Rupee vs Dollar: रुपया फिर रिकॉर्ड लो पर, 90 अब दूर नहीं; इन वजहों से गिरावट जारी

रुपये के और कमजोर होने की चिंता में इंपोर्टर अपनी डॉलर हेजिंग आगे ला रहे हैं, जिससे रुपये पर और दबाव आया है. दूसरी तरफ, एक्सपोर्टर अपने डॉलर कन्वर्जन को टाल रहे हैं ताकि आगे और बेहतर रेट मिल सके. कई जानकार उम्मीद कर रहे थे कि अगर ट्रेड डील होती है तो रुपये के सेंटिमेंट में सुधार आता, लेकिन डील न होने से रुपये पर एक और नेगेटिव असर जुड़ गया है.

डॉलर और रुपया Image Credit: Money9live

भारतीय रुपये पर दबाव लगातार बढ़ रहा है. मंगलवार को रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. विदेशी फंडों का मजबूती से ना आना, बढ़ता ट्रेड डेफिसिट और अमेरिका–भारत ट्रेड डील में देरी ने रुपये का मूड बिगाड़ दिया. इंट्राडे में यह 89.9225 तक फिसल गया. जो सोमवार के 89.7575 के पिछले रिकॉर्ड लो से भी नीचे था.

मजबूत GDP और कम महंगाई का भी असर बेअसर

भारत में सितंबर तिमाही में मजबूत आर्थिक ग्रोथ और कम महंगाई आमतौर पर रुपये को सपोर्ट देती हैं, लेकिन इस बार निवेशकों का फोकस सिर्फ फ्लो और डॉलर डिमांड–सप्लाई पर है विदेशी निवेशक भारतीय इक्विटी मार्केट से 17 अरब डॉलर निकाल चुके हैं. यह आउटफ्लो रुपये के लिये बड़ा झटका रहा है. ट्रेड डेफिसिट लगातार बढ़ रहा है. HSBC का अनुमान है कि करंट अकाउंट डेफिसिट इस वित्त वर्ष में 0.6 फीसदी से बढ़कर 1.4 फीसदी GDP तक जा सकता है.

डॉलर खरीद तेज

रुपये के और कमजोर होने की चिंता में इंपोर्टर अपनी डॉलर हेजिंग आगे ला रहे हैं, जिससे रुपये पर और दबाव आया है. दूसरी तरफ, एक्सपोर्टर अपने डॉलर कन्वर्जन को टाल रहे हैं ताकि आगे और बेहतर रेट मिल सके.

यूएस–इंडिया ट्रेड डील की कमी

कई जानकार उम्मीद कर रहे थे कि अगर ट्रेड डील होती है तो रुपये के सेंटिमेंट में सुधार आता, लेकिन डील न होने से रुपये पर एक और नेगेटिव असर जुड़ गया है.

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88.80 टूटते ही तेज हुई गिरावट

ट्रेडर्स के अनुसार RBI कई हफ्तों से 88.80 के लेवल को बचाने की कोशिश कर रहे थे. जब यह सपोर्ट टूट गया, तो रुपये पर तेजी से दबाव बढ़ा और यह 90 रुपये के स्तर के करीब जा पहुंचा.

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