SEBI का बड़ा फैसला, अब सिर्फ F&O शेयरों में ही होगी शॉर्ट सेलिंग; जानें कब से होगा लागू

सेबी ने भारतीय शेयर बाजार में शॉर्ट सेलिंग से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है. 22 दिसंबर 2025 से नॉन-F&O शेयरों में शॉर्ट सेलिंग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाएगा. अब रिटेल और इंस्टीट्यूशनल निवेशक केवल F&O एलिजिबल शेयरों में ही शॉर्ट सेलिंग कर सकेंगे.

सेबी Image Credit: tv9 bharatvarsh

Sebi short selling rules: भारतीय शेयर बाजार में ट्रेडिंग नियमों को लेकर बाजार नियामक सेबी ने अहम बदलाव किया है. बिजनेस वर्ल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी ने 22 दिसंबर 2025 से नॉन-F&O शेयरों में शॉर्ट सेलिंग पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. इसके बाद अब शॉर्ट सेलिंग केवल उन्हीं शेयरों में की जा सकेगी, जो फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सेगमेंट में शामिल हैं. बीते कुछ समय से इक्विटी मार्केट में बढ़ती वोलैटिलिटी और सेटलमेंट से जुड़े जोखिमों को देखते हुए सेबी लगातार नियमों की समीक्षा कर रहा था. नॉन-F&O शेयरों में शॉर्ट सेलिंग को लेकर पारदर्शिता और रिस्क मैनेजमेंट से जुड़े सवाल उठ रहे थे.

क्या होती है शॉर्ट सेलिंग

शॉर्ट सेलिंग एक ऐसी ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी है, जिसमें निवेशक ऐसे शेयर बेचता है, जो उसके पास मौजूद नहीं होते. निवेशक यह उम्मीद करता है कि भविष्य में शेयर की कीमत गिरेगी और वह बाद में कम दाम पर वही शेयर खरीदकर डिलीवरी दे देगा. हालांकि, अगर शेयर की कीमत बढ़ जाती है, तो निवेशक को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

इसी वजह से शॉर्ट सेलिंग को एक हाई-रिस्क ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी माना जाता है. भारत में शॉर्ट सेलिंग को लेकर पहले से ही सख्त नियम मौजूद रहे हैं. नेकेड शॉर्ट सेलिंग यानी बिना शेयर उधार लिए बिक्री करने पर पहले से ही प्रतिबंध है, और नए नियमों में भी यह पाबंदी जारी रहेगी.

नए नियमों में क्या बदलेगा

सेबी के नए फ्रेमवर्क के तहत अब रिटेल और इंस्टीट्यूशनल, दोनों तरह के निवेशक केवल एफएंडओ एलिजिबल शेयरों में ही शॉर्ट सेलिंग कर सकेंगे. इसके साथ ही डिस्क्लोजर नियमों को और सख्त किया गया है. इंस्टीट्यूशनल निवेशकों को ऑर्डर प्लेस करते समय ही शॉर्ट सेल की जानकारी देनी होगी, जबकि रिटेल निवेशकों को ट्रेडिंग सेशन के अंत में इसकी जानकारी देना अनिवार्य होगा. स्टॉक एक्सचेंज और ब्रोकर्स को भी शॉर्ट सेल पोजिशन से जुड़ा डेटा एकत्र कर सार्वजनिक करना होगा. इससे बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी और निवेशकों को जोखिम का बेहतर अंदाजा मिल सकेगा.

बाजार पर क्या होगा असर

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि नॉन-F&O शेयरों में शॉर्ट सेलिंग पर रोक से खासतौर पर स्मॉलकैप और मिडकैप सेगमेंट में लिक्विडिटी पर असर पड़ सकता है. कुछ ब्रोकर्स का कहना है कि इससे कैश इक्विटी सेगमेंट में ट्रेडिंग वॉल्यूम घट सकता है और प्राइस डिस्कवरी की प्रक्रिया धीमी हो सकती है. हालांकि, सेबी का तर्क है कि F&O शेयरों में पहले से ही ज्यादा लिक्विडिटी और बेहतर रेगुलेटरी निगरानी मौजूद है. ऐसे में शॉर्ट सेलिंग को इसी सेगमेंट तक सीमित रखना बाजार की सेहत के लिए बेहतर होगा.

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