भारतीय MSME पर मंडरा रहा चाइनीज खतरा, खिलौना और छाता समेत इन चीजों का बढ़ा आयात

चीन से आयात को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. भारतीय एमएसएमई को चीन से आयात के चलते नुकसान पहुंच रहा है. कई ऐसे उत्पाद हैं जिन्हें भारतीय MSME द्वारा भारी मात्रा में बनाया जाता है, फिर भी वे चीनी उत्पाद के सामने टिक नहीं पाते हैं.

चीन लगातार विश्व पटल पर अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहा है. चीन से आयात को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. दरअसल, भारतीय एमएसएमई को चीन से आयात के चलते नुकसान पहुंच रहा है. चीन से भारी मात्रा में आयात के कारण भारतीय MSME की कमर टूट गई है. सस्ते चीनी सामान के कारण छोटी घरेलू कंपनियों के लिए बाजार में मुकाबला करना मुश्किल हो रहा है, जिसके चलते MSME संकट में हैं.

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, भारतीय MSME द्वारा उत्पाद बनाए जाते हैं, लेकिन कम लागत वाले चीनी उत्पाद तक आसान पहुंच के कारण उन्हें आगे बढ़ने में कठिनाई होती है. साथ ही यह भी पता चला है कि कई ऐसे उत्पाद हैं जिन्हें भारतीय MSME द्वारा भारी मात्रा में बनाया जाता है, फिर भी वे चीनी उत्पाद के सामने टिक नहीं पाते हैं. ये उत्पाद छाते, कृत्रिम फूल, मानव बाल लेख, चमड़े के सामान और खिलौनों जैसी चीजों में सस्ते चीनी आयातों के साथ मुकाबला करना मुश्किल हो रहा है.

इतनी फीसदी उत्पादों का होता है आयात

सस्ते चीनी सामान के कारण छोटी घरेलू कंपनियों के लिए बाजार में मुकाबला करना मुश्किल हो रहा है. जिन कैटेगरी जैसे कि सिरेमिक उत्पाद, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट और खिलौनों आदि में भारतीय कारीगर और MSME फलते-फूलते थे, सबसे ज्यादा इन कैटेगरी के उत्पादों पर प्रभाव पड़ा है. चीन का दबदबा तब है जब सरकार ने खिलौनों पर सीमा शुल्क 20% से बढ़ाकर 70% कर दिया है. चीन ने इतनी फीसदी बाजार पर कब्जा कर लिया है:

  • छाते और धूप छाते: 96% (₹2,573 करोड़)
  • कृत्रिम फूल और मानव बाल उत्पाद: 92% (₹1,162 करोड़)
  • कांच के बने पदार्थ: 60%
  • चमड़े के सामान: 54%
  • खिलौने: 52.5%
  • सिरेमिक उत्पाद: 51.4% (₹19,302 करोड़)
  • म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट: 51.2% (₹1,30 करोड़)
  • उपकरण, औजार और कटलरी: 39.4% (₹22,318 करोड़)
  • आधार धातु के विविध उत्पाद: 47% (₹23,417 करोड़)
  • कालीन: 31.8% (₹2,06 करोड़)

आयात-निर्यात का गणित

जनवरी से जून 2024 तक भारत ने चीन को 8.5 बिलियन डॉलर का निर्यात किया. आयात की बात करें तो यह 50.4 बिलियन डॉलर है, जिसके चलते 41.9 बिलियन डॉलर का घाटा हुआ. कम निर्यात और अधिक आयात के चलते चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापार घाटा में भागीदार बनाता है. चीन से आयात का लगभग 98.5% या 49.6 बिलियन डॉलर इंडस्ट्रियल गुड्स है. भारत के इंडस्ट्रियल गुड्स आयात में चीन का हिस्सा 29.8% है.