IRCTC हमेशा के लिए F&O से होगा बाहर, पोर्टफोलियो हेजिंग पर सीधा होगा असर, शेयरों में कम होगी सट्टेबाजी!

25 फरवरी 2026 की एक्सपायरी के बाद IRCTC में कोई नया फ्यूचर्स या ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट नहीं आएगा. मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगे. इसके बाद ट्रेडर इस शेयर में F&O के जरिए न तो नई खरीद कर पाएंगे और न ही शॉर्ट पोजिशन बना सकेंगे.

IRCTC Image Credit: Canva

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने बड़ा फैसला लेते हुए IRCTC को डेरिवेटिव यानी F&O सेगमेंट से हटाने का ऐलान किया है. यह बदलाव 25 फरवरी 2026 से लागू होगा. IRCTC अब तक डेरिवेटिव बाजार का एक पॉपुलर सरकारी शेयर रहा है, ऐसे में यह फैसला छोटे और बड़े दोनों तरह के निवेशकों के लिए अहम है. यह फैसला किसी तरह का बैन नहीं है, बल्कि IRCTC को F&O ट्रेडिंग से हमेशा के लिए बाहर किया जा रहा है. अब सवाल ये है कि इसका असर क्या होगा.

अब नए F&O कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिलेंगे

25 फरवरी 2026 की एक्सपायरी के बाद IRCTC में कोई नया फ्यूचर्स या ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट नहीं आएगा. मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगे. इसके बाद ट्रेडर इस शेयर में F&O के जरिए न तो नई खरीद कर पाएंगे और न ही शॉर्ट पोजिशन बना सकेंगे.

अब सिर्फ कैश मार्केट में ट्रेडिंग

F&O से बाहर होने के बाद IRCTC में सिर्फ कैश यानी इक्विटी सेगमेंट में ही कारोबार होगा. मतलब निवेशक अब सीधे शेयर खरीद और बेच पाएंगे. मार्जिन और लीवरेज के जरिए बड़ा सौदा करने की सुविधा खत्म हो जाएगी.

उतार-चढ़ाव कम हो सकता है!

आमतौर पर जिन शेयरों में F&O होता है, उनमें ज्यादा वॉल्यूम और तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. डेरिवेटिव से बाहर होने के बाद सट्टेबाजी कम हो सकती है, जिससे शेयर की चाल ज्यादा स्थिर रहने की उम्मीद रहती है. हालांकि, इससे ट्रेडिंग वॉल्यूम और लिक्विडिटी थोड़ी घट सकती है.

हेजिंग का विकल्प खत्म

बड़े संस्थागत निवेशक जो IRCTC में भारी निवेश रखते हैं, वे अब फ्यूचर्स या पुट ऑप्शन के जरिए गिरावट से बचाव नहीं कर पाएंगे. यानी रिस्क मैनेजमेंट के विकल्प सीमित हो जाएंगे.

F&O ट्रेडिंग क्या होती है?

यहां समझना जरूरी है कि F&O आखिर है क्या? दरअसल, F&O यानी फ्यूचर्स और ऑप्शंस. ये डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट होते हैं, जिनकी कीमत किसी शेयर पर आधारित होती है.

फ्यूचर्स

इसमें तय कीमत पर भविष्य की तारीख में शेयर खरीदने या बेचने का सौदा होता है. इससे शेयर के ऊपर या नीचे जाने पर दांव लगाया जाता है.

ऑप्शंस

इसमें निवेशक को तय कीमत पर शेयर खरीदने या बेचने का अधिकार मिलता है, लेकिन मजबूरी नहीं होती. इसे नुकसान से बचाव या कम पूंजी में मुनाफे के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

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डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.