गाड़ी चोरी होते ही फॉलो करें ये एक्शन प्लान, बीमा क्लेम और पुलिस कार्रवाई होगी आसान; जानें स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
गाड़ी चोरी होने पर घबराने के बजाय सही प्रक्रिया अपनाना जरूरी है. जानें स्टेप-बाय-स्टेप एक्शन प्लान FIR दर्ज कराने से लेकर पुलिस जांच, बीमा कंपनी को सूचना, FASTag ब्लॉक करना, RTO को रिपोर्ट देने और जरूरी डॉक्यूमेंटेशन तक की सभी प्रक्रिया. साथ ही समझें कि बीमा क्लेम के लिए किन कागज़ात की आवश्यकता होती है और पुलिस से Untraced रिपोर्ट कैसे प्राप्त करें.

Car theft insurance claim process: अचानक से अपनी गाड़ी गायब होते देखना किसी भी वाहन मालिक के लिए एक डरावना और तनावपूर्ण अनुभव से कम नहीं होता. ऐसे में घबराहट में गलत कदम उठाने के बजाय सही प्रक्रिया का पालन करना बेहद जरूरी है. अगर आप सही तरीके का पालन करते हैं, तो आपको परेशानी भी कम होगी. तो चलिए जानते हैं कि अगर आपकी गाड़ी चोरी हो जाए तो सही तरीका क्या है जिसे आपको पालन करना चाहिए.
सबसे पहले उठाएं ये कदम
तलाशी अभियान: जैसे ही आपको पता चले कि आपकी गाड़ी गायब है, समय बर्बाद किए बिना आस-पास के 200-300 मीटर के दायरे में अपनी गाड़ी को देखें. कई बार गाड़ी गलत जगह पार्क होने पर टो-अवे हो सकती है. आसपास के दुकानदारों, सुरक्षा गार्डों और रिक्शा चालकों से पूछताछ करें. नजदीकी ट्रैफिक पुलिस हेल्पलाइन पर संपर्क करके भी पता लगाएं कि कहीं वाहन को हटाया तो नहीं गया है.
तकनीक का इस्तेमाल: यदि आपके वाहन में कनेक्टेड कार ऐप्लिकेशन या GPS सुविधा है, तो तुरंत उसके अंतिम स्थान की जांच करें और उसका स्क्रीनशॉट लेकर सुरक्षित रख लें. महत्वपूर्ण बात यह है कि अकेले उस स्थान का पीछा करने न जाएं, यह खतरनाक हो सकता है. इस जानकारी को तुरंत पुलिस को सौंपें.
आपातकालीन कॉल: तुरंत 112 (अखिल भारतीय आपातकालीन नंबर) पर कॉल करके वाहन चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराएं. इस कॉल से प्राप्त घटना या DD नंबर को अवश्य नोट कर लें.
प्रारंभिक रिपोर्ट और पुलिस प्रक्रिया
FIR दर्ज कराना: निकटतम पुलिस स्टेशन जाकर प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज कराएं. ध्यान रखें, अगर घटना उस थाने के क्षेत्राधिकार के बाहर हुई है, तब भी पुलिस की यह जिम्मेदारी है कि वह जीरो FIR दर्ज करे. बाद में इस मामले का स्थानांतरण संबंधित थाने में कर दिया जाएगा. FIR की एक प्रति अपने पास अवश्य रखें.
अधिकारी से समन्वय: जांच अधिकारी (IO) से अनुरोध करें कि वह वाहन का इंजन और चेसिस नंबर CCTNS प्रणाली में अपलोड करे. साथ ही, ZIPNET या इंटर-स्टेट पोर्टल पर वाहन को “चोरी” के रूप में अंकित करवाएं ताकि अन्य राज्यों की पुलिस को भी इसकी सूचना मिल सके. यह प्रक्रिया दिल्ली-NCR, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों में विशेष रूप से प्रभावी है.
