NSE पर हर दिन मंडराते हैं 17 करोड़ साइबर हमले, क्या होता है DDoS अटैक, इसे कैसे नाकाम कर रहा स्टॉक एक्सचेंज
आज डिजिटल युग में साइबर हमले तेजी से बढ़ रहे हैं. रोजाना, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों पर करोड़ों हमले होते हैं, जो देश की आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा है. इन उन्नत हमलों से बचाव के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा ढांचा और निरंतर सतर्कता अब कोई ऑप्शन नहीं, बल्कि एक आवश्यकता बन गई है.
Cyber Attack On NSE: आज का युग डिजिटल युग है. डिजिटलीकरण और इंटरनेट ने हमारे जीवन को जितना सरल और सुविधाजनक बनाया है, उतनी ही गंभीर चुनौतियां भी सामने लाई हैं. इनमें से सबसे विकट और तेजी से बढ़ती चुनौती है – साइबर हमले. ये हमले अब सिर्फ बड़ी कंपनियों या सरकारों तक सीमित नहीं रहे; अब कोई भी व्यक्ति, चाहे वह एक छोटा व्यवसायी हो, एक स्टूडेंट हो या घर में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाला कोई सामान्य व्यक्ति, इन हमलों का शिकार बन सकता है. साथ ही NSE और BSE जैसी कंपनियां, जिस पर लाखों निवेशक ट्रेड करते हैं वे भी इस हमले के चपेट में आ गया है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर हर दिन लगभग 17 करोड़ साइबर हमलों का खतरा मंडराता है.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए 40 करोड़ हमले
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान एनएसई ने एक ही दिन में रिकॉर्ड 40 करोड़ साइबर हमले झेले. यह एक डीडीओएस (डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस) सिमुलेशन था, जिसमें हमलावरों ने सिस्टम को ठप करने की कोशिश की. लेकिन एनएसई की तकनीकी टीम, मशीनों और हाई टेक के सहयोग से कोई नुकसान नहीं हुआ.
रोजाना 15-17 करोड़ हमलों की चुनौती
एनएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि हर दिन 15 से 17 करोड़ साइबर हमले होते हैं. इनसे निपटने के लिए तकनीकी टीमें विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती हैं. यह काम बेहद जटिल है, लेकिन टीमें 24 घंटे सतर्क रहकर इन हमलों को रोकती हैं. एनएसई के दो साइबर रक्षा केंद्रों में टीमें हमेशा अलर्ट मोड में रहती हैं. उन्नत सॉफ्टवेयर की मदद से वे बड़े पैमाने पर हमलों को नाकाम करती हैं. अधिकारी ने कहा कि तकनीक कुशल कर्मचारी, मशीनें और मजबूत साइबर सुरक्षा ढांचा एनएसई के संचालन को पूरी तरह सुरक्षित रखता है.
एनएसई ने अपने संचालन के लिए सख्त साइबर सुरक्षा नियम लागू किए हैं. एनएसई एकेडमी के जरिए साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाता है. ट्रेडिंग सदस्यों को नियमित रूप से साइबर सुरक्षा की ट्रनिंग दी जाती है.
डीडीओएस हमलों से सतर्कता
डीडीओएस हमले सर्वर पर कई स्रोतों से ट्रैफिक भेजकर उसे क्रैश करने की कोशिश करते हैं. एनएसई ने ईमेल, बाहरी डाटा और पेन ड्राइव जैसे माध्यमों के लिए कड़े नियम बनाए हैं. किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत अलर्ट और पॉप-अप जनरेट होते हैं. सिस्टम की सुरक्षा बनाए रखने के लिए एनएसई सभी ट्रेडिंग मेंबर्स और कर्मचारियों के लिए वल्नरेबिलिटी असेसमेंट एंड पेनेट्रेशन टेस्टिंग (वीएपीटी) को अनिवार्य करता है. इससे सिस्टम की मजबूती बनी रहती है.
वैश्विक साइबर खतरे
अधिकारियों ने बताया कि वैश्विक स्तर पर बढ़ती डिजिटल कनेक्टिविटी ने साइबर हमलों का जोखिम बढ़ा दिया है. ये हमले कम लागत में फाइनेंशियल बाजारों की स्थिरता को नुकसान पहुंचा सकते हैं.