प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूएस दौरे पर मिली बड़ी कामयाबी, अमेरिका लौटाएगा 297 प्राचीन बहुमूल्य वस्तुएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय दौरे पर अमेरिका में हैं. इस दौरान, अमेरिका ने 297 भारतीय प्राचीन बहुमूल्य वस्तुओं को वापस करने की सहमति दे दी है. ये प्राचीन वस्तुएं लगभग 4000 साल पुरानी हैं, जिन्हें भारत के विभिन्न स्थानों से तस्करी और चोरी के माध्यम से अमेरिका में पहुंचाया गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा पर बड़ी कामयाबी मिली है. यह कामयाबी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका 297 बहुमूल्य प्राचीन भारतीय वस्तुओं को वापस करेगा, जिन्हें चोरी और तस्करी के माध्यम से अमेरिका ले जाया गया था. ये प्राचीन वस्तुएं लगभग 4000 साल पुरानी हैं और भारत के विभिन्न स्थानों से संबंधित हैं. अमेरिका द्वारा 297 प्राचीन वस्तुएं लौटाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रति आभार व्यक्त किया.

इस दौरान पीएम मोदी ने एक्स पर तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “सांस्कृतिक संबंधों और सांस्कृतिक संपत्तियों की अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत किया जा रहा है. मैं भारत को 297 अमूल्य पुरावशेषों की वापसी सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रपति बाइडन और अमेरिकी सरकार का बेहद आभारी हूं.” पीएम मोदी ने शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा उनके गृहनगर विलमिंगटन, डेलावेयर में आयोजित क्वाड लीडर्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया.

जुलाई में भारत और अमेरिका ने सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी को रोकने और प्राचीन वस्तुओं को उनके मूल स्थान पर वापस भेजने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा का मुख्य एजेंडा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिनों की यात्रा पर अमेरिका में हैं. इस दौरान पीएम मोदी ने 21 सितंबर को विलमिंगटन, डेलावेयर में राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा आयोजित चौथे क्वाड लीडर्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया. आज पीएम मोदी न्यूयॉर्क में भारतीय समुदाय के लोगों से मिलेंगे और उन्हें संबोधित भी करेंगे.

इसके अलावा, एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर समेत विभिन्न कंपनियों के सीईओ से भी मुलाकात करेंगे. 23 सितंबर को पीएम मोदी न्यूयॉर्क में यूएनजीए में ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ को संबोधित करेंगे. चर्चा है कि पीएम मोदी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात कर सकते हैं, लेकिन विदेश मंत्रालय ने इसके बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है.