AI बन रहा साइबर ठगों का नया हथियार, जानें कैसे चोर लगा रहे लोगों को चूना, क्या है बचाव के तरीके और कैसे रहें सेफ
आजकल साइबर ठग AI का दुरुपयोग करके लोगों को ठग रहे हैं. वे वॉइस क्लोनिंग तकनीक से किसी व्यक्ति की आवाज की नकल करते हैं और परिवार के सदस्यों को फोन करके इमरजेंसी का बहाना बनाते हैं. कभी वे डीपफेक वीडियो बनाकर सेलिब्रिटी या सरकारी अधिकारी का रूप धारण कर लेते हैं और फेक इन्वेस्टमेंट स्कीम्स का प्रचार करते हैं. अंत में जो लोग इसे भांप नहीं पाते हैं वे अपनी मोटी कमाई गंवा बैठते हैं.
AI Cyber Fraud: कल्पना कीजिए कि आपका फोन बजता है और दूसरी तरफ आपकी बेटी, दोस्त, भाई या कोई परिचित की रोती हुई आवाज आती है. वे कहते हैं कि वह मुसीबत में है और तुरंत पैसे की जरूरत है. आप घबरा जाते हैं और बिना सोचे पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. लेकिन बाद में पता चलता है कि वह आपकी बेटी की आवाज नहीं थी, बल्कि AI से बनी नकली आवाज थी. यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं है. 2025 में भारत में ऐसे हजारों मामले सामने आ चुके हैं जहां परिवार के सदस्यों ने अपने परिचित की नकली आवाज सुनकर लाखों रुपये गंवा दिए. AI तकनीक का दुरुपयोग करके साइबर ठग रोज नए तरीके ईजाद कर रहे हैं और आम लोग इसका शिकार बन रहे हैं.
साइबर ठग AI का इस्तेमाल कैसे करते हैं?
साइबर अपराधी AI की मदद से पुरानी ठगी के तरीकों को और ज्यादा विश्वसनीय बना रहे हैं. वे वॉइस क्लोनिंग तकनीक से किसी व्यक्ति की आवाज की नकल करते हैं और परिवार के सदस्यों को फोन करके इमरजेंसी का बहाना बनाते हैं. कभी वे डीपफेक वीडियो बनाकर सेलिब्रिटी या सरकारी अधिकारी का रूप धारण कर लेते हैं और फेक इन्वेस्टमेंट स्कीम्स का प्रचार करते हैं. 2025 में भारत में ऐसे कई मामले दर्ज हुए हैं जहां ठगों ने AI से बनी वीडियो कॉल्स या ऑडियो मैसेज का इस्तेमाल करके लोगों से पैसे ऐंठे. इसके अलावा फिशिंग ईमेल्स या मैसेज अब AI से इतने परफेक्ट लिखे जाते हैं कि वे असली लगते हैं. स्क्रीन शेयरिंग के दौरान भी ठग AI की मदद से लोगों को बेवकूफ बनाते हैं और उनके बैंक डिटेल्स चुरा लेते हैं.
बचाव के क्या तरीके हैं?
सबसे जरूरी है सतर्क रहना. किसी भी अनजान नंबर से आने वाली कॉल या मैसेज पर तुरंत विश्वास न करें, भले ही आवाज जानी-पहचानी लगे. हमेशा दूसरे तरीके से वेरिफाई करें, जैसे कि परिवार के दूसरे सदस्य से संपर्क करके. OTP या बैंक डिटेल्स कभी किसी के साथ शेयर न करें. स्क्रीन शेयरिंग कभी अनजान व्यक्ति के साथ न करें. मजबूत पासवर्ड इस्तेमाल करें. AI आधारित फ्रॉड डिटेक्शन फीचर्स वाले ऐप्स या फोन का इस्तेमाल करें. जागरूकता सबसे बड़ा हथियार है, इसलिए परिवार में बुजुर्गों और बच्चों को इन खतरों के बारे में बताएं. अगर कुछ संदिग्ध लगे तो तुरंत बैंक को सूचित करें ताकि ट्रांजेक्शन ब्लॉक हो सके.
ठगी होने के बाद कहां करें शिकायत
अगर आप ठगी का शिकार हो जाते हैं तो देर न करें. सबसे पहले हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें. इसके अलावा नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल cybercrime.gov.in पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें. यहां आप फाइनेंशियल फ्रॉड की डिटेल्स भर सकते हैं और इससे जुड़े बैंक या वॉलेट से ट्रांजेक्शन ब्लॉक करने में मदद मिलती है. अगर जरूरी हो तो नजदीकी पुलिस स्टेशन में FIR भी दर्ज कराएं. जितनी जल्दी शिकायत करेंगे, उतनी ही ज्यादा संभावना है कि पैसा वापस मिल सकता है या ठग पकड़े जा सकते हैं.