मेहुल चोकसी के 14,000 करोड़ के घोटाले ने दिया था PNB को बड़ा झटका, 7 साल बाद भी नहीं उबर पाया शेयर
PNB Share Price: चोकसी अपने भतीजे नीरव मोदी के साथ भारतीय बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय धोखाधड़ी में से एक में मुख्य आरोपी है. 2018 की शुरुआत में सामने आए इस घोटाले ने देश को झकझोर दिया था. यह घोटाला 2014 से 2017 के बीच किया गया था.
PNB Share Price: इस सप्ताह के आखिर में फरार ज्वैलर मेहुल चोकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी ने 2018 में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में हुए 14,000 करोड़ रुपये के घोटाले की ओर फिर से ध्यान खींचा है. चोकसी अपने भतीजे नीरव मोदी के साथ भारतीय बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय धोखाधड़ी में से एक में मुख्य आरोपी है, जिसे उन्होंने कुछ भ्रष्ट PNB कर्मचारियों की मदद से अंजाम दिया था. 2018 की शुरुआत में सामने आए इस घोटाले ने न केवल देश को झकझोर दिया था, बल्कि PNB के शेयरधारकों के लिए भी मुसीबत खड़ी कर दी, जिन्होंने पांच महीनों में अपने शेयर प्राइस का लगभग 50 फीसदी गंवा दिया. इस घोटाले का असर शेयरों पर अभी भी बना हुआ है, क्योंकि शेयर की की कीमत धोखाधड़ी से पहले के स्तर पर वापस नहीं आ पाई है.
क्या था घोटाला?
यह घोटाला 2014 से 2017 के बीच किया गया था. साल 2018 में यह तब समाने आया, जब बैंक ने बताया कि मुंबई में इसके ब्रैडी हाउस ब्रॉन्च से 13,000 करोड़ रुपये से अधिक के फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) जारी किए गए थे. इन LoU का इस्तेमाल नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की स्वामित्व वाली कंपनियों – जैसे गीतांजलि जेम्स, डायमंड आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टेलर डायमंड्स के लिए विदेशी बैंकों से लोन प्राप्त करने के लिए किया गया था. बाद में ये कंपनियां फर्जी या शेल फर्म पाई गईं.
देश छोड़कर भाग गए मेहुल चोकसी और नीरव मोदी
हालांकि, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी घोटाला सामने आने से पहले ही देश छोड़कर भाग गए थे. मार्च 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन अधिनियम (PMLA) के तहत एक विशेष अदालत ने मेहुल चोकसी और इसमें शामिल अन्य लोगों के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया. तब से मेहुल चोकसी गिरफ्तारी से बचता रहा. हालांकि, शनिवार 12 अप्रैल को बेल्जियम के अधिकारियों द्वारा उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
शेयरों में आई भारी गिरावट
साल 2018 के मध्य में पहली बार पीएनबी आधिकारिक रूप से घोटाले की रिपोर्ट की थी. इसके बाद शेयर में गिरावट का दौर शुरू हो गया था. 14 फरवरी को लगभग 160 रुपये पर कारोबार करने वाले PNB के शेयर की कीमत महीने के अंत तक 100 रुपये से नीचे के स्तर पर पहुंच गई, जो जून 2016 के बाद से इसका सबसे निचला स्तर था. घोटाले के सामने आने के एक महीने के भीतर, शेयर ने अपने कीमत का 40 फीसदी और छह महीने के भीतर लगभग 55 फीसदी गंवा दिया. लगभग दो साल बाद फरवरी 2020 में शेयर 50 रुपये से नीचे के स्तर पर कारोबार कर रहा था.
रिकवर नहीं हो पाए हैं शेयर
आज भी शेयर उस लेवल पर वापस नहीं आ पाए हैं. आखिरी कारोबारी कीमत बंद होने पर पीएनबी के शेयर 96.02 रुपये प्रति शेयर पर थे. घोटाले का असर बैंक के बहीखातों पर भी पड़ा. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2018 तिमाही में बैंक ने 13,417 करोड़ रुपये का नेट लॉस दर्ज किया, यह किसी भी भारतीय बैंक का अब तक का सबसे बड़ा घाटा है.
बैंक ने 31 मार्च 2018 तक तीन महीनों में आवश्यक से अधिक 7178 करोड़ रुपये अलग रख दिए, या अवैध गारंटी के लिए अन्य बैंकों को दिए जाने वाले कुल 14,357 करोड़ रुपये का आधा हिस्सा. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसके कारण एक साल पहले की तुलना में इसके कुल प्रोविजन तीन गुना से अधिक बढ़कर 20353 करोड़ रुपये हो गए.