गुमराह की हद! 7.8 करोड़ गंवाने के बाद असली पुलिस पर ही महिला को हुआ शक; आप न आएं इस बड़े साजिश में

मुंबई में एक बुजुर्ग महिला के साथ ऐसा वाकया हुआ, जो सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे. फोन पर आए एक कॉल ने उनकी जिंदगी की सारी जमा-पूंजी दांव पर लगा दी. लेकिन इसी बीच एक ऐसा मोड़ आया, जिसने इस कहानी को पूरी तरह बदल दिया.

करोड़ों गंवा बैठी महिला! Image Credit: Getty Images

Cyber Attack: मुंबई में साइबर अपराधियों का शिकार बन चुकी 81 वर्षीय महिला को पुलिस ने आखिरी वक्त पर ठगी से बचा लिया. महिला अब तक अपनी जिंदगी की पूरी जमापूंजी, करीब 7.8 करोड़ रुपये ठगों को ट्रांसफर कर चुकी थी और उन्हें फोन पर दिए जा रहे निर्देशों के तहत ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ में रखी गई थी. हैरानी की बात यह रही कि जब पुलिस उनकी मदद के लिए घर पहुंची तो महिला ने दरवाजा तो खोला, लेकिन अंदर आने से मना कर दिया, क्योंकि ठगों ने उन्हें यकीन दिला दिया था कि असली पुलिस ही नकली है.

फोन पर ठग पर किया भरोसा, संपत्ति और निवेश तक बेच दिए

पुलिस के मुताबिक, महिला को 10 जुलाई को पहला कॉल आया जिसमें खुद को पुलिस अधिकारी बताने वाले ठग ने कहा कि उनके बैंक खाते का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है. ठगों ने दावा किया कि उन्हें जांच के लिए महिला के खाते से रकम “सेंट्रल बैंक” भेजनी होगी, ताकि साबित किया जा सके कि यह अवैध कमाई नहीं है. ठग वीडियो कॉल पर पुलिस की वर्दी में नजर आए और पृष्ठभूमि में कोलाबा पुलिस स्टेशन का दृश्य दिखाकर भरोसा दिलाया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इन झूठी बातों पर भरोसा करते हुए महिला ने अपनी बचत, फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड तक भुना दिए. करीब 7.8 करोड़ रुपये कई खातों में ट्रांसफर कर दिए गए. महिला अकेली रहती थी, पति का देहांत हो चुका था और दोनों बेटियां विदेश में थीं.

पुलिस पहुंची लेकिन अंदर घुसना मुश्किल हुआ

अजाद मैदान पुलिस को सोमवार को सूचना मिली कि महिला ने भारी रकम ट्रांसफर की है और मामला साइबर ठगी का हो सकता है. एक टीम महिला के घर पहुंची, लेकिन उन्होंने पुलिस को अंदर नहीं आने दिया. ठगों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि जो भी पुलिस आए, वह नकली होगी. करीब एक घंटे तक मनाने के बाद पुलिस ने बिल्डिंग के मकान मालिक से मदद ली. मकान मालिक के कहने पर महिला ने पुलिस को कुछ देर बैठने की इजाजत दी.

आखिर में बेटी ने दिलाया यकीन

पुलिस ने महिला को इसी तरह की ठगी के अखबारों में छपे उदाहरण दिखाए, लेकिन वह फिर भी नहीं मानीं. आखिरकार पुलिस ने उनकी बेटी से फोन पर बात कराई. बेटी ने समझाया कि जो लोग उन्हें फोन कर रहे हैं, वही असली ठग हैं. इसके बाद महिला ने मामला दर्ज कराने के लिए सहमति दी.

अकाउंट ब्लॉक कर बचाई शेष रकम

पुलिस ने FIR दर्ज करने से पहले ही 1930 साइबर हेल्पलाइन पर कॉल कर महिला के बैंक खातों को ब्लॉक करवा दिया, जिससे आगे की रकम का नुकसान टल गया. मामला अब साइबर पुलिस जांच में है और पुलिस लोगों से अपील कर रही है कि किसी भी अनजान कॉल पर अपनी बैंकिंग जानकारी या पैसे ट्रांसफर न करें, चाहे सामने वाला खुद को अधिकारी ही क्यों न बता रहा हो.

इन हादसों से खुद को बचाएं

ऐसे ठगों से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि किसी भी अनजान नंबर से आने वाले कॉल या वीडियो कॉल पर बैंक खाता, ओटीपी, पासवर्ड या पैसों से जुड़ी कोई भी जानकारी साझा न करें. अगर कोई खुद को पुलिस, बैंक या सरकारी अधिकारी बताकर पैसे ट्रांसफर करने का दबाव डाले तो तुरंत कॉल काट दें और 1930 साइबर हेल्पलाइन या नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत करें. असली पुलिस या बैंक कभी भी फोन पर पैसों की मांग नहीं करते, इसलिए ऐसे झांसे में आने से बचें और परिवार या भरोसेमंद लोगों से तुरंत सलाह लें.