भूख से मर रहा पाकिस्तान! 1.1 करोड़ लोग भुखमरी का शिकार, 17 लाख मौत की कगार पर

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान अब गंभीर रूप से भुखमरी का शिकार हो रहा है. पाकिस्तान के 68 जिलों में 1.1 करोड़ से अधिक लोग भुखमरी की कगार पर हैं जबकि 17 लाख लोगों की भूख की वजह से मौत भी हो सकती है. वहीं बलूचिस्तान और सिंध जैसे इलाके कुपोषण की मार झेल रहे हैं.

भुखमरी की कगार पर पाकिस्तान Image Credit: Money9live/Canva

Pakistan: पाकिस्तान में हालात बुरे होते जा रहे हैं, पड़ोसी मुल्क में हर चीज को लेकर समस्या झेल रहा है. अब संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक नई रिपोर्ट आई है जो पाकिस्तान में भुखमरी की तस्वीर पेश करती है. इस चौंकाने वाली रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान के 68 जिलों में 1.1 करोड़ से अधिक लोग भुखमरी की कगार पर हैं जबकि 17 लाख लोगों की भूख की वजह से मौत भी हो सकती है. बलूचिस्तान और सिंध जैसे इलाके कुपोषण की मार झेल रहे हैं.

भुखमरी की वजह

2025 ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्राइसेज के अनुसार, ये 68 जिले बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा के हैं जो बाढ़ प्रभावित हैं. इस संकट की जड़ में ग्रामीण इलाकें ज्यादा है जो जलवायु की मार और गरीबी का शिकार है, सरकार भी इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही.

2018 से 2024 की शुरुआत तक ग्लोबल एक्यूट मालन्यूट्रिशन (GAM) दर 30% से ऊपर रही जो वैश्विक स्तर पर जीवन के लिए खतरनाक मानी जाती हैं. आमतौर पर GAM का 10% से ऊपर होना ही इमरजेंसी की स्थिति होती है.

बलूचिस्तान में कुपोषण

लंबे समय से आजादी की मांग कर रहे बलूचिस्तान और सिंध जैसे प्रांतों में कुपोषण अब आम बात हो गई है. आंकड़ों में पिछले साल से हालात सुधरे हैं लेकिन फिर भी स्थिति गंभीर बनी हुई है. नवंबर 2023 से जनवरी 2024 के बीच 43 ग्रामीण जिलों में करीब 1.18 करोड़ लोगों को खाना नहीं मिल रहा है. इनमें से 22 लाख लोग आपात स्थिति में थे.

बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. मार्च 2023 से जनवरी 2024 के बीच 6 से 59 महीने के करीब 21 लाख बच्चे तीव्र कुपोषण से जूझ रहे थे. उनके आहार में पोषण की मात्रा भी कम थी और गुणवत्ता भी. सर्दियों में महंगाई बढ़ने, काम की कमी और बाजारों तक पहुंच में रुकावट ने हालात और बिगाड़ दिए.

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि अगर तुरंत कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो जलवायु आपदाएं और भुखमरी मिलकर पाकिस्तान में कुपोषण की स्थिति को 2025 में और भी भयावह बना सकती हैं.