागत घटकर 3.68 लाख करोड़ रुपये (907 प्रोजेक्ट) रह गई है, जो पिछले साल 3.91 लाख करोड़ रुपये (944 प्रोजेक्ट) थी. हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि मजबूत बैलेंस शीट और सस्ती ब्याज दरों के दम पर अगले साल कैपेक्स 2.67 लाख करोड़ रुपये तक जा सकता है.
नकदी बहुत, निवेश कम
2020 से अब तक कंपनियों का फ्री कैश फ्लो दोगुना होकर 15 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इसमें से करीब 8 लाख करोड़ रुपये स्थायी परिसंपत्तियों पर और 3.4 लाख करोड़ रुपये वित्तीय निवेशों पर खर्च हुए हैं. इसके बावजूद कंपनियां अभी भी घर-परिवार और सरकार की तुलना में निवेश में पीछे हैं.
क्रिसिल की स्टडी बताती है कि 2022 से 2024 के बीच परिवारों ने अपनी 64% बचत रियल एस्टेट में लगा दी, जो पिछले दस साल की औसत से ज्यादा है. वहीं सरकारी निवेश में भी तेजी आई. नतीजतन सकल स्थिर पूंजी निर्माण (GFCF) में घरों का योगदान 13.4% और सरकार का 13.9% रहा, जबकि कॉरपोरेट का योगदान महज 8.7% पर सीमित रहा.
आत्मनिर्भरता पर जोर, लेकिन कॉरपोरेट सुस्त
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर जोर देते आ रहे हैं. 15 अगस्त 2025 को लाल किले से उन्होंने कहा, “हमें आत्मनिर्भर बनना चाहिए, मजबूरी में नहीं, बल्कि मजबूती के साथ.” सरकार ने जीएसटी दरें घटाईं और कई प्रोत्साहन योजनाएं दीं.
लेकिन कॉरपोरेट जगत का रुख ठंडा ही नजर आ रहा है. नौकरियों की जरूरत, टैक्स रियायतों और प्रचुर पूंजी के बावजूद निवेश गति नहीं पकड़ पा रहा है. हालांकि FY25 में मंजूर हुई परियोजनाओं में 92 फीसदी ग्रीनफील्ड यानी नए प्रोजेक्ट रहे, जिनकी कीमत 3.34 लाख करोड़ रुपये थी. अनुमान है कि FY26 में कैपेक्स 2.20 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2.67 लाख करोड़ रुपये तक जा सकता है.
भारत की 7.8% जीडीपी वृद्धि और कम महंगाई दर सरकार को आशावादी बनाती है. लेकिन वैश्विक संकट साफ दिखाई दे रहा है. मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि यदि ट्रंप टैरिफ एक साल तक बरकरार रहते हैं तो भारत की जीडीपी ग्रोथ 0.7% तक घट सकती है. खासतौर से ज्वेलरी, टेक्सटाइल और फूड जैसी श्रम-प्रधान इंडस्ट्री को भारी झटका लगेगा. अप्रत्यक्ष असर यह होगा कि कॉरपोरेट कैपेक्स और धीमा पड़ जाएगा.
नकदी के ढेर पर कंपनियां
BSE 1000 इंडेक्स की 650 कंपनियों का अध्ययन बताता है कि मैनुफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की कंपनियां 10.71 लाख करोड़ रुपये नकद पर बैठी हैं, जबकि 2000 में यह आंकड़ा सिर्फ 5.56 लाख करोड़ रुपये था. यानी 14 फीसदी की सालाना बढ़ोतरी. हालांकि इसी दौरान उनका मार्केट कैप 28 फीसदी की दर से बढ़ा.
FY25 में कंपनियों ने संचालन से 15 लाख करोड़ रुपये कैश कमाया और 8 लाख करोड़ रुपये कैपेक्स में लगाया. इसका CFO-से-कैपेक्स अनुपात 1.8 गुना रहा. यह 2024 के 1.95 गुना से थोड़ा कम जरूर है, लेकिन 2020 के 1.77 गुना से ऊपर है. पिछले पांच साल में कैश फ्लो 12.5% और कैपेक्स 11.5% सालाना बढ़ा है.
कौन हैं बड़े खर्च करने वाले?
पूंजी जुटाने और नकदी भंडार बनाने में कई मिड-साइज कंपनियां आगे निकली हैं, और शेयर बाजार में आपको इनपर नजर बनाए रखना भी चाहिए. इन्हें अपने वॉचलिस्ट में शामिल करना, शायद आपके लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है.