सुरक्षा और नोटिफिकेशन
बीमा कंपनी को सूचना: अपनी बीमा कंपनी को फोन, ऐप या ईमेल के माध्यम से तुरंत “चोरी दावा सूचना” दें. उन्हें अपनी पॉलिसी नंबर, FIR का विवरण और वाहन का अंतिम स्थान बताएं और एक क्लेम नंबर प्राप्त करें. अधिकांश बीमा पॉलिसियां ऐसी सूचना में देरी को स्वीकार नहीं करती हैं.
FASTag ब्लॉक करना: अपने बैंक (FASTag जारीकर्ता) की ग्राहक सेवा को तुरंत कॉल करके FASTag ब्लॉक करवा दें. इससे चोर द्वारा टोल प्लाजा पर होने वाले खर्चों को रोका जा सकेगा. IHMCL/NETC द्वारा भी यही सलाह दी जाती है.
लोन देने वाले को सूचित करना: यदि वाहन लोन पर खरीदा गया है, तो तुरंत संबंधित NBFC को इसकी सूचना दें. वे भविष्य में NOC और अन्य कागजात प्राप्त करने में सहायता करेंगे.
RTO को सूचना: संबंधित क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) को FIR की प्रति के साथ एक लिखित सूचना दें कि वाहन चोरी हो गया है. इससे RTO के रिकॉर्ड में वाहन को “ब्लैकलिस्टेड” या “चोरी” के रूप में चिह्नित किया जा सकेगा. बीमा क्लेम प्रक्रिया में भी यह पत्र मांगा जाता है.
CCTV फुटेज सुरक्षित करना: उस दिन के आसपास की दुकानों, इमारतों या सार्वजनिक स्थानों के CCTV कैमरों का फुटेज सुरक्षित कर लें और उसे टाइम स्टैम्प के साथ पुलिस को सौंप दें.
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डॉक्यूमेंटेशन और क्लेम तैयारी (2-7 दिन)
क्लेम डॉक्यूमेंट एकत्रित करना: बीमा कंपनी के क्लेम फॉर्म के साथ आमतौर पर इन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:
- FIR की प्रति
- बीमा पॉलिसी की प्रति
- ड्राइविंग लाइसेंस की प्रति
- RC की प्रति या डुप्लीकेट RC की रसीद
- वाहन की सभी चाबियां (यदि उपलब्ध हों)
- RTO को दी गई सूचना की प्रति
- बैंक NOC (यदि वाहन लोन पर है)
डुप्लीकेट RC के लिए आवेदन: यदि वाहन का RC कार के अंदर ही रह गया था, तो आप FIR की प्रति के साथ ऑनलाइन या ऑफलाइन Form 26 के माध्यम से डुप्लीकेट RC के लिए आवेदन कर सकते हैं.
लॉन्ग टर्म कार्रवाई (30-90 दिन)
Untraced रिपोर्ट प्राप्त करना: यदि पुलिस एक निश्चित अवधि (आमतौर पर 30-90 दिन) में वाहन का पता नहीं लगा पाती है, तो थाने या अदालत से एक “Untraced” या “non-traceable” रिपोर्ट प्राप्त करें. बीमा कंपनी द्वारा टोटल लॉस क्लेम का निपटान करने से पहले यह रिपोर्ट मांगी जाती है. इसके बाद आपको चाबियां, Subrogation Letter और RTO के विभिन्न फॉर्म (जैसे 28, 29, 30, 35) जमा करने होंगे.
महत्वपूर्ण सलाह और सावधानियां
- कभी भी अकेले चोरों का पीछा करने का जोखिम न उठाएं. हमेशा पुलिस के साथ समन्वय बनाकर काम करें.
- बीमा कंपनी और पुलिस को सूचना देने में देरी न करें, इससे क्लेम में समस्या आ सकती है.
- चाबियां या RC जैसे सबूत छुपाने या गलत जानकारी देने की गलती न करें, इससे क्लेम अस्वीकार हो सकता है.
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