कभी कर्ज में डूबा था Suzlon, अब भरी मुनाफे की उड़ान, दांव लगाने से पहले जान लें फायदे और नुकसान

विंड टरबाइन कंपनी सुजलॉन एनर्जी आजकल काफी चर्चाओं में है. एक समय ये कंपनी कर्ज में डूबी थी, लेकिन अब ये मुनाफे की ओर बढ़ रही है, इसे लगातार नए-नए ऑर्डर भी मिल रहे हैं, जिसकी वजह से इसकी कमाई बढ़ी है. ऐसे में अगर आप भी इसमें दांव लगाने की सोच रहे हैं तो कंपनी से जुड़ा नफा-नुकसान जान लें.

Suzlon Energy में दांव लगाना सही या नहीं? Image Credit: Tv9 Bharatvarsh

Suzlon Energy pros and Cons: विंड टरबाइन निर्माता सुजलॉन एनर्जी एक समय कर्ज के बोझ तले दबा था. नेगेटिव रिटर्न, लगातार घाटा और फंड की कमी ने इसे मुश्किल में डाल रखा था, लेकिन FY23 में कंपनी ने शानदार वापसी की. इक्विटी फंड जुटाने से लेकर कर्ज चुकाने और रेवेन्यू बढ़ाने की तिकड़ी ने कमाल कर दिया. यही वजह है कि कोविड काल के दौरान इस कंपनी का स्‍टॉक मार्च 2020 के निचले स्तर से 36 गुना बढ़ गया था. रिपोर्ट के मुताबिक हाल के निचले स्तरों से यह स्टॉक 30% उछला है, लेकिन अपने ऑल टाइम हाई से अभी भी 30% पीछे है. फिर भी कंपनी की बुनियाद मजबूत हो रही है, इसे नए-नए ऑर्डर मिल रहे हैं. ऐसे में अगर आप भी इसमें दांव लगाने की सोच रहे हैं तो इससे जुड़े फायदे और नुकसान जान लें.

क्‍या हैं फायदे?

फंडामेंटल ग्रोथ

इक्विटी मास्‍टर्स के अनुसार सुजलॉन के शेयरों में बीते साल एक बड़ा सकारात्मक बदलाव देखा गया, इसका कारण कंपनी के फंडामेंटल्‍स का मजबूत होना था. FY23 में सुजलॉन ने शानदार वापसी की. कंपनी ने इक्विटी फंड जुटाने, कर्ज चुकाने, और रेवेन्यू में इजाफे से कंपनी की नेटवर्थ को दोबारा पटरी पर ले आए. इससे इंवेस्‍टरों का भी कंपनी पर भरोसा बढ़ा है. इसकी रिकवरी भले ही FY24 कुछ धीमी रही हो, लेकिन साल के अंत तक कंपनी ने फिर से रफ्तार पकड़ ली. FY25 तो सके लिए पिछले एक दशक का सबसे शानदार साल रहा है. अभी इसके शेयरों की कीमत 65.16 रुपये है. एक साल में ये 20.60% तक उछल चुका है.

वित्‍तीय स्थिति हुई मजबूत

  • प्रॉफिट बिफोर टैक्स: 14.5 बिलियन रुपये, 10 साल का रिकॉर्ड.
  • रेवेन्यू: 67% की बढ़त के साथ 108.5 बिलियन रुपये.
  • EBITDA: 81% की उछाल के साथ 18.6 बिलियन रुपये.
  • डिलीवरी: 118% की वृद्धि के साथ 1,550 मेगावाट.
  • ऑर्डर बुक: फ्लैगशिप प्रोडक्ट S144 के लिए 5 गीगावाट से ज्यादा, जो भारतीय विंड एनर्जी मार्केट में सबसे बड़ा है.
  • कुल ऑर्डर बुक: FY25 के अंत में रिकॉर्ड 5.6 गीगावाट.
  • कैश पोजिशन: 19.5 बिलियन रुपये के साथ स्थिर.

आगे का रास्‍ता है मजबूत

FY25 में भारत ने 50 गीगावाट की विंड पावर क्षमता का बड़ा मुकाम हासिल किया और इसमें Suzlon की अहम भूमिका रही. 2030 तक 100 गीगावाट के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए सुजलॉन राष्ट्रीय विंड एनर्जी इकोसिस्टम में सबसे मजबूत स्थिति में है. इसके पास 5.6 गीगावाट का ऑर्डर बुक और मजबूत बैलेंस शीट है, जो कंपनी को लॉन्‍ग टर्म के लिहाज से बेहतर स्थिति में रखता है. इसके अलावा भारत सरकार की ओर से रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा दिए जाने से भी कंपनी को फायदा मिलेगा.

क्‍या हैं नुकसान?

चुनौतीपूर्ण सेक्टर

विंड एनर्जी इंडस्ट्री में काम करना आसान नहीं है. इक्विटी मास्‍टर की रिपोर्ट के मुताबिक जानकारों का मानना है कि इसमें ऑर्डर काफी हद तक सरकारी नीतियों पर निर्भर करते हैं. भारत में सुजलॉन का ऑर्डर बुक सीधे तौर पर सरकार के रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स के फंडिंग से जुड़ा है. ऐसे में कड़े क्वालिटी स्टैंडर्ड्स को फॉलो करना पड़ता है. इसके अलावा लैंड एक्विजिशन की दिक्कतें, उपकरणों की लागत, और पर्यावरणीय मुद्दे भी इस मामले में चुनौतियां हैं.

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हाई वैल्‍यूएशन

सुजलॉन एनर्जी का शेयर अभी P/E 43 और P/B 15 पर ट्रेड कर रहा है. पिछले साल के मुकाबले वैल्यूएशन में कमी आई है, लेकिन यह अभी भी महंगा है. कंपनी की बुनियादी स्थिति में सुधार और उज्ज्वल भविष्य के बावजूद, हाई वैल्यूएशन निवेशकों के लिए चुनौती है. इसके अलावा अगर कोई नेगेटिव रिपोर्ट आती है या सरकारी नीति में आकस्मिक बदलाव होता है तो ये शेयर की कीमत को प्रभावित कर सकता है. ऐसे में निवेशकों को इसमें दांव लगाने से पहले कंपनी से जुड़ी चुनौतियों और फायदे दोनों को ध्‍यान में रखना चाहिए.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.