भारत-पाक युद्ध में चीन की लाइव टेस्टिंग हुई फेल, जानें रडार से लेकर दूसरे घातक हथियार में कैसे फ्लॉप हुआ ड्रैगन

भारत-पाक संघर्ष के दौरान चीन ने पाकिस्तान को एयर डिफेंस और सैटेलाइट सपोर्ट दिया, जिससे पाकिस्तान को भारत की सैन्य गतिविधियों की जानकारी मिलती रही. सरकारी थिंक टैंक CENJOWS की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि चीन की भागीदारी सिर्फ हथियार आपूर्ति तक सीमित नहीं रही बल्कि उससे काफी आगे की थी.

चीन ने कैसे की पाकिस्तान की मदद? Image Credit: @Money9live

How China Helps Pak During Tension: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल में हुए गोलीबारी के दौरान कई देशों की सच्चाई सामने आई थी. इसमें सबसे शीर्ष पर वह थे जिन्होंने ऐसे हालात में पाकिस्तान का समर्थन खुल कर किया. लेकिन कुछ ऐसे देश भी थे जिन्होंने छिपकर पाकिस्तान की मदद की थी. वैसे ही एक देश का नाम अब सामने आया है. दरअसल इस पूरे तनावपूर्ण माहौल के दौरान चीन ने पाकिस्तान की काफी हद तक मदद की थी. अब इस बात का पता भारत के रक्षा मंत्रालय से जुड़ा एक रिसर्च इंस्टिट्यूशन ने लगाया है. इसके मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष के दौरान चीन ने पाकिस्तान को न केवल हथियार मुहैया कराए, बल्कि तकनीकी और खुफिया स्तर पर भी उसकी मदद की थी.

कैसे और कहां की मदद?

सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज (CENJOWS) के प्रमुख अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू इससे जुड़ी बातों को सभी के समक्ष लाया. कुमार के मुताबिक, चीन ने पाकिस्तान की रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को फिर से व्यवस्थित करने में मदद की ताकि वह भारत की सैनिक और हथियारों की तैनाती को अधिक प्रभावी तरीके से पहचान सके. इतना ही नहीं, अप्रैल में हुए आतंकवादी हमले और उसके बाद शुरू हुए संघर्ष के बीच के 15 दिनों में चीन ने पाकिस्तान को भारत पर बेहतर सैटेलाइट कवरेज देने में भी मदद की.

हालांकि भारत सरकार ने अब तक इस मामले में चीन की भूमिका को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया है. पाकिस्तान पहले ही कह चुका है कि उसने संघर्ष में चीन से मिले हथियारों का इस्तेमाल किया, लेकिन अब सामने आई जानकारी से लगता है कि उसकी भूमिका उससे कहीं ज्यादा गहरी थी.

पहलगाम हमले ने लगाई थी चिंगारी

भारत पाकिस्तान के बीच हुआ हालिया झड़प पिछले 50 सालों में सबसे गंभीर माना जा रहा है. इसमें दोनों पक्षों ने हवाई हमले, ड्रोन, मिसाइल और तोपों के साथ जवाबी कार्रवाई की. यह झड़प 22 अप्रैल को जम्मू के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से शुरू हुई थी जिसमें 26 भारतीय पर्यटक मारे गए थे. भारत ने इस हमले का दोष पाकिस्तान पर मढ़ा था जबकि पाकिस्तान ने इसमें किसी भूमिका से इनकार किया. इसके बाद ही भारत ने पाकिस्तान पर 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत हवाई हमला किया था. हमले के बाद भारत ने बताया कि कार्रवाई में पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया गया है.

चीन के लिए ये लाइव टेस्टिंग जैसे काम

कुमार के अनुसार, चीन ने इस संघर्ष को अपने हथियारों की ‘लाइव टेस्टिंग’ के तौर पर भी इस्तेमाल किया था लेकिन कई मामलों में उसके सिस्टम असफल साबित हुए. भारत की रक्षा तैयारियों और मजबूत डिफेंस नेटवर्क ने पाकिस्तान की ओर से किए गए सैकड़ों ड्रोन हमलों का प्रभावी जवाब दिया. कुमार का कहना है कि अब भारत अपनी सभी सैन्य योजनाओं में एक साथ चीन और पाकिस्तान से लड़ाई की संभावना को ध्यान में रखकर तैयारी कर रहा है. उनका मानना है कि अगर भारत और चीन के बीच संघर्ष होता है तो पाकिस्तान उसमें शामिल हो सकता है.

चीन-पाक की पुरानी दोस्ती पर एक और मुहर

गौरतलब है कि चीन, पाकिस्तान का लंबे समय से रणनीतिक सहयोगी रहा है. बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत भी उसने पाकिस्तान में भारी निवेश किया है. वहीं, भारत और चीन के बीच 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे जिसके बाद दोनों देशों के रिश्ते में थोड़ी खटास आ गई थी. अब भारत यह मानकर चल रहा है कि “आज जो चीन के पास है, वो कल पाकिस्तान के पास हो सकता है.” इस सोच के साथ देश की रक्षा नीतियों में चीन और पाकिस्तान को लेकर नई योजना बनाई जा रही है.

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