Q1 में 2,674% प्रॉफिट ग्रोथ, 50 रुपये से कम कीमत, 500 करोड़ मार्केट कैप, क्या मल्टीबैगर बनेगा ये पैनी शेयर?
शेयर मार्केट में हर कोई मल्टीबैगर स्टॉक्स की तलाश में रहता है. कई शेयर ऐसे होते हैं, जो मल्टीबैगर वाले संकेत दे रहे होते हैं, लेकिन, अक्सर निवेशकों को ऐसे शेयरों के बारे में बहुत देर से पता चलता है. वहीं, कई बार ऐसा होता है कि ये संकेत सतही होते हैं और कंपनी के वास्तवित हालात कुछ और ही होते हैं. हम यहां एक ऐसे स्टॉक की पड़ताल कर रहे हैं जिसने Q1 FY26 में 2,674% की तगड़ी प्रॉफिट ग्रोथ रिपोर्ट की है.
Multibagger In Making: अगर आप Mirza International के Q1 FY26 में रिपोर्ट किए गए 2,674% के ताबड़तोड़ प्रॉफिट से इस शेयर पर नजरें गढ़ाए हुए हैं, तो जानते हैं कि आखिर कंपनी को यह प्रॉफिट किस बिजनेस से हुआ है. लंबे समय से बेहद कम प्रॉफिट और घाटे की स्थिति से उबरकर अचानक कंपनी को इतना प्रॉफिट कैसे हुआ? क्या वाकई अब यह स्टॉक मल्टीबैगर बनने की तरफ बढ़ सकता है. क्योंकि, कंपनी का शेयर फिलहाल 0.89x की बुक वैल्यू पर बेहद आकर्षक वैल्युएशन पर मिल रहा है. Q1 नतीजों के बाद से कंपनी के शेयर में 17 फीसदी से ज्यादा की तेजी आ चुकी है. सोमवार को भी यह स्टॉक 8 फीसदी से ज्यादा तेजी के साथ बंद हुआ है.
शेयर का प्रदर्शन और मार्केट कैप
कंपनी का मार्केट कैप फिलहाल 512 करोड़ रुपये का है. सोमवार को इसका शेयर 36.10 रुपये पर बंद हुआ. यह इसके 52-वीक हाई 48 रुपये से करीब 24.8% नीचे है. पिछले 5 साल में इस इस स्टॉक ने 26% का नेगेटिव रिटर्न दिया है. लेकिन, हालिया नतीजों के बाद इसमें जोरदार तेजी आई है.
शेयरहोल्डिंग पैटर्न
सितंबर 2022 में इस शेयर में FII-DII की 6 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रही थी. लेकिन, फिलहाल, यह हिस्सेदारी 1 फीसदी से भी कम है. हालांकि, इस दौरान कंपनी के प्रमोटर्स की होल्डिंग जहां 2022 में 67.95% थी. अब बढ़कर 71.26% हो गई है. इस तरह कंपनी में प्रमोटर होल्डिंग बढ़ी है.
Quarter / Year | Sep 2022 | Sep 2023 | Sep 2024 | Mar 2025 | Jun 2025 |
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Promoters + | 67.95% | 71.76% | 71.27% | 71.27% | 71.27% |
FIIs + | 3.49% | 1.38% | 0.30% | 0.14% | 0.14% |
DIIs + | 3.87% | 0.00% | 0.00% | 0.01% | 0.01% |
Public + | 24.69% | 26.85% | 28.44% | 28.57% | 28.58% |
No. of Shareholders | 70,808 | 87,644 | 81,943 | 83,184 | 81,699 |
Q1 FY26 के नतीजे कैसे रहे?
YoY आधार पर Q1 FY26 कंपनी के रेवेन्यू में मामूली गिरावट देखी गई है, लेकिन QoQ सुधार हुआ है. कंपनी ने Q1 FY26 में 142 करोड़ रुपये का रेवेन्यू रिपार्ट किया है, जो सालाना आधार (YoY) पर 1.4% कम है. पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में रेवेन्यू 144 करोड़ रुपये रहा था. हालांकि, तिमाही आधार (QoQ) पर रेवेन्यू 16.4% बढ़ा है, पिछली तिमाही (Q4 FY25) में रेवेन्यू 122 करोड़ रुपये रहा था. हालांकि, दिलचस्प बात यह रही कि भले की कंपनी के रेवन्यू में बड़ा उछाल नहीं आया है, लेकिन Q1 FY26 में नेट प्रॉफिट 17.80 करोड़ रहा, यह पिछले साल की समान तिमाही Q1 FY25 के में केवल 64.19 लाख रुपये था और पिछली तिमाही में कंपनी को 4 करोड़ का नेट लॉस हुआ था. इस तरह तिमाही आधार पर प्रॉफिट में 2,674% का उछाल आया है.
