इस बांग्लादेशी एयरबेस को रिवाइव कर रहा चीन, चिकन नेक कॉरिडोर के है करीब; भारत के लिए क्यों खतरा?
चीन बांग्लादेश के लालमोनिरहाट में द्वितीय विश्व युद्ध के पुराने एयरबेस को पुनर्जीवित करने में मदद कर रहा है, जो भारतीय सीमा से सिर्फ 15 किलोमीटर दूर है. रिपोर्ट्स के अनुसार चीन की संभावित भागीदारी से भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं. बांग्लादेश में चीनी प्रभाव अब केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामरिक रूप से भी गहराता जा रहा है. पाकिस्तान के बाद चीन की ये रणनीति भारत के लिए दीर्घकालिक खतरे का संकेत हो सकती है.
Lalmonirhat airfield: चीन ने एक बार फिर अपनी नापाक हरकतें शुरू कर दी हैं. पहले वह केवल पाकिस्तान को समर्थन देता था, लेकिन पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश में बदले राजनीतिक हालात का लाभ उठाकर अब वह भारत के खिलाफ सक्रिय हो गया है. चीन कथित तौर पर भारतीय सीमा से मात्र 12–15 किलोमीटर दूर लालमोनिरहाट में द्वितीय विश्व युद्ध के पुराने एयरबेस को पुनर्जीवित करने में बांग्लादेश की मदद कर रहा है. यह एयरफील्ड वर्तमान में बांग्लादेश वायु सेना के नियंत्रण में है. दशकों से निष्क्रिय यह एयरफील्ड सिलीगुड़ी कॉरिडोर से केवल 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में चीनी अधिकारियों ने इस साइट का दौरा किया, जो बीजिंग की बढ़ती दिलचस्पी को दिखा रहा है.
अंग्रेजों ने करवाया था निर्माण
कोलकाता स्थित इंडो-बांग्ला स्टडीज रिसर्च सेंटर के अनुसार, लालमोनिरहाट का निर्माण 1931 में अंग्रेजों द्वारा करवाया गया था. यह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दक्षिण-पूर्व एशिया में मित्र देशों की सेनाओं के लिए एक अहम एयरबेस के रूप में इस्तेमाल में लाया गया था.
विभाजन के बाद, पाकिस्तान ने 1958 में इसे यात्रियों के इस्तेमाल के लिए कुछ समय के लिए पुनः शुरू किया था.2019 में, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने वहां एक विमानन और एयरोस्पेस विश्वविद्यालय विकसित करने की योजना की घोषणा की, जो अब बांग्लादेश वायु सेना के अधीन संचालित हो रहा है.
हाल ही में, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाले अंतरिम प्रशासन ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए लालमोनिरहाट और पांच अन्य ब्रिटिश जमाने के हवाई अड्डों को पुनर्जीवित करने का प्रस्ताव रखा है. अन्य हवाई अड्डों में ईश्वरदी, ठाकुरगांव, शमशेरनगर, कोमिला और बोगरा शामिल हैं.
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भारत के लिए बन सकती है चुनौती
सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे चिकन नेक के नाम से भी जाना जाता है, मात्र 22 किलोमीटर चौड़ा है. यह भारत के आठ पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. इस कॉरिडोर की सुरक्षा भारत के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. रिपोर्ट्स से यह संकेत मिलते हैं कि एयरबेस के विकास में चीन की संभावित भागीदारी हो सकती है. हालांकि इसका उपयोग संभवतः नागरिक हवाई अड्डे के रूप में किया जाए, लेकिन आशंका है कि भविष्य में इसे सैन्य उद्देश्यों के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है.
पाकिस्तान के बाद अब बांग्लादेश में भी चीन की गहरी पैठ
पिछले कुछ समय में बांग्लादेश और चीन के संबंधों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है. चीन की दखलअंदाजी पहले केवल पाकिस्तान तक सीमित थी, लेकिन अब वह बांग्लादेश में भी सक्रिय हो गया है, जो भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है. बांग्लादेश में चीन का प्रभाव केवल सैन्य स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें बड़ी आर्थिक परियोजनाएं भी शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी कंपनियां रंगपुर के पास कारखाने और एक सौर ऊर्जा प्लांट का निर्माण कर रही हैं, साथ ही एक सैटेलाइट सिटी बसाने की योजना भी बनाई जा रही है.