नेपाल की पहली महिला PM बनीं सुशीला कार्की, पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने ली शपथ; 6 महीने में होंगे चुनाव
पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के रूप में नेपाल को अपना पहली महिला प्रधानमंत्री मिल गया है. सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़े प्रदर्शन हुए. इन प्रदर्शनों में 51 लोग मारे गए और 1300 से ज्यादा घायल हुए. प्रदर्शनकारी में ज्यादातर युवा थे. वे भ्रष्टाचार, राजनीतिक अव्यवस्था और भाई-भतीजावाद खत्म करने की मांग कर रहे थे.
Sushila Karki: पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के रूप में नेपाल को अपना पहली महिला प्रधानमंत्री मिल गया है. उन्होंने शुक्रवार को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. 73 साल की सुशीला ने राष्ट्रपति के कार्यालय, शीतल निवास में शपथ ग्रहण की. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. इस समारोह में उपराष्ट्रपति राम सहाय यादव और मुख्य न्यायाधीश प्रकाश मान सिंह रावत भी मौजूद थे.
अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया
सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़े प्रदर्शन हुए. इन प्रदर्शनों में 51 लोग मारे गए और 1300 से ज्यादा घायल हुए. प्रदर्शनकारी में ज्यादातर युवा थे. वे भ्रष्टाचार, राजनीतिक अव्यवस्था और भाई-भतीजावाद खत्म करने की मांग कर रहे थे. उन्होंने सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध को हटाने की भी मांग की. यह अब हटा लिया गया है. इन प्रदर्शनों के कारण पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा था.
राष्ट्रपति पौडेल ने सुशीला कार्की को नियुक्त करने से पहले सभी प्रमुख राजनीतिक दलों, कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक समाज के नेताओं से बातचीत की. सुशीला की नियुक्ति के बाद सरकार को छह महीने के अंदर नया संसदीय चुनाव कराना होगा. शपथ लेने के बाद सुशीला एक छोटा मंत्रिमंडल बनाएंगी और संसद भंग करने की सिफारिश कर सकती हैं.
राष्ट्रपति के साथ बैठक के बाद सुशीला के नाम पर जताई सहमति
प्रदर्शनकारियों ने सेना प्रमुख और राष्ट्रपति के साथ बैठक के बाद सुशीला के नाम पर सहमति जताई. प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग थी कि भ्रष्टाचार रोका जाए और देश में सुशासन हो. सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटने के बाद स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. नेपाल पुलिस के अनुसार, हिंसक प्रदर्शनों में एक भारतीय नागरिक सहित 51 लोगों की मौत हुई. सेना ने काठमांडू घाटी के तीन जिलों में कर्फ्यू लगाया था, लेकिन अब लोगों को कुछ समय के लिए बाहर निकलने की अनुमति दी जा रही है.
नेपाल की अर्थव्यवस्था को भी हुआ नुकसान
इन प्रदर्शनों से नेपाल की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान हुआ. होटल एसोसिएशन नेपाल के अनुसार, पर्यटन पर निर्भर अर्थव्यवस्था को 25 अरब नेपाली रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ. काठमांडू के हिल्टन होटल को 8 अरब रुपये का नुकसान हुआ, क्योंकि कई होटलों में तोड़फोड़ और आगजनी हुई. नेपाल सरकार ने विदेशी नागरिकों के लिए कुछ राहत उपाय किए हैं. नेपाल के संसद के स्पीकर देवराज घिमिरे और नेशनल असेंबली के अध्यक्ष नारायण दहाल ने कहा कि राजनीतिक संकट को संविधान के दायरे में रहकर हल करना चाहिए. उन्होंने सभी दलों से प्रदर्शनकारियों की मांगों को पूरा करने और लोकतंत्र को मजबूत करने की अपील की.