Israel-Iran War पर एक्सपर्ट की सलाह: बेफिक्र रहें, गुलजार रहेगा भारत का बाजार; निफ्टी होगा 25555 पार!

इजरायल और ईरान के बीच जारी युद्ध ने दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी वोलैटिलिटी का माहौल बना दिया है. लेकिन, हिस्टोरिकल डाटा के आधार पर CNI Research के CMD किशोर ओस्तवाल का कहना है कि भारत का बाजार गुलजार रहने वाला है. वहीं, निफ्टी इस दौरान 25,555 के पार भी जा सकता है.

NSE Image Credit: TV9 Bharatvarsh

Israel-Iran War Impact on Indian Share Market: इजरायल की तरफ से पिछले सप्ताह ईरान की न्यूक्लियर ठिकानों पर किए गए हमलों के तुरंत बाद कच्चे तेल की कीमतों में 12 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हो गई. अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म जेपी मोर्गन ने दावा किया है कि क्रूड ऑयल का दाम 120 डॉलर प्रति बैरल जा सकता है. वहीं, ईरान के विदेश मंत्री का दावा है कि दाम 300 डॉलर तक उछल सकता है.

फिलहाल, कच्चे तेल का दाम 70 से 75 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में है. जाहिर तौर पर 120 डॉलर तक पहुंचने का असर भारत जैसी अर्थव्यवस्था के लिए नेगेटिव हो सकता है, क्योंकि भारत मोटे तौर पर ऑयल के लिए आयात पर निर्भर है. इससे भारत में महंगाई बढ़ सकती है, उद्योग ठप पड़ सकते हैं. आखिर में इस सबका असर भारत के शेयर बाजार पर हो सकता है, जहां पिछले सप्ताह शुक्रवार को भी बिकवाली का माहौल दिखा था.

बहरहाल, इन तमाम कयासों को बेबुनियाद बताते हुए CNI Research के CMD किशोर ओस्तवाल का कहना है कि निवेशकों को जरा भी चिंतित होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हिस्टोरिकल डाटा बताता है कि युद्ध जैसे हालात में बाजार जितना टूटता है, उतना ही उछल भी जाता है. ओस्तवाल कहते हैं कि शुक्रवार को यह डर फैलाया गया कि युद्ध से भारतीय बाजार का बुरा हाल हो जाएगा. निफ्टी 23,700 पर चला जाएगा. लेकिन, सच यह है कि इस तरह का माहौल बनाने वाले मूर्ख हैं.

बाजार और इकोनॉमी का क्या हाल?

ओस्तवाल का कहना है कि अगर बाजार की दिशा को समझना है, तो इकोनॉमी को देखना होगा. बेशक शेयर बाजार पर इस तरह के युद्ध का प्रभाव हो सकता है. लेकिन, हिस्टोरिकल ट्रेंड लॉन्ग टर्म में इस तरह के हालात का बहुत मामली असर दिखाते हैं.

युद्ध का बाजार पर कैसा असर?

यहां कुछ ऐसे पहलुओं को बताया गया है, जो बाजार और युद्ध के रिश्ते को दिखाते हैं. सबसे पहले शॉर्ट टर्म में बाजार में वोलैटिलिटी देखने को मिल सकती है. इसके अलावा डर के माहौल में बिकवाली बढ़ सकती है. हालांकि, डिफेंस और एनर्जी सेक्टर के शेयरों में खरीदारी बढ़ जाती है. लेकिन, लॉन्ग टर्म में देखें, तो इस तरह की स्थिति से बाजार बहुत जल्दी रिकवर कर जाते हैं.

बाजार में युद्ध की क्या भूमिका?

डिमांड और सप्लाई के लिहाज से देखा जाए, तो युद्ध जैसी स्थिति बाजार में तेजी के लिए कैटलिस्ट का काम करती है. बाजार को ऊपर बढ़ने के लिए शॉर्ट टर्म में डर की वजह से बिकवाली जैसी स्थिति रास आती है. फिलहाल, निफ्टी में बड़े निवेशकों की तगड़ी शॉर्ट पोजिशन बनी हुई है. ऐसे में निफ्टी के अगर एक सीमा से आगे जाता है, तो शॉर्ट कवरिंग होगी. जाहिर तौर पर इससे बाजार में तेजी आएगी.

भारतीय बाजार मजबूत

युद्ध जैसी स्थिति में हिस्टोरिकली भारतीय बाजार मजबूती दिखा चुका है. इसके अलावा फिलहाल देश की आर्थिक ताकत बाजार को चलाने वाली मुख्य ताकत है. किसी भी देश की आर्थिक शक्ति उस देश के शेयर बाजार की दिशा तय करती है. हालांकि, निवेशकों की भावना का बाजार की दिशा पर असर हो सकता है. क्योंंकि निवेशक अक्सर अनिश्चितता के माहौल से बचने के लिए गोल्ड और बॉन्ड जैसे सेफ एसेट का रुख करते हैं. लेकिन, कुछ लोगों के लिए यह ग्रोथ का अवसर होता है.

क्या बताता है हिस्टोरिकल ट्रेंड?

दूसरे विश्व युद्ध से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध तक दुनियाभर के शेयर बाजारों का हिस्टोरिकल डाटा बताता है कि युद्ध बाजारों के लिए एक बार रुकावट जरूरत बनते हैं. लेकिन, इस तरह के हालात से बाजार बहुत जल्द रिकवर हो जाते हैं और नई ऊंचाई की तरफ बढ़ते हैं. वहीं, अगर भारत के लिहाज से बात करें, तो चाहे करगिल वार हो या बालाकोट एयर स्ट्राइक, या ऑपरेशन सिंदूर बाजार का रुख अक्सर ऐसा रहा है, जिससे निवेशकों को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नजर नहीं आती है.

कहां तक पहुंचेगा निफ्टी?

ओस्तवाल कहते हैं कि बाजार में कुछ लोग डर का माहौल बनाना चाहते हैं. लेकिन, निफ्टी में 120 लाख की शॉर्ट पोजिशन बताती है कि निफ्टी जल्द ही 25555 के पार होगा और इसके बाद 26600 को पार करेगा. ओस्तावाल कहते हैं कि आखिर में यह याद रखें कि दुनिया इस तरह के मामलों से उबरती आई है. अगर इस बार ऐसा नहीं हुआ, तो फिर यह मायने नहीं रखता कि आपका पोर्टफोलियो कैसा दिखता है.

यह भी पढ़ें: 200 डॉलर पहुंच जाएंगे कच्चे तेल के दाम, इराक के डिप्टी पीएम का दावा, रोज गायब होगा 50 लाख बैरल