गोता खा गया डॉलर, 50 साल के निचले स्तर पर, 6 महीने में 10% फिसला; ट्रंप के इस फैसले ने लुटिया डुबोई!

मंगलवार को डॉलर, यूरो के मुकाबले सितंबर 2021 के बाद के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. इसके पीछे मुख्य वजह राष्ट्रपति ट्रंप की भारी खर्च वाली योजना है, जिससे अमेरिका की आर्थिक सेहत को लेकर चिंता बढ़ गई है. आइए पूरी खबर को विस्तार से जानते हैं.

डॉलर इंडेक्स में गिरावट. Image Credit: Canva

ट्रंप सरकार बनते ही डॉलर को बड़ा झटका लगा है. 2025 की पहली छमाही अमेरिकी डॉलर के लिए ऐतिहासिक रूप से कमजोर रही. डॉलर इस साल जनवरी से जून के बीच 10 फीसदी गिर चुका है, जो 1970 के दशक की शुरुआत में फ्री-फ्लोटिंग करेंसी सिस्टम लागू होने के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. डॉलर की ये स्थिति अमेरिका की आर्थिक और राजनीतिक हालात को लेकर बढ़ती चिंता का नतीजा है.

यूरो और येन में रिकॉर्ड मजबूती

मंगलवार को डॉलर यूरो के मुकाबले 1.179 डॉलर के स्तर तक गिर गया, जो सितंबर 2021 के बाद का सबसे कमजोर स्तर है. यूरो ने इस साल की पहली छमाही में 13.8 फीसदी की मजबूती दर्ज की, जो अब तक किसी भी छह महीने की अवधि में उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन है. वहीं जापानी येन 143.68 प्रति डॉलर तक मजबूत हुआ है और इसने 9 फीसदी की बढ़त हासिल की है, जो 2016 के बाद उसकी सबसे बड़ी छमाही छलांग मानी जा रही है. ब्रिटिश पाउंड भी मजबूती के साथ 1.3737 डॉलर पर स्थिर है, जो पिछले हफ्ते के साढ़े तीन साल के उच्च स्तर के करीब है.

डॉलर इंडेक्स गिरकर फरवरी 2022 के स्तर पर

डॉलर इंडेक्स गिरकर 96.688 पर पहुंच गया है. यह फरवरी 2022 के बाद का सबसे निचला स्तर है.

ट्रंप की नीतियों से कंडीशन बिगड़ी

डॉलर में गिरावट की सबसे बड़ी वजह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैक्स कट और खर्चीली योजना है, जिससे अमेरिकी के राष्ट्रीय कर्ज में अनुमानित 3.3 ट्रिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है.

फेड पर राजनीतिक दबाव

ट्रंप ने फेडरल रिजर्व पर लगातार दबाव बनाया है कि वह ब्याज दरें घटाए. उन्होंने फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल को दुनिया के विभिन्न देशों की ब्याज दरों की एक सूची भेजी है और लिखा है कि अमेरिका की दरें जापान (0.5 फीसदी) और डेनमार्क (1.75 फीसदी) के बीच होनी चाहिए. ट्रंप ने हाल ही में पॉवेल से इस्तीफे की भी मांग की. इस राजनीतिक हस्तक्षेप से फेड की स्वतंत्रता और उसकी साख को लेकर बाजारों में सवाल खड़े हो गए हैं.

अर्थव्यवस्था और नौकरियों के संकेत कमजोर

बाजार की नजर अब इस हफ्ते के अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों पर है, खासकर गुरुवार को आने वाली नॉन-फार्म पेरोल रिपोर्ट पर. रायटर्स के सर्वे के मुताबिक, जून में सिर्फ 110,000 नई नौकरियों की उम्मीद है, जो मई के 139,000 से कम है. इसके अलावा, बेरोजगारी दर भी 4.2 फीसदी से बढ़कर 4.3 फीसदी होने की संभावना है.

व्यापार मोर्चे पर भी अनिश्चितता

उधर, ट्रंप की टैरिफ डेडलाइन भी नजदीक आ रही है और अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों के साथ कोई ठोस समझौता नहीं हो सका है. ट्रंप जापान के साथ चल रही बातचीत से भी नाखुश हैं और नए टैरिफ लगाने की धमकी दी है.