IMF के लोन पर उछल रहा था पाकिस्तान, अब उसने मरोड़ दिया हाथ, MSP बंद; इनकम टैक्स भी देंगे किसान
पाकिस्तान सरकार को अब ऐसे फैसले लेने पड़ रहे हैं. जो उसके लिए किसी गुलामी से कम नहीं है. आईएमएफ के दबाव में शहबाज शरीफ सरकार ने पिछले 50 साल से चली आ रही, फसलों पर दी जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था को खत्म करने का फैसला कर लिया है.

Pakistan MSP Withdrawal: कर्ज क्या न कराए, इसका जीता जागता उदाहरण पाकिस्तान बन गया है.ऑपरेशन सिंदूर के बाद आईएमएफ से मिले एक अरब डॉलर कर्ज से इतरा रहे पाकिस्तान सरकार को अब ऐसे फैसले लेने पड़ रहे हैं जो उसके लिए किसी गुलामी से कम नहीं है. उसे अपने ही लोगों की इनकम में कटौती करनी पड़ रही है. सही पढ़ा आपने वह अपने नागरिकों की कमाई घटाने के फैसले ले रहा है. जिसका सीधा असर वहां के करीब एक करोड़ किसानों पर पड़ने वाला है. यही नहीं इस फैसला का असर यह होगा कि पाकिस्तान की 25 करोड़ आबादी के सामने पेट भरने का ना केवल संकट खड़ा हो जाएगा, बल्कि उसे बेतहाशा महंगाई का भी सामना करना पड़ेगा.
अब किसानों को नहीं मिलेगा MSP
आईएमएफ के दबाव में शहबाज शरीफ सरकार ने पिछले 50 साल से चली आ रही, फसलों पर दी जाने वाली न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था को खत्म करने का फैसला कर लिया है. पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ जो मसौदा साइन किया है. उसमें बताया गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था गेहूं के लिए उसने खत्म कर दी गई है. यही नहीं पाकिस्तान ने 2024-25 फसल वर्ष के लिए गेहूं के एमएसपी का ऐलान भी नहीं किया है. इसके अलावा सरकारी खरीद करने वाली संस्था पाकिस्तान एग्रीकल्चरल स्टोरेज एंड सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड को बंद करने का भी फैसला कर लिया गया है. इसी कड़ी में संस्था ने इस साल गेहूं की कोई खरीद नहीं की है.हालांकि MSP समाप्ति की समयसीमा जून 2026 तक निर्धारित की गई है.
पाकिस्तान में सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति गेहूं की खपत
दुनिया में प्रति व्यक्ति गेहूं की खपत के मामले में पाकिस्तान सबसे अग्रणी देशों में से एक है. यहां पर प्रति व्यक्ति सालाना 124 किलोग्राम गेहूं की खपत है. ऐसे में उसकी आबादी को देखते हुए उसे करीब 315 लाख टन सालाना गेहूं की जरूरत है. लेकिन सरकार की सख्ती की आशंका से गेहूं का रकबा पहले से ही कम होने लगा है. यानी किसानों ने गेहूं की बुआई कम कर दी है. इसकी वजह से उत्पादन में 2024-25 से गिरावट आने लगी है. USFDA के अनुसार इस अवधि में गेहूं का 285 लाख टन उत्पादन हुआ था. जबकि इसके पहले 2023-24 में 314 लाख टन उत्पादन था. इस दौरान गेहूं का रकबा 96 लाख हेक्टेयर से घटकर 91 लाख हेक्टेयर पर आ गया. साफ है कि पाकिस्तान का पेट भरने के लिए गेहूं का आयात बढ़ाना पड़ेगा. वह पिछले तीन साल से गेहूं का आयात कर रहा है.
किसानों की घटेगी इनकम
पाकिस्तान ने पिछले साल 2023-24 के लिए गेहूं का 9750 पाकिस्तानी रुपया प्रति क्विंटल एमएसपी घोषित किया था. जबकि 24-25 के लिए ऐलान ही नहीं किया. और अब तो उसे बंद करने जा रहे हैं.
वर्ष 2023–24 (अनुमान) | वर्ष 2024–25 (अनुमान) | परिवर्तन (%) | |
---|---|---|---|
गेहूं का खेती क्षेत्र (मिलियन हेक्टेयर) | 9.6 | 9.1 | ↓ 5.2 % |
गेहूं उत्पादन (मिलियन टन) | 31.44 | 28.5 | ↓ 9.4 % |
घरेलू गेहूं उपभोग (मिलियन टन) | – | 31.5 | – |
अब इनकम टैक्स देंगे पाकिस्तान के किसान
इसके अलावा पाकिस्तान सरकार प्राइस कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ऑफ प्रॉफिटियरिंग एंड होर्डिंग एक्ट 1977 को भी खत्म करेगी. इसका सीधा मतलब है कि बाजार व्यवस्था मुक्त होगी और संकट के समय कालाबाजारी करने वालों पर लगाम भी नहीं होगी. यही नहीं आईएमएफ की शर्तों को मानते हुए पाकिस्तान अब अपने किसानों की इनकम पर टैक्स भी लेगा. यानी कृषि आय पर भी इनकम टैक्स देना होगा. यह सब मानने को पाकिस्तान इसलिए मजबूर हो रहा है क्योंकि उसे EFF के तहत 2024–25 से 2027–28 तक कुल 7.11 बिलियन डॉलर का लोन मिलना है.
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