कब होती है प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग, जानें कितनी होती है स्पीड; और पायलट कैसे बचाता है जान
जब अचानक विमान में कोई गड़बड़ी आ जाती है, तो पायलट इमरजेंसी लैंडिंग करता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इमरजेंसी लैंडिंग क्या होती है, इसके कितने प्रकार होते हैं, इमरजेंसी लैंडिंग के समय विमान की गति कितनी होती है, और पायलट कौन-कौन से चरणों का पालन करता है.
Emergency Landing: 21 मई को दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो एयरलाइंस की एक फ्लाइट में सवार 227 यात्रियों के लिए वो सफर कभी न भूलने वाला अनुभव बन गया. फ्लाइट जैसे ही हवा में ऊंचाई पर पहुंची, मौसम ने करवट ली और अचानक भीषण ओलावृष्टि के साथ जोरदार टर्बुलेंस यानी हवा के झटकों ने फ्लाइट को हिला कर रख दिया. स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि पायलट को फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़ी यानी विमान को निर्धारित गंतव्य से पहले, सुरक्षित रूप से किसी नजदीकी हवाई अड्डे पर उतार दिया गया. ऐसे में आइए जानते हैं कि इमरजेंसी लैंडिंग क्या होती है, इसकी प्रक्रिया क्या है और ऐसी स्थिति में पायलट क्या करता है.
कब होती है इमरजेंसी लैंडिंग?
जब प्लेन में अचानक कोई तकनीकी खराबी आ जाए या कोई ऐसा रिस्क हो जो उड़ान को जारी रखना खतरनाक बना दे, जैसे कि इंजन फेल होना, फ्यूल लीक होना, केबिन प्रेशर कम हो जाना, लैंडिंग गियर में दिक्कत या कोई मेडिकल इमरजेंसी. ऐसी कंडिशन में पायलट को मजबूरन इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ती है.
कितने तरह की होती है इमरजेंसी लैंडिंग?
फेडरेशन एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, इमरजेंसी लैंडिंग मुख्य रूप से तीन तरह की होती है, इनमें
- Forced Landing – जब इंजन अचानक बंद हो जाए और तुरंत नीचे उतरना जरूरी हो.
- Precautionary Landing – जब कोई खतरा साफ दिखाई दे रहा हो, जैसे फ्यूल खत्म हो रहा हो, तो पायलट एहतियातन लैंडिंग कर देता है.
- Ditching – जब प्लेन को जमीन नहीं बल्कि पानी (नदी, झील या समुद्र) पर लैंड करना पड़े.
इमरजेंसी लैंडिंग के समय प्लेन की स्पीड कितनी होती है?
वैसे तो नॉर्मल लैंडिंग में प्लेन की स्पीड करीब 240 से 300 किमी/घंटा होती है. लेकिन इमरजेंसी लैंडिंग के वक्त पायलट स्पीड को कम कर देता है. यह आमतौर पर 150 से 200 किमी/घंटा के बीच होता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि ज्यादा स्पीड पर रुकने में ज्यादा दूरी चाहिए होती है.
इमरजेंसी में पायलट क्या करता है?
जैसे ही पायलट को खतरे का संकेत मिलता है, वो तेजी से कुछ स्टेप्स फॉलो करता है, इनमें शामिल है,
- “Mayday” कॉल करना: सबसे पहले पायलट “Mayday Mayday Mayday” कहकर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को अलर्ट करता है.
- लैंडिंग की जगह चुनना है: पायलट अपने नजदीकी रनवे, हाइवे, खुला मैदान या खेत जो सबसे सेफ हो, वही चुनता है.
- स्पीड और ऊंचाई कंट्रोल करना है: फ्लैप्स और लैंडिंग गियर की मदद से स्पीड और एल्टीट्यूड घटाता है ताकि प्लेन हवा में स्टॉल न हो.
- हवा की दिशा का ध्यान रखना है: लैंडिंग हमेशा हवा के उलट दिशा में होती है ताकि प्लेन नेचुरली धीमा हो सके.
- इंजन या सिस्टम बंद करना है: अगर इंजन में आग लग जाए या रिस्क हो तो फ्यूल सप्लाई और इलेक्ट्रिकल सिस्टम बंद कर देता है.
- पैसेंजर्स को तैयार करना है: केबिन क्रू यात्रियों को “Brace Position” लेने, सीट बेल्ट कसने और मास्क लगाने को कहता है.
अगर रनवे नहीं है तो प्लेन को खेत, मिट्टी, घास या पानी पर उतारा जाता है. जैसे ही प्लेन रुकता है, उसके बाद इमरजेंसी स्लाइड्स खोली जाती हैं फिर पैसेंजर्स को तेजी से बाहर निकाला जाता है और फायर ब्रिगेड और मेडिकल टीम तुरंत मौके पर पहुंचती है.
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