Waaree, Premier Energies के मुकाबले कहां ठहरती है Vikram Solar? 63 रुपये GMP; मंगलवार को खुलेगा IPO

विक्रम सोलर अपने IPO के जरिए बाजार में ऐसे समय उतर रही है, जब भारत का सौर ऊर्जा क्षेत्र तेजी से विस्तार कर रहा है. मजबूत ऑर्डर बुक, बेहतर क्षमता उपयोग और बैलेंस शीट की मजबूती इसे भविष्य के ग्रोथ के लिए तैयार बनाते हैं. हालांकि मार्जिन और रिटर्न रेशियो अभी क्षेत्र के दिग्गजों से पीछे हैं.

निवेशकों की नजर Vikram Solar पर! Image Credit: Money9 Live

Vikram Solar IPO vs Waaree Energies: भारत का सौर ऊर्जा विनिर्माण (Solar Manufacturing) क्षेत्र इन दिनों तेजी से विस्तार के दौर से गुजर रहा है. घरेलू मांग, निर्यात के बड़े अवसर और सरकार की नीतियों जैसे ALMM (Approved List of Module Manufacturers) ने इस क्षेत्र को मजबूती दी है. नतीजतन, कंपनियों ने अपने ग्रोथ को देखते हुए शेयर बाजार में भी एंट्री लगातार कर रही हैं. पहले से लिस्टेड कंपनियां जैसे वारी एनर्जीज (Waaree Energies), प्रीमियर एनर्जीज (Premier Energies) और वेबसॉल एनर्जी सिस्टम (Websol Energy System) निवेशकों को अच्छा खासा रिटर्न दे चुकी हैं.

अब इसी कड़ी में 19 से 21 अगस्त 2025 के बीच विक्रम सोलर (Vikram Solar) का IPO आने जा रहा है, जो निवेशकों को भारत की ग्रीन एनर्जी ग्रोथ से जुड़ने का मौका दे सकता है. इस रिपोर्ट में जानते हैं कि विक्रम एनर्जी अपने कंपटीटर्स के मुकाबले कहां खड़ी है.

कौन हैं विक्रम सोलर के कंपटीटर्स?

विक्रम सोलर का मुकाबला उन कंपनियों से है, जो पहले से सौर पीवी मॉड्यूल और सेल्स के निर्माण में मजबूत पकड़ रखती हैं.

क्षमता और बाजार स्थिति में मुकाबला

वारी एनर्जीज 15 GW की क्षमता के साथ पैमाने की दृष्टि से सबसे आगे है. प्रीमियर एनर्जीज 5.1 GW पर और विक्रम सोलर करीब-करीब उसी स्तर पर खड़ा है, जबकि वेबसॉल सिर्फ 0.55 GW पर एक niche प्लेयर के रूप में मौजूद है.

विक्रम सोलर के पास 10.34 GW का ऑर्डर बुक है, जो इसकी मौजूदा क्षमता से दोगुना है. इसका मतलब है कि कंपनी को आने वाले वर्षों में मजबूत मांग मिलेगी. FY25 में इसकी कैपेसिटी यूसेज दर 48% से बढ़कर 78.1% हो गई है, जो ऑपरेशन में टर्नअराउंड को दिखाता है. साथ ही 2.85 GW ALMM-लिस्टेड क्षमता के चलते कंपनी सरकारी प्रोजेक्ट्स से भी अच्छी हिस्सेदारी हासिल कर सकती है.

वित्तीय प्रदर्शन

FY25 में विक्रम सोलर ने 36.3 फीसदी की साल-दर-साल रेवेन्यू प्रॉफिट दर्ज की है, जो ज्यादा उत्पादन और मजबूत निर्यात बिक्री की वजह से संभव हुआ. मार्जिन की बात करें तो कंपनी का EBITDA मार्जिन 14.37% और PAT मार्जिन 4.08% रहा. हालांकि यह आंकड़े वारी, प्रीमियर और वेबसॉल से कम हैं. वेबसॉल का EBITDA मार्जिन 44% तक है, जो इसे सबसे आगे रखता है.

रिटर्न रेशियो में भी विक्रम सोलर का ROCE 24.49% है, जबकि प्रीमियर 41.5% और वेबसॉल 59.2% पर हैं. यानी कंपनी के पास और बेहतर करने का अवसर है. सकारात्मक पहलू यह है कि इसका डेट-इक्विटी रेशियो सिर्फ 0.19 है, जो इसे विस्तार योजनाओं के लिए फाइनेंशियल हेडरूम देता है.

MetricVikram SolarWaaree EnergiesPremier EnergiesWebsol Energy
Installed Capacity (MW)4,50015,0005,100550
Order Book (MW)10,34125,0005,303NA
EBITDA Margin (%)14.3721.0428.7844.20
PAT Margin (%)4.0813.3514.0926.90
ROCE (%)24.4935.1041.5059.20
Debt-Equity0.190.130.690.55
P/E (X)72.1737.342.429.6
Price-to-Sales (X)3.515.366.658.67
Price-to-Book (X)8.468.6615.821.2
Current Ratio1.551.551.881.91

वैल्यूएशन की तस्वीर

IPO प्राइस बैंड में विक्रम सोलर का P/E मल्टीपल 68.5 – 72.2x पर तय है, जो इसे वारी (37.3x), प्रीमियर (42.4x) और वेबसॉल (29.7x) से काफी ऊपर ले जाता है. यह बाजार की उच्च उम्मीदों को दर्शाता है.

प्राइस-टू-सेल्स 3.51x पर है, जो संकेत देता है कि मार्जिन बेहतर होने पर इसमें और री-रेटिंग की गुंजाइश है. प्राइस-टू-बुक 8.4x पर है, जो वारी (8.66x) के बराबर है लेकिन प्रीमियर (15.8x) और वेबसॉल (21.3x) से नीचे है.

विक्रम सोलर की खासियतें

कंपनी का बिजनेस मॉडल केवल मैन्युफैक्चरिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें EPC (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट, कंस्ट्रक्शन) और O&M (ऑपरेशन और मेंटेनेंस) सेवाएं भी शामिल हैं. यह मॉडल ग्राहकों को लंबे समय तक जोड़े रखने में मदद करता है.

कंपनी ने FY27 तक अपनी क्षमता 20.5 GW तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 12 GW सोलर सेल और 1–5 GWh बैटरी स्टोरेज क्षमता जोड़ने की योजना है. अमेरिका और यूरोप जैसे बाजारों में भी यह अपना दबदबा बढ़ाना चाहती है, जहां टैरिफ बाधाएं भारतीय कंपनियों को बढ़त देती हैं.

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चुनौतियां और जोखिम

हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं हैं. कंपनी को अगले दो साल में अपनी क्षमता को 4 गुना से ज्यादा करना है, जो सप्लाई चेन और प्रोजेक्ट डिलीवरी पर काफी दबाव डालेगा.

ALMM नीति, सेफगार्ड ड्यूटी और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियम इसकी कमाई पर बड़ा असर डाल सकते हैं. साथ ही अभी के मार्जिन क्षेत्र के प्लेयर्स से पीछे हैं, जिसे पाटने की जरूरत है. चीनी कंपनियों की प्रतिस्पर्धा भी कीमतों पर दबाव डाल सकती है.

डिस्क्लेमर: मनी9लाइव किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.