सावधान! अब आपकी नजर ही बन सकती है हैकर्स का हथियार, आंखों की पुतली से हो रही ठगी, ऐसे रहें सेफ
हमारी आंखों की पुतली अब सिर्फ देखने का जरिया नहीं, बल्कि हमारी डिजिटल पहचान बन गई है. लेकिन अब साइबर ठग इसका गलत फायदा उठा रहे हैं. झारखंड में एक महिला के आइरिस स्कैन से ठगों ने उसके बैंक खाते से पैसे निकाल लिए. आइए जानते हैं कैसे करें अपना बचाव.
Iris cyber Fraud: हमारी आंखों की पुतली (Iris) अब सिर्फ हमें दुनिया दिखाने का काम ही नहीं करती, बल्कि हमारी पहचान बन गई है. आधार कार्ड से लेकर फोन अनलॉक करने तक में इस्तेमाल होने वाला आइरिस स्कैन अब साइबर ठगों की नजर में भी है. हैकर्स की नई तरकीबों ने इस अत्याधुनिक तकनीक को भी असुरक्षित बना दिया है. हालिया मामला झारखंड का है. जहां एक महिला को पीएम किसान योजना का लाभ दिलाने के बहाने ठगों ने अपना शिकार बना लिया. दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के अनुसार, जालसाजों ने महिला के आंख (आइरिस) स्कैन कर लिया. इसके बाद ठग ने उनके बैंक खाते से नौ हजार नौ सौ रुपये की निकासी कर ली. यह रकम छोटी हो सकती है, लेकिन साइबर चोर आपके खाते से इस तरह से बड़ी रकम भा गायब कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि कैसे होती है यह ठगी.
कैसे काम करता है आइरिस स्कैन?
हर इंसान की आंख की पुतली की संरचना यूनिक (Unique) होती है, जैसे कि फिंगरप्रिंट है. आइरिस स्कैनर एक हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे से आपकी आंखों की तस्वीर लेकर उसके पैटर्न को डिजिटल कोड में बदल देता है. इस कोड को डेटाबेस में स्टोर कर लिया जाता है और अगली बार स्कैन करने पर मिलान करके पहचान की पुष्टि की जाती है.
ऐसे हो सकती है ठगी (Iris Scan Fraud के तरीके)
हाई-रिजॉल्यूशन फोटो का दुरुपयोग – ठग आपकी हाई-क्वालिटी की तस्वीर को एक्सेस करते हैं. खासकर वे फोटोज जिनमें आपकी आंखें साफ दिख रही हों. सोफिस्टिकेटेड सॉफ्टवेयर की मदद से वे इस तस्वीर से आइरिस पैटर्न को निकालकर एक थ्री-डी मॉडल या नकली आइरिस बना सकते हैं, जिसे कुछ स्कैनर धोखा खा जाते हैं.
फिजिकल रिप्ले अटैक – अगर हैकर्स के पास आपकी आंख की कोई स्पष्ट तस्वीर या वीडियो है, तो वे उसे एक स्क्रीन पर दिखाकर या कॉन्टैक्ट लेंस पर प्रिंट करके स्कैनर के सामने पेश कर सकते हैं. कमजोर सुरक्षा वाले स्कैनर इस नकली आंख को असली समझ सकते हैं.
डेटाबेस हैकिंग – यह सबसे बड़ा खतरा है. ठग किसी संस्थान (जैसे अस्पताल, कंपनी) के आइरिस डेटा के डेटाबेस को हैक कर सकते हैं. एक बार इस बायोमेट्रिक डेटा के चोरी हो जाने के बाद, इसे बदला नहीं जा सकता. आप अपनी उंगलियों के निशान जैसे नहीं बदल सकते, ठीक वैसे ही आप अपनी आइरिस भी नहीं बदल सकते.
मैलवेयर अटैक – आपके फोन पर अगर कोई संदिग्ध ऐप या मैलवेयर इंस्टॉल हो जाए, तो वह आपके फोन के आइरिस स्कैनर को हैक करके उससे जुड़ा डेटा चुरा सकता है.
ये सभी ठगी के संभावित तरीके हैं, जिसके जरिए साइबर चोर आपसे ठगी कर सकते हैं.
कैसे करें अपना बचाव?
बायोमेट्रिक डेटा की चोरी गंभीर है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं.
- सोशल मीडिया पर फोटोज शेयर करते समय सतर्क रहें – ऐसी हाई-रिजॉल्यूशन फोटोज पोस्ट करने से बचें जिनमें आपकी आंखें बहुत साफ और डीटेल में दिख रही हों. अपनी प्रोफाइल को प्राइवेट रखें.
- मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) का Use करें – सिर्फ आइरिस स्कैन पर निर्भर ना रहें. जहां भी मुमकिन हो, आइरिस स्कैन के साथ एक PIN, पासवर्ड या फिंगरप्रिंट जोड़ दें. इससे सुरक्षा एक और लेयर बढ़ जाएगी.
- अनजान लिंक और ऐप्स से दूर रहें – किसी भी अनजान स्रोत से मिले लिंक पर क्लिक ना करें और ना ही अनऑथराइज्ड ऐप्स इंस्टॉल करें. इससे मैलवेयर के हमले का खतरा कम होगा.
- सार्वजनिक जगहों पर स्कैन करवाते समय सावधानी – अगर आपको किसी सार्वजनिक स्थान पर (जैसे बैंक, ऑफिस के अलावा) आइरिस स्कैन करवाना पड़े, तो यह सुनिश्चित कर लें कि डिवाइस और संस्था ऑथराइज्ड है.