‘हम साथ आ जाएंगे’… 50% टैरिफ लगाने के बाद अमेरिकी वित्त मंत्री ने ट्रंप और पीएम मोदी के रिश्ते को लेकर कही ये बात
US Tariffs: एक इंटरव्यू में, बेसेन्ट ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि मई या जून तक भारत के साथ व्यापार समझौता हो जाएगा और उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वार्ता में नई दिल्ली का रुख 'परफॉर्मेटिव' था. भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ बुधवार को लागू हो गए.

US Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ बुधवार को लागू हो गए. इस बीच, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने द्विपक्षीय संबंधों के बारे में बात करते हुए कहा कि ये ‘जटिल’ हैं, लेकिन उन्होंने विश्वास जताया कि दोनों देश ‘आखिरकार’ एक साथ आ जाएंगे. रूसी तेल की खरीद के लिए ट्रंप द्वारा भारत पर लगाया गया अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ के साथ अब भारतीय वस्तुओं पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लागू हो चुका है.
बयान में बदलाव
फॉक्स बिजनेस के साथ एक इंटरव्यू में, बेसेन्ट ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि मई या जून तक भारत के साथ व्यापार समझौता हो जाएगा और उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वार्ता में नई दिल्ली का रुख ‘परफॉर्मेटिव’ था, जो उनकी पिछली टिप्पणियों से अलग था, जब उन्होंने कहा था कि वार्ता के दौरान भारत ‘थोड़ा असहयोगी’ था.
भारत ने शुरू कर दी थी बातचीत
उन्होंने कहा कि ‘भारत ने लिबरेशन डे के तुरंत बाद टैरिफ पर बातचीत शुरू कर दी थी, लेकिन अभी तक कोई समझौता नहीं हो पाया है. मुझे लगा था कि मई या जून तक हम कोई समझौता कर लेंगे. मुझे लगा था कि भारत हमारे शुरुआती समझौतों में शामिल हो सकता है और उन्होंने बातचीत में हमारा साथ दिया. रूस से कच्चे तेल की खरीद का पहलू भी है, जिससे वे मुनाफा कमा रहे हैं’
‘हम एक साथ आएंगे’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच संबंधों पर प्रकाश डालते हुए, बेसेंट ने कहा, ‘यह एक बहुत ही जटिल रिश्ता है. प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच इस स्तर पर बहुत अच्छे संबंध हैं. मुझे लगता है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. मुझे लगता है कि अंततः हम एक साथ आएंगे.’
बेसेंट ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा बहुत ज्यादा है और कहा कि वो अमेरिकी वस्तुओं पर ‘बहुत ज्यादा’ टैरिफ लगाते हैं.
भारत का टैरिफ अधिक
उन्होंने कहा कि अमेरिका घाटे वाला देश है. जब व्यापार संबंधों में दरार पड़ती है, तो घाटे वाले देश को फायदा होता है. चिंता सरप्लस वाले देश को होनी चाहिए. इसलिए, भारतीय हमें सामान बेच रहे हैं. उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं और हमारा उनके साथ बहुत बड़ा घाटा है.’
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत रुपये में या ब्रिक्स देशों के साथ व्यापार करेगा, वित्त मंत्री ने रुपये के ग्लोबल रिजर्व करेंसी बनने की अटकलों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि मुझे कई चीजों की चिंता है. रुपये का रिजर्व करेंसी बनना उनमें से एक नहीं है.
पीएम मोदी ने कहा- नहीं करेंगे समझौता
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि वह किसानों, छोटे उद्योगों और घरेलू उत्पादकों के हितों से कोई समझौता नहीं करेंगे. सोमवार को अहमदाबाद में एक रैली में उन्होंने नागरिकों और व्यवसायों से स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता देने का आग्रह करते हुए कहा कि हम पर दबाव बढ़ सकता है, लेकिन हम इसे सहन करेंगे.
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