क्या करती है कंपनी?
कंपनी फुटवियर और टेनरी सेगमेंट के प्रोडक्ट बनाती है. कंपनी के फुटवियर बिजनेस का रेवेन्यू 121.34 करोड़ रहा है, जिसमें YoY 2% गिरावट की गिरावट आई है. लेकिन, टेनरी बिजनेस का रेवेन्यू 46 करोड़ रहा है, जिसमें YoY 25% की बढ़ोतरी देखने को मिली है.
क्यों अचानक इतना बढ़ा मुनाफा?
कंपनी का मुनाफा असल में 19 करोड़ के एक्सेप्शनल आइटम सेल के कारण बढ़ा है. वहीं, ऑपरेटिंग प्रॉफिट केवल 18% बढ़कर 13 करोड़ रुपये हुआ है, जो पिछले साल 11 करोड़ रुपये रहा था.
क्या है कंपनी का बिजनेस मॉडल?
कंपनी भारत और वैश्विक बाजारों के लिए लेदर फुटवियर और फिनिश्ड लेदर प्रोडक्ट्स का निर्माण, बिक्री और निर्यात करती है. इसके प्रमुख बाजारों में यूके और यूएस शामिल हैं. कंपनी के प्रोडक्ट थॉमस क्रिक, ऑफ द हुक लंदन और ओकट्रैक जैसे ब्रांड्स नेम के साथ बेचे जाते हैं.
निवेशकों के लिए क्या संकेत?
एनालिस्टों का कहना है कि कंपनी के मुनाफे में आई यह असाधारण वृद्धि सिंगल टाइम वाली है. हालांकि, इसके बावजूद, कंपनी के ऑपरेटिंग परफॉर्मेंस में सुधार हुआ है. टेनरी सेगमेंट की मजबूत ग्रोथ दिखा रहा है, ये सभी पॉजिटिव संकेत हैं. इसके अलावा ब्रिटेन के साथ हुए FTA से भी कंपनी को निर्यात में फायदा हाे सकता है. वहीं, अगर अमेरिका के साथ भी कोई ब्रिटेन जैसा समझौता हुआ, तो कंपनी का बिजनेस तेजी से बढ़ सकता है.
क्या हैं कंपनी की खामियां?
कंपनी की वित्तीय स्थिति के कई संकेतक निवेशकों के लिए चिंता का विषय हैं. मसलन, लो इंटरेस्ट कवरेज रेशियो बताता है कि कंपनी की कमाई (EBIT) उसकी ब्याज देनदारियों को पर्याप्त रूप से कवर नहीं कर पा रही है, जिससे कर्ज चुकाने की क्षमता कमजोर दिख रही है. इसके अलावा पिछले पांच वर्षों में -14.4% की बिक्री वृद्धि दर्शाती है कि कंपनी का रेवेन्यू लॉन्ग टर्म में घटा है, जो बिजनेस की कमजोर मांग या कॉम्पिटिशन बढ़ने का संकेत देता है. इसके अलावा पिछले तीन वर्षों में रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) सिर्फ 1.95% रहा, जो दर्शाता है कि शेयरधारकों के निवेश पर कंपनी पर्याप्त रिटर्न नहीं दे पा रही है. इसके अलावा कंपनी की कमाई में 20.4 करोड़ रुपये की आय अन्य स्रोतों से बताई गई है, जिसका मतलब है कि मुनाफा ऑपरेटिंग एक्टिविटीज से नहीं आया है. आखिर में उधारी की लागत (Cost of Borrowing) ज्यादा होना भी बताता है कि कंपनी कर्ज पर भारी ब्याज दे रही है, जिससे प्रॉफिट पर दबाव बढ़ रहा है.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.