- Kaynes Technology का कैश 2020 में 12 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 में 1,056 करोड़ रुपये हो गया. इसी साल कंपनी ने 1,500 करोड़ रुपये क्यूआईपी से जुटाए. वहीं अगर कंपनी के शेयरों पर नजर डाले तो पांच साल पहले कंपनी के शेयर महज 705 रुपये पर ट्रेड कर रहे थे, लेकिन अब कंपनी के एक शेयर की कीमत 6841 रुपये हो गई है यानी निवेशकों को 779 फीसदी का रिटर्न मिला है.
- दूसरी कंपनी इस लिस्ट में है Hitachi Energy. इसका कैश 200 करोड़ से बढ़कर 3,806 करोड़ हो गया. मार्च 2025 में इसने 2,000 करोड़ रुपये का क्यूआईपी भी किया. शेयर पांच साल पहले 971 रुपये थे लेकिन आज के वक्त में ये 18,850 रुपये पर ट्रेड करता है. निवेशकों को इस अवधी में 1980 फीसदी का मुनाफा मिला है.
- JSW स्टील का कैश 200 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,695 करोड़ रुपये हो गया. पांच साल पहले 282 रुपये पर ट्रेड करने वाला ये स्टॉक 1073 रुपये पर पहुंच गया है जिससे निवेशकों को 281 फीसदी का रिटर्न मिला है.
- Divi’s Labs का कैश पांच साल में 30 गुना बढ़कर 3,715 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. 2020 में कंपनी के शेयर की वैल्यू 3064 रुपये थीं जो अब 6009 रुपये हो गई है . निवेशकों को इस अवधी में 85 फीसदी का रिटर्न दिया है.
बीते पांच साल में कैश में जबरदस्त बढ़ोतरी दिखाने वाली कंपनियां
कंपनी | कैश (करोड़ रुपये में) | एक वर्ष में मूल्य परिवर्तन (%) | मार्केट कैप (करोड़ रुपये में) |
---|---|---|---|
Hindustan Aeronautics | 38182.25 | 25.51 | 13.67 |
Kaynes Technology India | 1056.31 | 65.49 | 3.48 |
Tube Investments of India | 2035.21 | -25.71 | 3.8 |
Coromandel International | 3538.34 | 84.15 | 6.07 |
Jindal Stainless | 2269.87 | -16.25 | 4.74 |
Natco Pharma | 2176 | -16.16 | 15.23 |
Divis Laboratories | 3715 | 67.98 | 2.42 |
United Spirits | 2030 | 23.57 | 1.99 |
EID Parry (India) | 3691.01 | 44.14 | 26.44 |
JSW Energy | 4695.17 | 8.04 | 5 |
Sobha | 1808.87 | -4.45 | 13.82 |
Hitachi Energy India | 3806.77 | 90.99 | 6.75 |
P I Industries | 2499.6 | -11.49 | 4.81 |
JSW Infrastructure | 2482.07 | 30.24 | 3.7 |
Varun Beverages | 2450.05 | 34.38 | 1.13 |
Route Mobile | 1332.73 | -41.63 | 22.71 |
Indus Towers | 1856.1 | 14.75 | 2.06 |
Gujarat Narmada Valley Fertilizers & Chemicals | 2308.4 | -20.55 | 31.65 |
Aegis Logistics | 3190.88 | 80.39 | 11.31 |
Dr Reddys Laboratories | 2460.2 | -7.03 | 2.58 |
Affle 3i | 1391.7 | 54.94 | 6.16 |
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इन कंपनियों को तुरंत अच्छे अवसर नहीं मिले तो वे बायबैक या डिविडेंड के रास्ते नकदी लौटा सकती हैं. लेकिन पूंजी जुटाने का मतलब यही है कि उन्हें भविष्य में विस्तार की उम्मीद है.
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कैसी हो सकती है आगे की राह?
आरबीआई मानता है कि भारत की बुनियादी आर्थिक स्थिति मजबूत है. असली चुनौती यह है कि कंपनियां अपनी नकदी और योजनाओं को कितनी तेजी से हकीकत में बदल पाती हैं. निवेशकों के लिए यह वह समय हो सकता है जब वे एस. नरैन जैसे वैल्यू हंटर्स की सोच से सीख लें. मुमकिन है कि अगली बड़ी वैल्यू स्टोरी इसी नकदी के ढेर से जन्म ले.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.